Aravalli Hills बचाने के लिए हरियाणा के 2 युवाओं का अनोखा मिशन, सबसे ऊंची चोटी से करेंगे ये शुरुआत
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 08:45 PM (IST)
रेवाड़ी (महेंद्र भारती) : मन में कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों में शामिल माउंट एवरेस्ट, माउंट किलिमंजारो और माउंट एल्ब्रुस को फतह कर चुके हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव ढाणी ढुल्ट निवासी पर्वतारोही नवदीप बाजिया अब एक नए और बेहद महत्वपूर्ण मिशन पर निकल पड़े हैं। इस बार उनका लक्ष्य किसी पर्वत शिखर को फतह करना नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली पर्वत श्रृंखला का संरक्षण है।
कड़ाके की ठंड के बीच नवदीप दिल्ली स्थित अरावली हिल पर बने राष्ट्रपति भवन क्षेत्र से राजस्थान के माउंट आबू स्थित अरावली की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर तक पैदल यात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा करीब 800 किलोमीटर से अधिक की है, जिसे नवदीप पूरी तरह पैदल तय करेंगे। इस अनोखे अभियान में उनके जिगरी दोस्त अभिषेक भी साथ हैं, जो बाइक पर जरूरी सामान लेकर पूरी यात्रा के दौरान सहयोग कर रहे हैं।

अरावली का महत्व
अरावली पर्वत श्रृंखला सबसे पुरानी मानी जाती है और यह दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल हैं। यह श्रृंखला गुजरात से लेकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है। अरावली उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाती है। यह न केवल मरुस्थलीकरण को रोकती है, बल्कि भूजल संरक्षण, जैव विविधता और जलवायु संतुलन के लिए भी बेहद जरूरी है। अरावली क्षेत्र में कई दुर्लभ वन्यजीव, वनस्पतियां और प्राकृतिक जल स्रोत मौजूद हैं।
बढ़ती चिंता और जनआंदोलन
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 100 मीटर वाले निर्णय के बाद अरावली क्षेत्र को लेकर पर्यावरण प्रेमियों में गहरी चिंता देखी जा रही है। खनन, अतिक्रमण और अवैध निर्माण के कारण अरावली लगातार कमजोर हो रही है। इसे बचाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा प्रदर्शन और जनआंदोलन किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में नवदीप बाजिया ने इस पदयात्रा के जरिए आमजन का ध्यान अरावली के संरक्षण की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है।
जीवनरेखा है अरावली
नवदीप बाजिया का कहना है कि अरावली सिर्फ पहाड़ों की एक श्रृंखला नहीं, बल्कि उत्तर भारत की जीवनरेखा है। अगर अरावली खत्म होती है तो इसका सीधा असर पर्यावरण, जल स्तर और मानव जीवन पर पड़ेगा। इसका संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद जरूरी है। अब अरावली को बचाया जा सकेगा या नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि उत्तर भारत में इसके संरक्षण को लेकर जनजागरूकता और विरोध लगातार तेज़ हो रहा है। दो जिगरी दोस्तों द्वारा शुरू की गई यह “अरावली बचाओ” पदयात्रा पर्यावरण के प्रति बढ़ती चिंता, संकल्प और जनभागीदारी का मजबूत प्रतीक बनती जा रही है। नवदीप और अभिषेक ने लोगों से इस अभियान से जुड़ने और अरावली के संरक्षण के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करने की अपील की है।
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