करनाल में सर्पदंश के मामले बढ़े, 18 दिन में 10 व्यक्ति अस्पताल में एडमिट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 19, 2022 - 09:33 AM (IST)

करनाल: सावधान रहें...बरसात का मौसम शुरू होते ही सर्पदंश के केस बढऩे लगे हैं। बारिश का पानी बिलों में घुसने से सांप बाहर निकल रहे हैं। बरसात व उमस के मौसम में यह घरों की तरफ भी रुख कर रहे हैं। सर्पदंश के बाद जुलाई के 18 दिनों में 10 व्यक्ति सिविल अस्पताल करनाल में एडमिट हुए हैं। इसके अलावा सर्पदंश के काफी ऐसे मरीज भी आए जो प्राथमिक उपचार के बाद वापस लौट गए। 

औसतन हर रोज सर्पदंश की एक घटना सामने आ रही है। गत मई में यह आंकड़ा 3 का था। पिछले करीब 12 दिनों में करीब 5 लोगों की मौत सर्पदंश से हो चुकी है। सिविल अस्पताल के साथ ही कल्पना चावला राजकीय मैडीकल कालेज एवं अस्पताल में भी सर्पदंश के मरीज पहुंच रहे हैं।  सर्पदंश के सबसे अधिक मामले जुलाई से सितम्बर के बीच आते हैं। बारिश के कारण पानी सांप की बिलों में घुस जाता है। चूहों की तलाश में सांप घरों में घुस जाते हैं और लोग उनका शिकार बन जाते हैं।सर्पदंश के बाद तुरंत लगवाएं एंटी स्नेक वेनम इंजैक्शन : सर्पदंश के एक घंटे के अंदर एंटी स्नेक वेनम इंजैक्शन लगना जरूरी है। मरीज को समय पर उपचार मिल जाए तो जहर बेअसर हो जाता है। इससे मरीज को जिंदगी मिल जाती है। यह इंजैक्शन मैडीकल कालेज और सिविल अस्पताल करनाल में उपलब्ध है।


अस्पताल जाने से पहले यह सावधानियां बरतें : पीड़ित को तसल्ली देकर शांत करें ताकि ब्लड प्रैशर नियंत्रित रहे। जितना बी.पी. बढ़ेगा, शरीर में जहर उतनी ही तेजी से फैलेगा। जिस जगह सांप ने काटा है उसके पास कपड़े से टाइट बांध दें। जहर को मुंह से नहीं खींचे। मरीज को सोने न दें। सांप ने हाथ में काटा है तो हाथ को फोल्ड कर इस तरह से लटकाएं कि जैसे फै्रक्चर हुआ हो। चलने से भी ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा।


झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ें : सांप के काटने पर कई बार लोग अस्पताल में इलाज की बजाय झाड़ फूंक के चक्कर में पड़ जाते हैं। ऐसे लोग लोगों की जान बचाने का ढोंग करते हैं। सर्पदंश के बाद इलाज में ज्यादा देर हो जाने से जहर व्यक्ति के शरीर में फैल जाता है। कई बार तो जान तक चली जाती है। इसलिए सांप के काटने के तुरंत बाद व्यक्ति को सीधा अस्पताल लेकर जाएं और इलाज करवाएं। 


सी.एच.सी. व पी.एच.सी. में उपलब्ध करवाएं एंटी स्नेक वेनम : करनाल निवासी प्रदीप, पिंकू व रोहताश का कहना है कि जिले की सी.एच.सी. व पी.एच.सी. में में एंटी स्नेक वेनम के टीकों की व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र से करनाल जाने में कई बार ज्यादा समय लग जाता है। ऐसे में मरीज की जान पर बन आती है। सी.एच.सी. व पी.एच.सी. नजदीक होती हैं। कल्पना चावला राजकीय मैडीकल कॉलेज गांव से बहुत दूर है। जिस कारण मरीज को मैडीकल कॉलेज में लाने में काफी समय लग जाता है। 


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Content Writer

Isha

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