भूजल सुधार के लिए प्रदेश सरकार उठा रही अनेक प्रभावी कदम, 6 हजार करोड़ रुपये के बजट का है प्रावधान

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 08:33 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा में भाजपा सरकार ने भूजल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण जैसे संजीदा मसलों पर भी अनूठी योजनाएं लागू की हैं, जिनके सार्थक परिणाम सामने आए हैं। पिछले कुछ वर्षों से सरकार की ओर से भूजल के अत्याधिक दोहन को रोकने के लिए आधा दर्जन योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के साथ मिलकर भूजल सुधार के लिए ठोस योजना लेकर आई है। 

इस योजना के तहत डार्क जोन में आने वाले खंडों में भूजल सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। इस योजना के तहत राज्य में रिर्चाजिंग वेल लगाए जाएंगे। इसी तरह से अटल भूजल योजना के तहत हरियाणा के लिए 6 हजार करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत पहलेे चरण में प्रदेश के 14 जिलों के 36 खंडों के 1656 गांवों में भूजल सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर लाल खट्टर ने भूजल बचाने के लिए अनेक नई योजनाएं लागू की थी। धान की बजाय दूसरी फसलों के बोने पर 7 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि पर आधारित मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के सार्थक परिणाम सामने आए। इसी तरह से राज्य में 1600 तालाबों का जीर्णाेद्वार किया गया है तो रिचार्ज वेल के जरिए भी भूजल बचाया जा रहा है। खास बात यह है कि 2014 में केवल 80 हजार एकड़ जमीन सूक्ष्म सिंचार्ई के अंतर्गत आती थी, जो 2024 तक साढ़े 4 लाख एकड़ तक पहुंच गई। इसी तरह से वर्तमान मुख्यमंत्री नायब ङ्क्षसह सैनी के नेतृत्व में भी सरकार भूजल संरक्षण के लिए ठोस कदम उठा रही है।

जलभराव वाली जमीन का किया जा रहा है सुधारीकरण

भूजल कोष अनुभाग की ओर से उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में करीब 9 लाख 82 हजार 740 एकड़ क्षेत्र जलभराव और लवणता की भारी समस्या से प्रभावित है। इसमें से लगभग 1 लाख 74 हजार 470 एकड़ क्षेत्र में स्थिति बेहद गंभीर है। समस्या की प्रकृति तथा विस्तार अनुसार जलभराव की समस्या से उप सतसीय निकासी, जैविक निकासी एवं मछली पालन प्रणालियों द्वारा समस्या से निजात पाई जा सकती है। इस समस्या से अधिकतर प्रभावित क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, झज्जर, सोनीपत तथा भिवानी जिलों के अंतर्गत आता है। उसके बाद जिला हिसार, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, पलवल और नूंह में भी स्थिति खराब  है। हरियाणा में जल ग्रहण एवं लवणीय भूमि का सुधार कार्य वर्ष 1996 में शुरू किया गया। इस योजना के तहत जल निकासी तकनीक के माध्यम से 2014 से लेकर मार्च 2024 के दौरान सवा 7 लाख एकड़ क्षेत्र में सुधार किया गया है। 

मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के आए सार्थक परिणाम

हरियाणा में भूजल के लिहाज से स्थिति चिंताजनक है और इसको लेकर सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। विशेष बात यह है कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से जारी ‘मेरा पानी मेरी विरासत योजना’ के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। खरीफ 2020 के दौरान हरियाणा सरकार ने मक्का, कपास, बाजरा, दालें, सब्जियों और फलों जैसी वैकल्पिक फसलों द्वारा धान की फसल में विविधता लाने के यह योजना शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत उन किसानों को 7000 रुपए प्रति एकड़ की दर से सहायता प्रदान की जा रही है, जिन्होंने अपनी धान की फसल को वैकल्पिक फसलों के साथ बदल दिया है। खरीफ 2020 के अंतर्गत धान की जगह 25,600 हैक्टेयर में विकल्प की फसलों को बोया गया और इसके लिए किसानों को सरकार की ओर से 45 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। 

खरीफ 2021 में 20,752 हैक्टेयर में धान की जगह दूसरी फसलें बोई गई और किसानों को 31 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई। इसी तरह से खरीफ 2022 में 23,554 हैक्टेयर रकबे में धान की जगह दूसरी फसलों को बोया गया और किसानों को 41 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि दी गई। इसी तरह से 2023 में धान की बजाय 24 हजार एकड़ एवं 2024 में साढ़े 22 हजार एकड़ में दूसरी फसलों को बोआ गया। इसी प्रकार से वर्तमान में राज्य के जल संकट वाले क्षेत्रों में 1655 गांव में कुल 2,642 तालाबों में से 619 गांवों के 1,097 तालाबों का जीर्णोद्धार कर लिया गया है।

अटल भूजल योजना से बदल रही है तस्वीर

अटल भूजल योजना का मुख्य उद्देश्य भूजल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना है। यह योजना राज्य में 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू की गई है। 2020-21 से लेकर 2025-26 तक यह योजना 6 हजार करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के साथ जारी है। यह योजना हरियाणा राज्य के 14 जिलों के 36 ब्लाकों की 1656 ग्राम पंचायतों में क्रियान्वित की जा रही है। अटल भूजल योजना के अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई फसल विविधीकरण चावल की सीधी बिजाई भूजल निगरानी तलाब कायाकल्प और रिचार्जिंग जैसे कदम है, ताकि राज्य में भूजल को बहाल किया जा सके। 

इसी तरह से ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ के तहत पानी की कमी और बाढ़ की आशंका वाले 8 ब्लॉक कुरुक्षेत्र जिले के बबैन, पिपली, शाहबाद, इस्माईलाबाद, कैथल जिले के गुहला और सीवन, फतेहाबाद जिले के रतिया और सिरसा जिला के सिरसा ब्लॉक में पायलट प्रोजैक्ट के रूप में 40 करोड़ रुपए से 1 हजार रिचार्ज बोरवेल का निर्माण कार्य जारी है और अभी तक 839 रिचार्ज बोरवेल का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और साढ़े 30 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। हरियाणा में जल के अनावश्यक प्रयोग के चलते ही आज स्थिति बेहद ङ्क्षचताजनक है। हरियाणा में 88 खंडों में स्थिति संकटदायक हो चुकी है। 10 क्रीटिकल और 9  सैमी क्रीटिकल हैं। पिछले कुछ समय में ही कुरुक्षेत्र में भूजल करीब 30 मीटर, महेंद्रगढ़ में 33 मीटर, गुडग़ांव में 21 मीटर, पानीपत में करीब 17 मीटर, कैथल में 23 मीटर तक नीचे चला गया है। हरियाणा में करीब 18 लाख हैक्टेयर भूमि में आज भी ट्यूबवैलों से पानी लगाया जाता है। करीब साढ़े 8 लाख ट्यूबवैल हैं। ऐसे में अब राज्य में सूक्ष्म ङ्क्षसचाई प्रणाली को लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है। 

जल संरक्षण हमारा दायित्व ही नहीं कत्र्तव्य भी है: नायब सैनी

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि अटल भूजल योजना से जल संरक्षण को निरंतर प्रोत्साहन मिल रहा है और यह योजना 5 वर्षों के लिए सात राज्यों के 80 जिलों में जल की कमी वाले गांवों में लागू की गई है। इस योजना का लक्ष्य सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से भूजल प्रबंधन व संरक्षण में सुधार करना है। मुख्यमंत्री सैनी का कहना है कि अटल भूजल योजना से नरेंद्र मोदी सरकार के भूजल संरक्षण का सपना साकार हो रहा है। उन्होंने बताया कि 2020 से 2023 तक मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत किसानों को 118 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी गई है। सैनी का कहना है कि पानी की उपलब्धतता और किल्लत किसी भी प्रदेश की गति व प्रगति को निर्धारित करते हैं। 

इसलिए जल संरक्षण हमारा दायित्व ही नहीं कत्र्तव्य भी है। गौरतलब है कि राज्य में करीब 37 लाख हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। खरीफ सीजन में प्रदेश में धान का रकबा सबसे अधिक रहता है। प्रदेश के गठन के समय साल 1966-67 में 1.83 लाख हैक्टेयर रकबे में धान की खेती की जाती थी। नरमे का रकबा साढ़े 6 लाख हैक्टेयर से भी अधिक था। अब धान का रकबा 14 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है। यही वजह है कि धान के रकबे को कम करने के लिए साल 2020 में मेरा पानी-मेरी विरासत योजना लागू की गई थी, जिसके अब सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

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Content Writer

Yakeen Kumar

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