सुकमा नक्सली हमले में हरियाणा के 2 जवान शहीद, गांवों में शोक की लहर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2017 - 06:51 PM (IST)

करनाल/सोनीपत:छतीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में हरियाणा को दो जवान शहीद हो गए। शहीद जवान की पहचान सोनीपत के गांव जैनपुर के नरेश कुमार के रूप में हुई। वह सी.आर.पी.एफ. की 74वीं बटालियन में ए.एस.आई. थे। वहीं शहादत की खबर से पूरे गांव में मातम छाया हुआ है।
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लोगों ने नक्सलियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की। साथ ही शहीद के परिवार को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की बात भी कहीं। सरपंच का कहना है कि गांव में शहीद की याद में स्मारक बनाया जाना चाहिए। 
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सरकार इन हमलों को रोके, वरना सभी जवान शहीद हो जाएंगे- शहीद नरेश की पत्नी 
नरेश कुमार की पत्नी राजबाला का कहना है कि सरकार इन हमलों को रोके, अगर ऐसे ही चलता रहा तो सभी जवान शहीद हो जाएंगे। वहीं परिजन बलवान ने कहा है कि सरकार को परिवार के तीनों बच्चों के लिए कदम उठाना चाहिए। बेटी की शादी के लिए भी सरकार को मदद करनी चाहिए। वहीं परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देनी चाहिए। 
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गांव के सरंपच सुनील ने कहा है कि यह फौज पर पहला हमला नहीं है। सरकार को अब सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि कोई और फौजी शहीद न हो। शहीद की याद में गांव में एक स्मृति स्मारक बनाया जाए और सरकार बाहरी हमलों से पहले देश के अंदर के हमले को रोके ताकि सभी फौजी सुरक्षित रह सके।

                                                                                 करनाल
सुकमा में नक्सलियों के हमले में करनाल जिले के राममेहर सिंह भी शहीद हुए हैं। इनके पिता का नाम पूर्ण सिंह बताया जा रहा है। वह 6 भाई हैं और उनमें से 2 सेना में थे। राम मेहर की रिटायरमेंट का एक साल बचा हुआ था कि वे देश पर कुर्बान हो गए। जब से शहादत की खबर आई है, घर में कोहराम मचा हुआ है।
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शहीद राममेहर का पैतृक गांव में शव न पहुंचने पर परिजनों में रोष
सुकमा में नक्सलियों के हमले में शहीद हुए करनाल जिले के राममेहर का पार्थिव शरीर अभी तक पैतृक गांव नहीं पहुंच पाया है, जिसके चलते परिवार में रोष की लहर है। उन्होंने दिल्ली से विशेष विमान या हेलीकॉप्टर के जरिए शव जल्दी भेजने की मांग की है। 
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शहीद की बेटी बोली-पिता की शहादत पर सबको गर्व 
राममेहर के गांव खेड़ी मान सिंह में मातम पसरा है। शहीद की बेटी लविशा हौसले के साथ अपने पिता की शहादत पर गर्व महसूस कर रही है। लविशा कहती हैं कि बेटा सन्नी सदमे में है, लेकिन पिता की शहादत पर सबको गर्व है। हालांकि शव पहुंचने में हो रही देरी ने सब्र के पैमाने को छलका दिया है। सेना द्वारा बनाए गए रूट से रिश्तेदार और परिजन नाराज है।
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उनका कहना है कि राममेहर के शव को दिल्ली से विशेष विमान के जरिए करनाल हवाई पट्टी पर पहुंचाया जाए या फिर हेलीकॉप्टर के जरिए गांव में पहुंचाया जाए। सरकार से बार-बार यही गुहार लगाई जा रही है।


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