इतिहास गवाह है SYL-चंडीगढ़ के मुद्दे पर सबसे अधिक योगदान चौ. भजन लाल का रहा: कुलदीप बिश्नोई
punjabkesari.in Thursday, Apr 07, 2022 - 06:04 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी) : एसवाईएल और चंडीगढ़ मुद्दे को लेकर जहां विधानसभा के सभी 90 सदस्य एक मत दिखे, वहीं पुराने राजनीतिक धुरंधरों की कार्यशैली पर भी कुछ विधायकों ने सवाल उठाया। जिस पर आदमपुर विधायक चौधरी कुलदीप बिश्नोई ने आंकड़ों सहित जवाब देते हुए कहा कि बेशक चौधरी देवी लाल, चौधरी बंसीलाल सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने अपने-अपने तरीके से इन मुद्दों पर सकारात्मक काम किया है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर अगर सबसे अधिक योगदान किसी का रहा तो वह चौ. भजन लाल का रहा। जिन्होंने हरियाणा की प्यासी बंजर भूमि को पानी दिलवाने के लिए दूरदर्शी सोच के चलते 1985 में राजीव लोंगोवाल अकॉर्ड जैसे फैसला किया। ताकि हरियाणा की धरती को पर्याप्त पानी मिले, जनरेटर का उपयोग कम से कम हो, जिससे मोटर कम चलेगी, किसान का खर्च घटेगा, खर्च घटने से कर्ज घटेगा और किसान अच्छा जीवन यापन कर सकेगा।
बिश्नोई ने कहा कि अभय सिंह चौटाला ने चौधरी देवीलाल और किरण चौधरी ने चौ0 बंसीलाल की उपलब्धियों के बारे में बताया। लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि 1982 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी और प्रदेश का नेतृत्व चौ. भजनलाल के हाथों में था। पंजाब के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह थे। तब चौ0 भजन लाल ने कपूरी गांव, पंजाब में एसवाईएल नहर की नींव रखी। उससे पहले 1979 में हरियाणा पानी की मांग को लेकर कोर्ट में गया था। लेकिन निर्माण कार्य चौ. भजनलाल ने शुरू करवाया। लेकिन 1986 में उग्रवाद बढ़ने पर इरीग्रेशन अधिकारियों को उग्रवादियों द्वारा मार दिया गया। उस दिन से लेकर आज तक काम शुरू नहीं हुआ। बिश्नोई ने कहा कि यह सच है 1982 से 2022 तक 40 साल से यह मुद्दा वहीं के वहीं खड़ा है। 36 साल से काम रुका हुआ है। बहुत से आयोगों का गठन हुआ। सुप्रीम कोर्ट तक के फैसले के बाद आज तक हमें हक नहीं मिल पाया। चौ. भजन लाल का अधूरा सपना आज भी वहीं खड़ा है।
बिश्नोई ने गृह और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि चंडीगढ़ पंजाब को तभी मिल सकेगा जब हमें भजनलाल द्वारा अकॉर्ड में बड़वाया गया पानी का हिस्सा, हिंदी भाषी गांव और नई राजधानी बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सारा खर्च दिया जाए। हमें यह भवन नहीं किसानों के आंसू देखने हैं। सरकारी भवन तो हम कहीं भी बना लेंगे। बिश्नोई ने उस दौर की बात बताते हुए कहा कि जनवरी 1986 में पंजाब ने चंडीगढ़ में अपना झंडा लहराने का दावा किया था तो प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वर्गीय भजनलाल ने जवाब दिया था कि चंडीगढ़ में झंडा तो हरियाणा भी लहराएगा। 26 जनवरी को उस चैलेंज को कबूल करते हुए चौ. भजन लाल ने सीएम हाउस में झंडा फहराया और चंडीगढ़ को पंजाब में जाने से रुकवाया।
जून 1986 में चौ. भजन लाल पर चंडीगढ़ की जिद्द छोड़ने और उसके बदले डेराबस्सी, लालडू का एरिया को लेने का जब दबाव बनाया गया तो इतिहास गवाह है कि भजनलाल ने मुख्यमंत्री पद को लात मार दी और कहा कि मेरी कलम से चंडीगढ़ पंजाब के पास नहीं जाने दूंगा। बिश्नोई ने कहा कि आज वक्त ऐसा है कि कोई सरपंच पद का त्याग भी नहीं करता चौ0 भजनलाल ने प्रदेश के प्रति ईमानदारी और वफादारी का प्रतीक बनते हुए नेतृत्व का त्याग कर दिया था। बिश्नोई ने कहा कि चौ. बंसी लाल, चौ. देवी लाल और चौ. भजन लाल सरीखे नेताओं ने अपने-अपने ढंग से बेहतर प्रयास किए। लेकिन व्यवहारिक रूप से इसका लाभ अभी तक ना मिल पाना चिंता का विषय है।
इस मौके पर चौ. कुलदीप बिश्नोई ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप सदन के नेता हैं। केंद्र और प्रदेश में आपकी ही सरकार है। पंजाब में एक कॉमेडियन को मुख्यमंत्री बना दिया गया, जिसकी बात को कोई गंभीर नहीं लेता। लेकिन सदन में प्रस्ताव पास करवाना वास्तव में एक सीरियस मुद्दा है। जिसकी मैं निंदा करता हूं। कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि पहली बार किसी विधानसभा का इतिहास होगा कि जब पूरा का पूरा सदन सदन के नेता के साथ खड़ा दिखे। इसलिए मुख्यमंत्री महोदय आप इतिहास बनाइए। राष्ट्रपति से मिलने जाने के लिए पूरा का पूरा सदन आपके साथ है। टेंशन लेने की नहीं देने की चीज है।