स्कूल बैग के बोझ तले दब रहा बचपन, सरकारी स्कूल ही उड़ा रहे सरकार के आदेशों की धज्जियां

punjabkesari.in Friday, Nov 30, 2018 - 02:04 PM (IST)

फरीदाबाद(अनिल राठी): स्कूल बैग के तले दबते बचपन को देखते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने देश के सभी राज्यों को स्कूलों में बैग का वजन कम करने और पहली व दूसरी क्लास के बच्चों को होमवर्क न देने का निर्देश दिया है, मगर फरीदाबाद में सरकारी स्कूल ही सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यहां सरकारी स्कूलों में छोटे- छोटे बच्चे आज भी बड़े- बड़े बैग कंधों पर लटकाकर ले जाते हुए दिखे। 

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ये फरीदाबाद है साहब, यहां नियम भी हमारे होते हैं और कानून भी हमारे- ऐसा ही कुछ दर्शा रही हैं ये तस्वीरें,, तस्वीरें छोटे - छोटे बच्चों की पीठ पर लदे हुए बड़े बैग की हैं। स्कूलों में बच्चों के पीठ पर बस्ते का बोझ एक बड़ा मुद्दा रहा है। जिसे कम करने के लिए सरकार ने कदम तो उठाया, लेकिन स्कूल प्रशासन ने इस नियम की धज्जियां सरेअाम उड़ाई। बच्चों के उपर बस्ते के बोझ को कम करने के संबंधित विभागों की ओर से निर्देश भी जारी होते रहे हैं। बावजूद इसके स्कूल अपनी मर्जी करते हैं। 

भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार बने नियम 
इसमें कहा गया है कि पहली से दूसरी कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी तरह तीसरी से 5वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के बैग का वजन 2-3 किलोग्राम, छठी से 7वीं के बच्चों के बैग का वजन 4 किलोग्राम, 8वीं तथा 9वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 4.5 किलोग्राम और 10वीं के छात्र के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए।
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केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के निर्देष पर सरकार स्कूल की अध्यापिका ने जबाब देते हुए कहा कि सरकार के नियम तो बदलते रहते हैं, बच्चों के बैग अभी भी भारी है क्योंकि चार विषयों की किताबें, उनके साथ काॅपियां औैर फिर एक्स्ट्रा क्लासों की किताबें मिलाकर वजन बढ़ जाता है। 


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Deepak Paul

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