दिख गया चांद : कल से शुरू हो रहा है रमजान का पाक महीना, बाजारों में बढ़ी रौनक

punjabkesari.in Thursday, Mar 23, 2023 - 08:03 PM (IST)

नूंह (एके बघेल) : रमजान का चांद आज दिख गया औऱ पवित्र महीना कल से शुरू हो रहा है। इसको लेकर हर जगह तैयारियां जोरों पर है। बाजार सज गए हैं, भारी संख्या में लोग खरीदारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में नूंह जिले में इस पवित्र महीने की तैयारियों को लेकर बाजारों में लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। इस्लामिक कलैंडेर की मानें तो पवित्र रमजान का महीना 29 से 30 दिन का होता है और यह महीना पाक-पवित्र महीना है। मुसलिम समाज के लोगों को रमजान का पूरे साल बेसब्री से इंतजार रहता है। चांद दिखने के साथ ही इस पवित्र महीने की शुरुआत हो जाती है और लोग रोजे रखते हैं। रमजान का महीना बीतने के तुरंत बाद ईद आ जाती है। जिसको मुस्लिम समुदाय के लोग बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

रमजान के महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है। ऐसा माना गया है कि मुस्लिम समाज में माहे शाबान के खत्म होने पर जब चांद नजर आता है तो अगले दिन से रमजान का पाक महीना शुरु हो जाता है। रमजान का महीना 29 या 30 दिन का होता है। इस महीने में मुस्लिम समाज के लोग इबादत करते हैं और रात में तरावीह की नमाज के साथ कुरआन शरीफ भी पढ़ते हैं। रमजान के समय रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज है। इस महीने में जकात का विशेष महत्व है। जकात का मतलब है अपनी बचत का कुछ हिस्सा जरुरतमंद लोगों में बांटना। रमजान के पवित्र महीने में रोजेदारों को कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। जो लोग रोजा रखते हैं उनको रोजेदार कहते हैं। सेहरी से लेकर इफ्तारी के बीच रोजेदार किसी भी चीज का सेवन नहीं कर सकते। बुरी आदतों को भी छोड़ना पड़ता है। रोजे में बुरे विचार भी दिमाग में नहीं लाने चाहिए, इसे आंख, कान और जीभ का रोजा भी कहते हैं। अगर रोजेदार रोजा रखे हैं और उस दौरान दांत में फंसे खाने को निगल गए तो ऐसा करने से रोजा टूट जाता है।

इस पूरे महीने लोग सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं। शाम को रोजा खोला जाता है। रमजान के दौरान सांसारिक सुखों, फिजूलखर्चों को छोड़कर खुलकर दान करते हैं। रमजान में रोजेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे 1 माह का रोजा रखते हुए इस दौरान रोजाना रात को नमाज अदा करना, कुरान पढ़ना और अच्छे कर्म करने में अपना समय बिताते हैं। रमजान के दौरान सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सहरी करते हैं और सूर्यास्त के बाद खजूर और पानी पीकर अपना रोजा खोलते हैं।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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