तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा- सीएम मनोहर लाल

punjabkesari.in Tuesday, Jun 28, 2022 - 06:23 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कोरोनाकाल के दौरान आरंभ की गई, मेरा पानी मेरी विरासत योजना के परिणाम जमीनी स्तर पर आने शुरू हो गए हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिए जल बचाकर रखना होगा। पानी की कमी आज एक चुनौती बन गया है। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा।

सूक्ष्म सिंचाई से होगी पानी की बचत- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को पंचकूला से 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया।  उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई और नहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूक्ष्म सिंचाई के पांच मोबाईल वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना भी किया। इसके साथ ही सभी जिलों के लिए दो-दो वाहनों की रवानगी भी की, ताकि आम जनता को जल संरक्षण व जल संवर्धन का संदेश दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल ही जीवन है और हमें भावी पीढ़ी के लिये जल बचाकर रखना होगा। उन्होंने कहा कि तीसरा विश्वयुद्ध शायद जलयुद्ध ही होगा। इसलिये हमें पानी की हर बूंद का उपयोग करना होगा। कहा भी गया है कि बूंद से बूंद से घड़ा भरे और बूंद बूंद से सागर भरता है। उन्होंने कहा कि आज तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नये नये उपयोग शुरू हो गये हैं। सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते हैं और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं।

धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलें उगाने वालों का सीएम ने किया धन्यवाद

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यानों की कमी महसूस की गई थी तो उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था और पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रांति में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यानों में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद्यानों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन के कारण हम खाद्यानों के मामलों में आत्मनिर्भर बन गए, परंतु आज हमें दूसरे विकल्प की ओर भी जाना होगा। सूक्ष्म सिंचाई भी उस दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले कोरोनाकाल के दौरान आरंभ की गई, मेरा पानी मेरी विरासत योजना के प्रति किसानो का रूझान बढ़ा है और प्रदेश के धान बाहुल जिलों में किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसले उगाना आरंभ किया है। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी है कि पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर अन्य फसले उगाई गई और इस बार 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सर्वविदित है कि पानी से कीमती कोई चीज नहीं है। भावी पीढी को अगर हम जमीन के साथ-साथ पानी की विरासत भी देकर जाएं, तो इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं और 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दोबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में कर रहे हैं।

सूक्ष्म सिंचाई के लिए मुख्यमंत्री ने इजराइल का दिया उदाहरण

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों को भी बचाना होगा, इसके लिये हमें वृक्षारोपण, बांध इत्यादि बनाने होंगे परंतु पानी को हम पैदा नहीं कर सकते है। जो पानी उपलब्ध है, उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा। मुख्यमंत्री ने इजराइल का उदाहरण देते हुए कहा कि इजाराईल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है और पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है। हरियाणा सरकार ने भी इजरायल के साथ साथ जल संरक्षण एवं फल एवं सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किये हैं । उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराइल देश का अनुसरण करना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी के उत्कृष्ट प्रबंधन पर हमें चलाना होगा। हरियाणा देश का ऐसा राज्य है, जहां पर नहरी पानी की उपलब्धता कम है। हमारे यहां केवल यमुना ही एक नदी है, जिससे हमें पानी मिलता है।  मुख्यमंत्री ने सभागार में उपस्थित किसानों के अलावा धान  लगा रहे किसानों से भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीधा संवाद किया और प्रसन्नता जाहिर की कि तकनीकी के युग में खेतों से ही किसान से बातचीत संभव हुई है। सूक्ष्म सिंचाई की परियोजनाओं को अपनाने वाले किसानों का मुख्यमंत्री ने धन्यवाद भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मिकाडा के पोर्टल को भी लांच किया।

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Content Writer

Vivek Rai

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