टिकरी बॉर्डर पर सिर्फ एक बैरिकेड हटना है बाकी, सड़क पर गाड़ी कीलें भी दिल्ली पुलिस ने हटाई

punjabkesari.in Friday, Oct 29, 2021 - 01:38 PM (IST)

बहादुरगढ़( प्रवीण धनखड़): किसान आंदोलन की वजह से देश की राजधानी दिल्ली की बंद सीमाएं खोलने की कवायत लगातार जारी है। टिकरी बॉर्डर पर कल दोपहर के समय दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड हटाने का काम शुरू किया था। जो रात के समय भी जारी रहा। आज दोपहर बाद एक बार फिर से बैरिकेट्स हटाने का काम दिल्ली पुलिस करेगी। दिल्ली पुलिस का सिर्फ एक कंक्रीट बैरिकेड रास्ता खुलने के बीच में है। यह बैरिकेट्स हटते ही रस्ता खुल जाएगा। पुलिस ने करीब 12 लेयर की बैरिकेडिंग को हटा दिया है। रास्ता बंद करने के लिए पुलिस ने कंक्रीट की दीवारें खड़ी कर रखी थी, लोहे की कीलें सड़क में लगाई थी। बड़े-बड़े सीमेंट के ब्लॉक सड़क के बीचो बीच रख दिए थे। इतना ही नहीं ट्रॉले के पिछले हिस्से को सड़क के बीच में खड़ा कर खड़ा कर दिया था। मिट्टी भी डाली गई थी, ताकि किसान दिल्ली में इंटर नहीं कर सकें। 

26 जनवरी की हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने दिल्ली रोहतक नेशनल हाईवे पर स्थित टिकरी बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया था। ऐसे किलाबंदी कर दी थी कि परिंदा भी पर न मार सके लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद रास्ते खुलने की दिशा में पहली बार काम हो रहा है।। बहादुरगढ़ के उद्योगपतियों ने भी रास्ता खुलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद हरियाणा सरकार ने भी एक हाई पावर कमेटी का गठन किया था। हाई पावर कमेटी के सदस्यों ने स्वयं मौके पर जाकर देखा था कि किसानों ने कोई रास्ता बंद नहीं कर रखा। बल्कि दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद कर रखे थे। अब दिल्ली पुलिस ने खुद ही इन रास्तों को खोलने की तैयारी शुरू की है। 

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किसानों का कहना है कि वह अब भी तीन कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन जारी रखेंगे। वह सड़क की एक तरफ का रास्ता खोलने के लिए खुश है। क्योंकि पुलिस की वजह से आम लोगों को तो परेशानी हो रही थी। अब उन्हें इससे निजात मिल सकेगी। वही आम लोगों का कहना है कि अब बैरिकेट्स हटे हैं तो उन्हें भी राजधानी दिल्ली में आवागमन के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि दिल्ली पुलिस ने ना सिर्फ दिल्ली -रोहतक नेशनल हाईवे को टिकरी बॉर्डर पर बंद कर रखा था। बल्कि देश की राजधानी दिल्ली को हरियाणा के बहादुरगढ़ से जोड़ने के लिए सभी कच्चे-पक्के रास्तों पर या तो बैरिकेड लगा दिए थे या फिर रास्तों में गड्ढा खोद दिए थे। जिसकी वजह से लोगों को वैकल्पिक मार्गों से होकर गुजरना पड़ता था।

 


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Content Writer

Isha

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