आज हरियाणा का हर नागरिक यह सोचता है कि हमारी राजधानी हमारी जमीन पर ही: एम एस चोपड़ा

punjabkesari.in Saturday, Jan 20, 2024 - 06:13 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):  हरियाणा के गैर राजनीतिक संगठन हरियाणा बनाओ अभियान की इन दिनों पूरी सक्रियता है। प्रदेश की अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट सहित नशे, बेरोजगारी और विदेशों में युवाओं की दिलचस्पी को लेकर चिंतित इस संगठन के पदाधिकारियों ने आज चंडीगढ़ में प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस की और अपने विचार सांझे किए। इस अभियान से जुड़े पदाधिकारी व हुड्डा सरकार में प्रिंसीपल ओएसडी रहे एमएस चोपड़ा और पूर्व मुख्य सचिव एस सी चौधरी व बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष  रणधीर सिंह बधरान से बातचीत की। पूर्व प्रिंसिपल ओएसडी एमएस चोपड़ा भारत सरकार में उप सचिव रह चुके हैं। चोपड़ा कहते हैं कि आज 57 साल के बाद भी हरियाणा अधूरा सा लगता है और "हरियाणा बनाओ अभियान" का लक्ष्य भी हमारा यही है। आज तक जो भी अलग राज्य बने हैं सभी ने अपनी अलग हाईकोर्ट- विधानसभा- राजधानी बनाई है। आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग हुए, उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड हुए या बिहार से झारखंड अलग हुए सभी ने अपनी पहचान बनाई है। हिमाचल ने भी अलग होकर अपनी अलग राजधानी पंजाब से अलग बनाई है। इसी तरह हरियाणा के लोग भी उम्मीद करते हैं कि शीघ्र ही सभी राजनीतिक दल एक होकर इसके प्रयास करें।

पूर्व प्रिंसिपल ओ एस डी ( सी एम,तत्कालीन सी एम भूपिद्र सिंह हुड्डा) एम एस चोपड़ा ने हरियाणा बनायो अभियान को समर्थन दिया व कहा कि हरियाणा की विशिष्ट पहचान के लिए हरियाणा को अलग राजधानी व हाई कोर्ट मिलना जरूरी है।एम एस चोपड़ा ने कहा कि  हरियाणा को लोक गीत मिलना महत्वपूर्ण पहल,सरहनीय है।bचोपड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ यू टी है इसमें हमारा हिस्सा तो रहेगा।हम अलग राजधानी की मांग कर रहे हैं।पँजाब हमारा बड़ा भाई है। चोपड़ा ने कहा कि हरियाणा को अलग राजधानी मिले तभी पूरा विकास संभव हैं।हरियाणा अलग राजधानी व हाई कोर्ट मिलने से तीव्र विकसित होगा।

अब 60 साल बाद हम अपनी सभ्यता, संस्कृति के बचाव व विकास के लिए यह जरूरी है। उनका कहना है कि जब पंजाब और हरियाणा अलग राज्य हैं तो फिर राजधानी और हाईकोर्ट अलग क्यों नहीं होने चाहिए। दोनों राज्यों को अलग-अलग मिलना ही चाहिए। हमारा घर पूरा होना चाहिए। हम रहते तो हरियाणा में हैं और बैठे चंडीगढ़ में हैं। हरियाणा की प्रगति-संस्कृति के लिए यह जरूरी है। साठ साल पहले की स्थितियां और थीं। आज हरियाणा का हर नागरिक यह सोचता है कि हमारी राजधानी हमारी जमीन पर ही हो तो अच्छा है।प्रोफेसर सुभाष सैनी, हरियाणा सरकार वकील संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र बैरागी ने भी "हरियाणा बनाओ अभियान" के बैनर तले काम करने की घोषणा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडवोकेट भारत भूषण बाल्मीकि, अनिल गोयत एडवोकेट रिशाल सिंह सांगवान एडवोकेट, यादविंदर श्योराण, रिशाल सिंह सांगवान एडवोकेट, सुखबीर सिंह गोयत, सुनील कात्याल एडवोकेट, कुलदीप सिंह मोरे, दीपल एडवोकेट, सरुति परजापत एडवोकेट, सरुति परजापत एडवोकेट और सामाजिक कार्यकर्ता पूजा गिंदर और कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

 उनका कहना है कि जब तक बैठकर छोटे और बड़े भाई की तरह बात नहीं होगी, विचार नहीं होगा तब तक यह मसला बना रहेगा। हम क्यों छोड़ेंगे और वे क्यों छोड़ेंगे? बहुत प्रदेशों ने दो-दो राजधानियां बनाईं। उत्तराखंड हमसे 32 साल बाद बना लेकिन दो राजधानी बनाई ताकि त्वरित विकास हो। अमेरिका भी इसका उदाहरण है। कई देश तीन-तीन राजधानियां रखते हैं। एक देश हर 25-30 साल बाद समान विकास के लिए बदल लेता है। एमएस चोपड़ा कहते हैं कि समाज के लोग बैठक अपने आधार, जमीन, हवा सब देखकर फैसला करें। हम यह महसूस करते हैं कि यह यूटी है। हम अपनी जमीन पर अपनी राजधानी और हाईकोर्ट बनाएं। अगर हम दूसरा घर बना लें तो पहले वाले पर हमारा हक समाप्त नहीं हो जाता। हरियाणा के राज्य गीत पर उनका कहना था कि यह हमारी पहचान के लिए अच्छी पहल है। इससे हमारी विशिष्ट पहचान गाई जाएगी। हरियाणा प्राचीन भूमि है, भारत की राजधानी रहा है। हमारा कल्चर एग्रीकल्चर कहकर मजाक बनाया जाता रहा है लेकिन हमारे समृद्ध, उत्सव और उल्लास के प्रदेश में उदासीनता क्यों है? प्रदेश में नशे की प्रवृत्ति पर भी वे चिंतित हैं। उनका कहना है कि अलग राजधानी होगा तो अधिक निवेश आएगा।

पूर्व मुख्य सचिव रणधीर सिंह बधरान कहते हैं कि हरियाणा के साथ शुरू से अन्याय हुआ है। चंडीगढ़ एक कोने पर है। यहां आने पर लोगों का समय भी अधिक लगता है और पैसा भी ज्यादा खर्च होता है। सेंटर में राजधानी और हाईकोर्ट हो तो बेहतरीन होगा। आज हरियाणा की तस्वीर बदल गई है। प्रदेश का आधुनिकीकरण हो गया है। हमारे पूर्वज चरखी दादरी के थे। तब राजाओं का राज था। हमें पढ़ने नहीं दिया जाता था लेकिन आज रिमोट एरिया के बच्चे भी सिविल सर्विस में आ रहे हैं। पॉवर सप्लाई और कनेक्टिविटी बढ़ेगी तो निश्चित रूप से विकास होगा। आज गांव के गांव खाली हो रहे हैं। बच्चों का विदेश से मोह बढ़ रहा है जो चिंताजनक है। एजेंट बच्चों को बरगलाकर आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।

उनका कहना है कि बेरोजगारी, बढ़ती आबादी और नशा पलायन के पीछे बड़ा कारण है। इसकी रोकथाम के लिए समाज को जागरूकता की जरूरत है। संगठित अपराध में बड़े लोगों का हाथ होता है। बिना उनके आशीर्वाद के ऐसा नहीं हो सकता। सख्ती के बिना इस पर नकेल नहीं कसी जा सकती। एसवाईएल के सवाल पर वे कहते हैं कि मसला बड़ा है पर हल हर चीज का होता है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में चोरा चोरी 1919 में हुआ था लेकिन देश 1947 में आजाद हुआ। इससे पहले भी 1857 का विद्रोह हुआ। सकारात्मकता के साथ प्रयास जारी रहने चाहिए।


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Content Writer

Isha

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