आखिर क्या है बीबीएमबी मामला, बीबीएमबी में सदस्यता क्यों है महत्वपूर्ण?

punjabkesari.in Tuesday, Mar 01, 2022 - 09:10 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा और पंजाब की स्थायी सदस्यता खत्म हो गई है। अभी तक बीबीएमबी का एक सदस्य पंजाब के बिजली महकमे और एक सदस्य हरियाणा के सिंचाई विभाग से होता था। लेकिन संशोधित नियम के बाद अब दूसरे प्रदेशों से भी सदस्य लिए जा सकेंगे। स्थायी सदस्यता खत्म करते हुए सदस्यों के चयन के मापदंड इस प्रकार के रखे गए हैं जिन्हें पूरा करना पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों के लिए संभव नहीं होगा। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (संशोधन) नियम-2022 लागू किया है। इस संबंध में केंद्रीय मंत्रालय ने अधिसूचना भी जारी कर दी है।

 प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि केंद्र के इस फैसले का विरोध लिखित रूप में प्रदेश सरकार द्वारा पहले से भेजा गया था। हम फिर से केंद्र को अपना विरोध दर्ज करवाएंगे।वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मामले पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है।

केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा पंजाब की सदस्यता को खत्म करने का जो फैसला लिया है, इसका बेहद नकारात्मक असर प्रदेश पर पड़ सकता है। इससे पहले चार राज्यों हरियाणा- पंजाब- राजस्थान और हिमाचल के सदस्य अपने- अपने प्रदेश के लिए बिजली- पानी की राय प्रस्तुत करते थे। उसी हिसाब से इन राज्यों को बिजली पानी मिलता था। केंद्र सरकार द्वारा इन सदस्यों की सदस्यता को खत्म कर दिया गया है या यूं कहें कि अब बीबीएमबी में हरियाणा कि कोई नुमाइंदगी नहीं रहेगी। इसका सीधा सीधा प्रदेश के लिए नुकसानदायक असर होना तय माना जा रहा है।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इसका विरोध करते हुए फैसले को दोनों राज्यों के अधिकारों पर कुठाराघात करार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री  हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार की अनदेखी के चलते पहले भी बीबीएमबी में हरियाणा कोटे से मिलने वाले पदों में कटौती होती रही है। तब भी प्रदेश सरकार ने कुछ नहीं बोला और अब केंद्र के नए फैसले पर भी सरकार मौन धारण किए हुए हैं। यह चुप्पी प्रदेश विरोधी है, जबकि पंजाब के तमाम राजनीतिक दल प्रदेशहित में एकमत होकर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर मीडिया से मुखातिब हुए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मामले पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हरियाणा सरकार को भी सभी दलों के साथ मिलकर इस फैसले का विरोध करना चाहिए और केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दे को उठाते हुए प्रदेश के अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए।

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार के इस फैसले को हरियाणा-पंजाब के किसानों से किसान आंदोलन का लिया गया बदला करार दिया है। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार परोक्ष रूप से किसानों का इस फैसले के जरिए शोषण करना चाहती है। यह प्रदेश का हक है और बीबीएमबी में प्रदेश की उपस्थिति और हिस्सेदारी को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा है। कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि केंद्र के इस फैसले का विरोध लिखित रूप में प्रदेश सरकार द्वारा पहले से भेजा गया था। जिसमें साफ तौर पर इस फैसले को गलत बताया था। क्योंकि कोर्ट द्वारा एक टिप्पणी भी की गई थी कि बीबीएमबी में सदस्यता के लिए सभी प्रदेशों को अधिकार होना चाहिए। लेकिन हमने कहा कि भाखड़ा डैम का जो बिजली पानी का इस्तेमाल करने वाले चार राज्य हरियाणा- पंजाब- हिमाचल और राजस्थान हैं, उनका अधिकार होना चाहिए। यह परंपरा पहले की तरह ही चलनी चाहिए। हम फिर से केंद्र को अपना विरोध दर्ज करवाएंगे।


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Content Writer

Shivam Yadav

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