क्या बन्तो को टिकट दिलाने की कटारिया की अंतिम इच्छा होगी पूरी ?

punjabkesari.in Thursday, May 18, 2023 - 09:25 PM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : पिछले डेढ़-दो सालों से रतनलाल कटारिया के साथ उनकी धर्मपत्नी बन्तों कटारिया की सभी राजनीतिक कार्यक्रमो में मौजूदगी क्या केवल एक इत्तेफाक था या फिर कुदरत का एक संदेश। कहते हैं कि परमात्मा में लीन अच्छे व्यक्तियों को कुछ संदेश मृत्युपूर्व मिलने लगते हैं। कुछ ऐसा ही देखने को मिला रतनलाल कटारिया के साथ। क्योंकि 6 महीने पहले ऑफ दी रिकॉर्ड बातचीत के दौरान रतनलाल कटारिया ने अपनी इच्छा जाहिर की थी कि वह अगला चुनाव खुद ना लड़ अपनी धर्मपत्नी बन्तो कटारिया को लड़वाएंगे। यानि अगर यह दुखद हादसा ना भी होता तो रतनलाल कटारिया आगामी लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक नहीं थे। इसी नजरिए से पिछले करीब 2 सालों से यह भी देखा जा रहा था कि उनकी धर्मपत्नी की उपस्थिति उनके साथ हर कार्यक्रम में थी। 50 वर्षों तक स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस के वफादार-कर्तव्यनिष्ठ और इमानदार सिपाही रहे रतनलाल कटारिया जीवनभर भाजपा के झंडे को बुलंद करते रहे। पार्टी के लिए दौर कैसा भी रहा, समस्याएं कितनी भी आई, हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर हर संघर्ष में रतनलाल कटारिया अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आए। 

अब 6 महीने के भीतर अम्बाला लोकसभा से उपचुनाव होना लाजमी है। लेकिन टिकट वितरण को लेकर पार्टी का स्टैंड क्या रहेगा, यह देखने वाली बात रहेगी। बेहद सूझबूझ वाले परिपक्व राजनीतिज्ञ रतन लाल कटारिया की पकड़ क्षेत्र में बेहद मजबूत थी। बेहद साधारण वेशभूषा- साधारण व्यक्तित्व और आम जनमानस में घुलने मिलने की कला को देख क्षेत्रीय जनता रतनलाल कटारिया को बहुत अधिक पसंद करती थी। लोगों में कटारिया के साथ मिलने और उनके साथ फोटो खिंचवाने का भी काफी रुझान और उत्साह काफी अधिक देखा जाता था। उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि फायदा आसपास के क्षेत्रों में पार्टी को मिलता था।

लोकसभा चुनावों में अभी लगभग सवा साल का वक्त बाकी है, रिक्त हुई इस सीट पर 6 महीने में उपचुनाव होगा। क्या अपने समर्पित स्वर्गीय इस नेता के प्रति समर्पित भाव दिखाते हुए उनके सम्मान में भारतीय जनता पार्टी उनकी अर्धांगिनी (धर्मपत्नी) बन्तो कटारिया को टिकट देकर उनके सम्मान में इजाफा करेगी या फिर केवल अपने राजनीतिक लाभ-हानि को देखते हुए अपना कदम उठाएगी। यह तो तय है कि रतनलाल कटारिया क्षेत्र के बेहद कद्दावर और पकड़ रखने वाले नेता थे और उनके स्वर्गवास के बाद जनता काफी हद तक दुखी होगी। अगर भारतीय जनता पार्टी उनकी धर्मपत्नी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारेगी तो जनता की सहानुभूति का लाभ पार्टी को अवश्य होगा। जिसका फायदा 2024 के चुनावों में पूरे प्रदेशभर में भाजपा को होगा, क्योंकि अंबाला लोकसभा के उपचुनाव में अगर भाजपा को जीत मिलती है तो कहीं ना कहीं सेमीफाइनल के रूप में एक बड़ा संदेश प्रदेशभर में जाएगा।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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