सस्ते आशियाने की उम्मीदों पर फिर रहा पानी, 252 में से केवल एक फ्लैट का मिला पॉजेशन

punjabkesari.in Friday, Feb 14, 2020 - 12:38 PM (IST)

जींद (मलिक) : शहर में सस्ते आशियाने की उम्मीद में जिन लोगों ने हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट्स के लिए आवेदन कर पैसे जमा करवाए थे उन तमाम लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। 7.50 लाख रुपए कीमत पर जो फ्लैट लक्की ड्रा के जरिए आवेदनकत्र्ताओं को अलाट हुए थे, उनकी कीमत अब 16 लाख के पार जा चुकी है। समय पर हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन अपने अलाटियों को फ्लैट्स का पॉजेशन भी नहीं दे पाया। 

हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन ने जींद में हुडा के सैक्टर-8 में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए मल्टीस्टोरी फ्लैट्स के लिए कई साल पहले आवेदन मांगे थे। आवेदन फार्मों के साथ लोगों ने हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन द्वारा मांगी गई राशि भी जमा करवा दी थी। फ्लैट्स के लिए आवेदन के समय कहा गया था कि साल 2014 में फ्लैट्स को तैयार कर अलाटियों को इनका पॉजेशन दे दिया जाएगा। जिन लोगों ने हाऊसिंग बोर्ड के फ्लैट्स के लिए आवेदन किए थे, उन्होंने उम्मीद लगाई थी कि 2014 में उनके सिर पर अपने फ्लैट की छत होगी लेकिन उनकी उम्मीदों पर हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन की फ्लैट्स के निर्माण में लेट-लतीफी के चलते साल 2014 में तो फ्लैट्स का निर्माण भी शुरू नहीं हो पाया था। 

हाऊसिंग बोर्ड के इन फ्लैट्स का निर्माण कार्य साल 2014 की बजाय 2019 में पूरा हुआ। इस दौरान अलाटियों पर फ्लैट्स की कीमत का बोझ लगातार बढ़ता चला गया। जिस छोटे से 2बी.एच.के. के फ्लैट की कीमत हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन ने शुरू में 7.50 लाख रुपए बताई थी, वह 2018 में बढ़ाकर 16 लाख रुपए कर दी गई। इसी कारण इन फ्लैट्स के अलाटियों में फ्लैट्स को लेकर क्रेज लगातार कम होता गया।

फिलहाल हाऊसिंग बोर्ड के इन फ्लैट्स को लेकर सूरत-ए-हाल यह है कि हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन द्वारा बनाए गए 252 फ्लैट्स में से केवल एक फ्लैट का पॉजेशन अलाटी ने लिया है। बाकी 251 अलाटी इन फ्लैट्स की कीमत को बहुत ज्यादा बताकर और खुद अपनी लेट-लतीफी की मार अलाटियों पर ब्याज और फ्लैट्स की बढ़ी हुई कीमत के रूप में डाले जाने के विरोध में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। इन अलाटियों ने हाईकोर्ट में कहा है कि फ्लैट्स के निर्माण में देरी हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन की ढील के कारण हुई। इसके बावजूद हाऊसिंग बोर्ड प्रशासन फ्लैट्स की बढ़ी हुई कीमत अलाटियों से वसूलना चाहता है और देरी से फ्लैट्स बनाकर अब वह ब्याज भी अलाटियों से लेना चाहता है। 


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Isha

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