दंडी नहीं माने तो संत गोपालदास भी साथ में लेंगे समाधी!
punjabkesari.in Tuesday, Apr 10, 2018 - 05:01 PM (IST)

कुरुक्षेत्र(ब्यूरो): रामराज लाने की मांग को लेकर कुरुक्षेत्र में नौ दिन अनशन करने के बाद सोमवार को श्री रामचरित्र मानस का पाठ कर दंडी स्वामी शरीर त्यागने की मंशा से शुक्रताल रवाना हो गए। यहां से वे अपने गुरु को कमंडल सौंप कर जल समाधि लेने निकलेंगे। हालांकि पहले वे गंगाजी में देह त्यागने की कह रहे थे, लेकिन अब दंडी स्वामी का कहना है कि शुक्रताल पहुंच फैसला होगा कि सरयू नदी में जल समाधि या गंगा में। वहीं शुक्रताल जाने से ऐन पहले संत गोपालदास भी ब्रह्मसरोवर पर पहुंच गए। संत गोपालदास ने दंडी स्वामी को जल समाधि लेने से रोकने को काफी मनाना चाहा, लेकिन दंडी स्वामी अड़े रहे।
इस पर संत गोपालदास ने कहा अगर दंडी स्वामी शुक्रताल जाकर भी जल समाधि लेने से पीछे नहीं हटे तो वो भी उनके साथ जल समाधि लेंगे। संत गोपालदास दंडी स्वामी के साथ ही शाम साढ़े पांच बजे शुक्रताल के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके साथ पानीपत से बाबा जगमेंद्र दास भी साथ गए हैं। संत गोपालदास ने कहा यह देश का दुर्भाग्य है कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए सच्चे संत अपने प्राण देने जा रहे हैं, लेकिन संतों की संवेदना सुनने वाला कोई नहीं है। संतों का मान-सम्मान करने वाली भाजपा सरकार इतनी असंवेदनशील हो गई है कि सरकार की ओर से किसी विधायक या प्रशासनिक अधिकारी तक ने दंडी स्वामी की बात सरकार तक पहुंचा उसे पूरा करने का आश्वासन तक नहीं दिया।
उन्होंने कहा विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस व बजरंग दल जो दूसरी सरकारों में ऐसे संतों को सिरमौर मानने का ढोंग करते थे। अब जब कोई गाय माता, गोचरान भूमि व अपनी सनातन परंपरा बचा रामराज लाने की बात करता है, उसे पागल समझकर कोई सुनने वाला नहीं है। इतना ही नहीं सनातन परंपरा से जुड़े दंडी स्वामी की मांगों को लेकर किसी शंकराचार्य तक ने भी सरकार से बात तक करने का प्रयास नहीं किया। कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर पर बैठे दंडी स्वामी के पांव को हाथ लगाते संत गोपाल दास व अन्य।
मेरी प्रेरणा दंडी, ऐसे संतों की जरूरत
संत गोपालदास ने कहा कि वे गोहाना में थे। जैसे ही उन्हें दंडी स्वामी के बारे में जल समाधि लेने का समाचार सुना, तो तुरंत उन्हें मनाने के लिए कुरुक्षेत्र पहुंचे। उन्होंने दंडी स्वामी के पांव में बैठकर उन्हें ऐसा न करने को मनाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि दंडी स्वामी जैसे संतों की प्रेरणा से ही उन्होंने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में गोमाता की रक्षा को लेकर आवाज बुलंद की।
ऐसे संतों का समाज में रहना बेहद जरूरी है। दंडी स्वामी ने कहा वे शुक्रताल मुज्जफरनगर में दंडी स्वामी आश्रम में अपने गुरु को कमंडल सौंपेंगे। वहीं गंगा में प्राण छोड़ना चाहते हैं, लेकिन कुछ दास उन्हें सरयू नदी अयोध्या में जल समाधि लेने बारे कह रहे हैं। यह शुक्रताल जाकर ही सुनिश्चित होगा, कि वे कहा जाएंगे। यह कहकर दंडी स्वामी अपना कमंडल लेकर शुक्रताल के लिए निकल गए।