मिट्टी के दीयों की मांग घटी, कुम्हार अपना कारोबार बदलने पर मजबूर

punjabkesari.in Monday, Oct 29, 2018 - 10:56 AM (IST)

ऐलनाबाद(विक्टर): जैसे-जैसे समय में तबदीली आती गई वैसे-वैसे दीपावली पर मिट्टी के दीयों की टिमटिमाती रोशनी लुप्त होती गई। रैडीमेड दिए, मोमबत्ती व बिजली की लाइटों ने अब उनका स्थान ले लिया है। जिससे कुम्हार समाज ने अपना मिट्टी के बर्तन बनाने का पुश्तैनी कारोबार समाप्त कर रोजी रोटी कमाने के लिए अपना कारोबार भी बदल लिया है। इसकी मुख्य वजह इस समाज के प्रति सरकार की उदासीनता भी है। कभी समय था कि दीपावली पर्व से पहले कुम्हार समाज का चाक दिन-रात चलता था। दीयों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौने भी खूब बनाए जाते थे।

दीपावली त्यौहार पर ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में समाज के लोग पहले से ही खिलौने व दीए बनाकर स्टॉक कर लेते थे और दीपावली के मौके पर उनकी कई माह की रोजी रोटी निकल जाती थी लेकिन आज कुम्हार समाज के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। अब मोमबत्ती, रैडीमेड दिये व बिजली की लडिय़ों ने दीयों का स्थान ले लिया है। पवन कुमार, शिवकुमार, पन्नालाल प्रजापति व बुजुर्ग महिला रेशमा रानी ने बताया कि उन्हें मिट्टी के बर्तन व दीये बनाने के लिए मिट्टी यहां से 30-35 कि.मी. दूर से लानी पड़ती है जिस पर हमें काफी आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है। 


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Rakhi Yadav

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