सोशल मीडिया ने बढ़ाई पुस्तकालय से ‘दूरी’

punjabkesari.in Sunday, Jul 14, 2019 - 02:20 PM (IST)

सिरसा: संचार एवं सूचना के इस दौर में सबसे अधिक असर पठन-पाठन पर पड़ा है। साहित्य की वाहक कही जाने वाली सरसाई नगरी भी इससे अछूती नहीं है।  सरसाई नगरी में आधा दर्जन बड़े पुस्तकालय हैं पर अब पहले जैसी भीड़ नहीं उमड़ती है। युवा वर्ग के अंतरताने पर सोशल मीडिया में व्यस्त रहने का नतीजा है कि आज पुस्तक प्रेम कम हो गया है। पहले हर रोज पुस्तकालयों में सैंकड़ों लोग आते थे, अब ऐसा नहीं है। पिछले डेढ़ दशक में पुस्तकालयों में आने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। अब युवा वर्ग न तो यहां दस्तक देता है और न ही पुस्तक के प्रति अपनी रुचि प्रकट करता है। चूंकि उसका ध्यान फेसबुक अथवा व्हाट्सएप या इंटरनैट की अन्य साइटों पर हो चला है।

ई-पुस्तकालय बना जिला पुस्तकालय
जिला पुस्तकालय जब तक साधारण पुस्तकालय था, उस समय यहां पाठकों का नितांत अभाव था। नए दौर में नई परिपाटी पर चलते हुए प्रशासन को आखिरकार इस पुस्तकालय को संचार माध्यम से जोडऩा पड़ा। कुछ माह पहले इसे ई-पुस्तकालय के रूप में स्थापित किया गया। 1989 में इस पुस्तकालय की स्थापना हुई। जिला पुस्तकालय में इस समय विभिन्न विधाओं से संबंधित करीब 15 हजार पुस्तकें उपलब्ध हैं।

घोड़ों के तबेले में बनी थी लाइब्रेरी
दरअसल, सरसाईनाथ नगरी का साहित्य से पुराना व रोचक नाता है। यहां पहला पुस्तकालय आज से करीब 92 बरस पहले एक घुड़शाला के तबेले में 7 नौजवानों ने शुरू किया था। करीबन 3 लाख की आबादी को समेटे इस छोटे से नगर में 3 पुस्तकालय हैं।  श्री युवक समिति पुस्तकालय ज्ञान के अथाह भंडार को समेटे है और वर्तमान संदर्भ के लिहाज से जिला पुस्तकालय ई पुस्तकालय के रूप में संचालित हो रहा है। पुस्तकालय संस्कृति है लेकिन पठन-पाठन की संस्कृति अब कम हो रही है। पहले पुस्तकालयों में पढऩे वालों की भीड़ उमड़ती थी, अब ऐसा नहीं है।आज से डेढ़ दशक भर पहले श्री युवक साहित्य सदन में संैकड़ों पाठक अपनी साहित्यिक पिपासा शांत करने आते थे। अब यह संख्या दर्जनों तक सिमट गई है। दूसरे पुस्तकालयों के लिहाज से भी कमोबेश यही स्थिति है। 


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Isha

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