ऐतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ में जमकर चल रहा अवैध निर्माण...नहीं रोक रही सरकार

punjabkesari.in Thursday, Aug 25, 2016 - 04:09 PM (IST)

फरीदाबाद (अनिल राठी): देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद राजा नाहर सिंह के महल पर इन दिनों ऐतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ में जमकर अवैध निर्माण चल रहा है, लेकिन शहीदों के सम्मान का दावा करने वाली भाजपा की सरकार में न इन अवैध निमार्णों को कोई रोकने वाला है न टोकने वाला। 

 

दरअसल ऐतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह को 9 जनवरी 1858 को अंग्रेजों ने दिल्ली के टाउन हाल के सामने सरेआम फांसी पर लटका दिया था। उस समय अंग्रेजों ने बल्लभगढ की रियाशत को नेस्तानाबूद करने के आदेश जारी किए थे पर अंग्रेजी सरकार जिस काम को नहीं कर पाई उस काम को अब भाजपा की सरकार कर रही है। दिखाई दे रहा यह निर्माण असल में राजा नाहर सिंह के मटिया महल को तोड़ कर चल रहा है, लेकिन इस तरफ कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। असल में यहां पर निर्माण करने वालों ने निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर इस जमीन पर 2 साल पहले एक नक्शा पास करा लिया था। उसी के चलते यह निर्माण दिन रात चल रहा है, और निगम में यह सुनने वाला कोई नहीं है कि आखिर सरकारी जमीन पर नक्शा पास कैसे हो गया। 

 

हालांकि जब फरीदाबाद नगर निगम आयुक्त महावीर प्रसाद से बात हुई तो वह यह मानने को तैयार हैं कि इस जमीन में कुछ हिस्सा सरकारी भी है, पर इतना होने के बाद भी वह इस निर्माण को पहले डी.पी.सी. तक आने देने के इंतजार में बैठे हैं क्योंकि उनके अनुसार सी.पी.टी. ने उनको कहा है कि डी.पी.सी. तक पहुचने पर ही वह यह देख कर कि भवन नक्शे के अनुसार बन रहा है या नहीं यह तय करेंगें कि यहां पर तोड़-फोड़ होनी है या नहीं। जब निगमायुक्त इस बात को स्वयं मान रहे हैं कि इस जमीन में कुछ हिस्सा सरकारी आ रहा है उस पर वह कार्रवाई को तैयार नहीं हैं, हालांकि वह नोटिस देने की बात कर सब से पल्ला झाड़ रहे हैं।

 

असल में यदि इस पूरे मामले पर गौर किया जाए तो निगम के अधिकारियों की मोटी मिलीभगत इस मामले में दिखाई देती है। सरकारी रिकार्ड के अनुसार मटिया महल खसरा 195 पर था तथा उसको रिकार्ड में भी सरकारी जमीन माना गया है जो कि यही स्थान है जहां पर यह निर्माण चल रहा है। जबकि अवैध निर्माणकर्ताअों का कहना है कि खसरा इसके पास में सन् 1935 में बने टाउन हाल के कुछ हिस्से में हैं। 

 

जानकारों का कहना है कि जब बल्लभगढ की चकबंद सन 1955 के आस-पास हुई है तो फिर सरकारी भवन की आधी जमीन आबादी और आधी किसी खसरे में कैसे हो सकती है।

 

हरियाणा की भाजपा सरकार बेशक बार-बार यह लाख दावा करे कि शहीदों की चिताअों पर लगेगें हर बर्ष मेले, वतन पर मर मिटने वालों का यही बाकीं निंशा होगा, पर असलियत यह है कि इस सरकार में शहीदों के साथ वही कुछ हो रहा है जो कि अंग्रेजी शासन चाहता था। उनके निशानों को मिटाया जा रहा है।

 

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