फोर्टिस प्रशासन पर दर्ज होगा मुकद्दमा, विज ने ब्लड बैंक का लाइसेंस रद्द करने के दिए आदेश

punjabkesari.in Thursday, Dec 07, 2017 - 10:28 AM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में महीनों पहले 7 वर्षीय बच्ची आध्या की मौत और करीब 16 लाख रुपए बिल बनाने के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। स्वास्थ्य महकमे की 3 सदस्यीय जांच कमेटी ने अस्पताल में कई तरह की खामियां पाई हैं। कमेटी की जांच के आधार पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि अनियमितताओं के आधार पर फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाएगा तथा अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसैंस रद्द करने के आदेश दिए गए हैं। 

इसके अतिरिक्त, अस्पताल की जमीन की लीज कैंसल करने संबंधी संभावनाओं को तलाशने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा जाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डा. राजीव वडेरा के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था जिसमें एक निदेशक, सिविल सर्जन गुरुग्राम, उपायुक्त गुरुग्राम के प्रतिनिधि, 2 वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक, फॉरैंसिक एक्सपर्ट तथा पी.जी.आई.एम.एस. रोहतक के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे। इस रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली में पाई गई खामियों एवं अनियमितताओं के चलते उक्त कार्रवाई की गई है। जांच कमेटी के सामने बच्ची के अभिभावकों ने भी बयान दर्ज करवाए हैं।

इलाज में डायग्नोज प्रोटोकॉल का हुआ उल्लंघन
स्वास्थ्य मंत्री विज ने बताया कि जांच के अनुसार बच्ची को 31 अगस्त से 14 सितम्बर तक गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के बाल आई.सी.यू. में दाखिल करवाया गया था। इस दौरान अस्पताल ने न केवल डायग्नोज प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया बल्कि आई.एम.ए. के नियमों की भी अनदेखी की गई। इसके लिए एम.सी.आई. को भी उचित कार्रवाई के लिए लिखा गया है।

सस्ती की बजाय महंगी दवाइयों का किया प्रयोग
जांच में पाया गया कि बच्ची के उपचार में जनेरिक और सस्ती दवाइयों की बजाय अस्पताल ने जानबूझकर आई.एम.ए. के नियमों का उल्लघंन करते हुए महंगी दवाइयों का प्रयोग किया गया। विज ने बताया कि जो इंजैक्शन 500 रुपए का था उसके बजाय 1300 रुपए वाला इंजैक्शन दिया गया। जांच कमेटी के अनुसार 16 लाख रुपए के बिल में आधे से ज्यादा पैसे गलत तरीके से बनाए गए हैं। इसके अलावा बच्ची को 25 यूनिट प्लेटलैट्स चढ़ाई गई जिसमें पहले 17 यूनिट का पैसा 400 रुपए यूनिट के हिसाब से लिया गया जबकि 8 बार 2400 रुपए यूनिट चार्ज किया गया।

एम्बुलैंस देने में भी बरती गई लापरवाही
जांच रिपोर्ट में यह भी पाया कि फोर्टिस अस्पताल प्रशासन की ओर से बच्ची को दूसरे अस्पताल में जाने के लिए दी गई एम्बुलैंस में भी लापरवाही बरती गई। विज ने खुलासा किया कि अधिक बिल बनाने और बच्ची की हालत ठीक नहीं होने के कारण बच्ची के अभिभावक उसे किसी अन्य अस्पताल में ले जाना चाहते थे। इस दौरान भी अस्पताल द्वारा की गई घोर अनियमितताएं सामने आईं। आई.एम.ए. के निर्देशानुसार मरीज की हालत के अनुसार उसे एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलैंस दी जानी चाहिए थी परंतु मरीज को बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलैंस उपलब्ध करवाई जिसमें ऑक्सीजन एवं अन्य सुविधाएं नहीं थीं। जांच कमेटी के सामने बच्ची के अभिभावकों ने बताया कि सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी तौर पर स्वयं ही कर लिए थे।

दूसरे बड़े अस्पतालों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी
विज ने कहा कि फोर्टिस की तरह से सरकार से जमीन लेने वाले दूसरे बड़े अस्पतालों पर भी शिकंजा कसा जाएगा। विज ने कहा कि नियमानुसार हुडा से जमीन लेने वालों को 25 फीसदी कमजोर वर्ग के लोगों का इलाज फ्री करना होता है और अन्य उसमें रियायत देनी पड़ती है लेकिन मौजूदा समय में इन नियमों की पूरी तरह से अवहेलना की जा रही है।

डेंगू की सूचना नहीं देने पर भी होगी कार्रवाई
विज ने बताया कि किसी भी अस्पताल को डेंगू के मरीज संबंधी जानकारी स्थानीय सरकारी नागरिक अस्पताल को देनी होती है परंतु फोर्टिस अस्पताल ने ऐसा नहीं किया। इसके लिए सिविल सर्जन गुरुग्राम ने अस्पताल को नोटिस जारी किया है जिसमें सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अस्पताल ने मरीज को 25 बार प्लेटलैट्स चढ़ाए, इसमें भी अतिरिक्त बिल बनाया गया। इस पर कार्रवाई करते हुए अस्पताल के ब्लड बैंक का लाइसैंस रद्द करने के आदेश दिए गए हैं।


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