साक्षात्कारः इंटरव्यू के दौरान विज की आंखो से निकले आंसू, कहा-गलतफहमी थी कि मैं पार्टी का कोई बड़ा व्यक्ति हूं

punjabkesari.in Monday, Apr 15, 2024 - 09:42 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): हर दर से मायूस पीड़ित के लिए आखिरी और सबसे बड़ी उम्मीद अनिल विज का दरबार अब पूरे प्रदेश की जनता को इंसाफ नहीं दे रहा, क्योंकि हाल फिलहाल वह मंत्री नहीं है।बतौर विधायक वह अब केवल अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता की समस्याएं सुनते हैं। प्रदेश की जनता के सबसे चहेते और पसंदीदा नेता अनिल विज आज बदली राजनीतिक परिस्थितियों में लगभग साइड लाइन कर दिए गए हैं। जनसंघ से जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी के रूप में हुए बदलाव के हर दौर में पार्टी का झंडा बुलंद करने वाले -तत्कालीन सरकारों के लिए खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले- हर प्रकार का त्याग और बलिदान करने वाले अनिल विज आज किस दौर से गुजर रहे हैं। उनकी आगामी कार्यशैली क्या देखने को मिलेगी, इस बारे विस्तार से बात हुई। पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान अनिल विज ने पुराने उस दौर के संघर्ष की यादें ताजा की, जब पार्टी और संगठन के लिए उन्होंने खूब लड़ियां खाई।

इस मौके पर अनिल विज भावुक हो गए और उनकी आंखों में पानी (आंसू) दिखने लगे। उन्होंने कहा कि मेरी यह गलतफहमी दूर हो गई कि मैं पार्टी का कोई बड़ा व्यक्ति हूं। उन्होंने कहा कि मैं एक साधारण और छोटा सा कार्यकर्ता हूं, इसी कारण से उनसे मुख्यमंत्री बदलाव की बात शेयर नहीं की गई। बातचीत के दौरान उन्होंने भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल होने वाले पिता- पुत्र वीरेंद्र और बृजेंद्र को प्रवासी पॉलीटिशियन बताया। साथ ही उन्होंने साफ किया कि वह अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़ कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए कतई नहीं जाएंगे। कई महत्वपूर्ण विषयों पर हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं: 

प्रश्न:- बैंक कर्मचारी से गृहमंत्री तक के सफर के बारे में कुछ बताएं ?

उत्तर:- देश में राजनीति या तो पैसे के बल पर होती है यह बाहुबली के दम पर। 1969-70 में पढ़ाई के दौरान ही विद्यार्थी परिषद से जुड़ा और उसके माध्यम से संघ से जुड़ गया। 1972 में मेरी ग्रेजुएशन हुई और 1974 में बैंक में नौकरी मिल गई। लेकिन सरकारी कर्मचारियों के बावजूद संगठन और उनसे जुड़ी संस्थाओं से लगातार जुड़ा रहा। विश्व हिंदू परिषद का भी महामंत्री रहा और भारत विकास परिषद का भी। बहुत रुचि से मैंने संगठनात्मक रूप से काम किया। उस समय जनसंघ का चुनाव निशान दीपक होता था मैंने दीपक के लिए भी वोट मांगी है। उम्र काफी छोटी थी लेकिन मेहनत बहुत की है।

एमरजेंसी के समय को भी बहुत नजदीक से देखा। उस समय भी काफी सक्रियता के साथ काम किया। नियमित हर चुनाव में काम करते रहे। बैंक से उस दौरान एक-एक दो-दो महीने की छुट्टी लेकर भी काम किया। इमरजेंसी के वक्त जब सरकारी कर्मचारी इस प्रकार का कोई नाम नहीं लेता था उस दौरान भी मैंने दो महीने की छुट्टी ली, एक महीना सूरजभान जी और एक महीना सुषमा स्वराज जी के साथ लगाया। कभी नहीं सोचा था कि विधायक बनूँगा, लेकिन 1990 में सुषमा स्वराज जी के राज्यसभा में जाने के बाद अंबाला कैंट उप चुनाव घोषित हुआ। काफी लोग चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन संगठन मुझे लड़वाना चाहता था और मैं मना कर देता था। क्योंकि नौकरी से मैं काफी खुश था। नौकरी और पार्टी दोनों का काम कर रहा था। मुझ पर काफी दबाव पड़ा। नॉमिनेशन के दो दिन पहले मुझे रोहतक बुलाया गया। दो सीनियर नेता जगदीश गोयल और सोम प्रकाश चोपड़ा भी मेरे साथ वहां गए। जहां मुझ पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव डाला गया। मेरी 17 साल की नौकरी थी। 20 साल की होने पर पेंशन और अन्य सरकारी फंड इत्यादि मिलते, इसलिए नहीं छोड़ना चाहता था। लेकिन मुझ पर रिजाइन देने का दबाव पड़ा। फिर मैंने चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गया। सीढ़ियां चढ़ता रहा बहुत से उतार-चढ़ाव जीवन में आए। लेकिन अपना काम हम लगातार समर्पित भाव से करते रहे।

प्रश्न:- श्रीराम मंदिर मामले में आपने काफी यातनाएं सही, काफी बलिदान दिया, फिर भी एक दौर में आपको निर्दलीय चुनाव लड़ने पड़े, ऐसा क्यों ?

उत्तर:- इसका क्या कारण था, मैं नहीं जानता। आरएसएस ने मुझे कहा त्यागपत्र दे दो, तो मैंने दे दिया। मैं 14 वर्ष तक पार्टी से बाहर रहा, चाहता तो किसी भी पार्टी में जा सकता था। बंसीलाल की पार्टी भी कहती थी कि आ जाओ। चौटाला ने भी कहा और अन्य पार्टियों के नेता भी मेरे घर पर आए। चाहता तो किसी भी पार्टी में जा सकता था, लेकिन नहीं गया। मैं बीजेपी के दरवाजे पर बैठा रहा और पूछता रहा कि मुझे क्यों निकाला है, मेरा दोष बताओ। लेकिन किसी ने नहीं बताया। काफी हायर लेवल पर बात जाने के बाद जिसने मुझसे त्यागपत्र लिया था वह उन दिनों श्रीनगर में काम कर रहा था, उसे श्रीनगर से बुलाया गया, उसने आने के बाद बताया कि मुझसे गलती हो गई थी। गलती किसी ओर ने की थी लेकिन भाजपा की मीटिंग के दौरान यह कहा गया कि गलती अनिल विज ने की थी। लेकिन कुछ समय के बाद ही खुद गलती करने वाले ने अपनी गलती को माना। इस प्रकार की घटनाएं मेरे साथ घटी है।

14 साल भगवान राम ने भी वनवास काटा, लेकिन वह भगवान थे और मैं एक आम आदमी। मैं किस तरह से 14 साल जीवित रहा मैं ही जानता हूं। मैंने उस दौरान दो चुनाव भी जीते। मेरे खिलाफ बड़ी ताकत लगाई गई, तीसरा चुनाव भी मैं केवल 562 वोटो से ही हारा। 2009 में जब विजय गोयल हरियाणा प्रभारी थे मुझे रोज फोन करते थे कि आपसे बात करनी है। मैं कहता रहा कि चुनाव के बाद ही बात करूंगा, मुझे आपसे अभी कोई बात नहीं करनी। क्योंकि मैंने अपने चुनाव कार्यालय का भी उद्घाटन कर लिया था, पूरे शहर में मेरे हार्डिंग लग गए थे, लेकिन रोजाना जब बात करने के लिए दबाव आया तो मेरे सीनियर लोगों ने बात करने की सलाह दी। हम गए, हमें विजय गोयल ने कमरे में बिठाया और चाय पीने के लिए बोलकर यह कह कर चले गए कि थोड़ी देर में आकर बात करते हैं। 1 घंटे बाद ही टीवी पर भाजपा की लिस्ट जारी होने की पट्टी चल गई, जिसमें कैंट से अनिल विज को उम्मीदवार बनाया गया। जबकि मैंने ना ही कोई एप्लीकेशन दी थी और न हीं मैं पार्टी का सदस्य था। मेरे साथ 25 साथी दिल्ली गए हुए थे, मुझे इसलिए गुस्सा आया, क्योंकि मेरे साथी सोचेंगे कि शायद पहले से ही कोई बातचीत कर ली थी, हमें केवल मूर्ख बनाने के लिए साथ लाया है, सारे साथी मेरी तरफ प्रश्न चिन्ह लगाकर देखने लगे। लेकिन मेरी हमेशा आदत रही है कि मैं हर स्थिति को साथियों से स्पष्ट करके चलता हूं। फिर मैं बीजेपी हेडक्वार्टर अशोका रोड गया, जहां विजय गोयल मिले। मैंने कहा कि मुझे बात करने के लिए बुलाया था और नाम अनाउंस कर दिया तो गोयल ने कहा कि हमने जो करना था कर दिया, तुझसे जो होता है कर ले। बात कर ही रहे थे इतने में राजनाथ सिंह जी आ गए। मैंने उन्हें नमस्ते की। उन्होंने कहा कि अनिल भाई सीट चाहिए। हरियाणा में बहुत बुरा हाल है। मैंने कहा सीट तो आ ही जाएगी। सीट की कोई दिक्कत नहीं है। इस प्रकार से मैं 2009-2014 और 2019 में भी चुनाव जीता। मुझे लोग जिताते हैं और छह बार मैं चुनाव जीत चुका हूं। मैंने बहुत टफ टाइम फेस किए हैं।

प्रश्न :- जनसंघ और अब भाजपा इस दौरान के सभी संघर्षों में आप शामिल हुए। भाजपा की कई राज्यों में सरकारे हैं केंद्र में भी सरकार है। उस समय और आज के दौर में क्या बदलाव आप देख रहे हैं?

उत्तर:- यह सारा सफर मैंने देखा है। 1977 में जब दिल्ली में जनता पार्टी का पहला अधिवेशन था, मैं उसमें शामिल हुआ। मैंने वह नजारा देखा है जब इंदिरा गांधी को हराने वाले नेता राम नारायण के पीछे सारे लोग भाग रहे थे और किसी लीडर के पीछे जनता नहीं थी। 1980 में मुंबई अधिवेशन में मैं नहीं जा पाया था, क्योंकि सरकारी कर्मचारी था, थोड़ा सा परहेज रखना पड़ता था।

 प्रश्न:- अनिल विज को कोई बड़ा भाई, कोई बाबा जी, कोई गब्बर, कोई बब्बर शेर के नाम से पुकारते हैं यानि अनिल विज एक और नाम अनेक, कैसा महसूस करते हैं ?

 उत्तर:- यह लोगों का प्यार है जो मर्जी कहें। मैं अनिल विज था, हूं और अनिल विज रहकर ही काम करता रहूंगा।

प्रश्न:- गब्बर जैसे नाम से आपको आपत्ति होती है या प्रसन्न्ता ?

उत्तर:- प्यार से कोई कुछ भी कहे, घर में भी लोग जिससे प्यार करते हैं उसे अनेक नामों से बुला लेते हैं।

प्रश्न:- जब प्रदेश में केवल दो-चार विधायक ही भाजपा के होते थे, उनमें आप भी शामिल थे, उस दौरान विज की गाड़ी में दरी काफी मशहूर थी ?

उत्तर:- हमने कभी भी नाइंसाफी नहीं सही। हमने काफी संघर्ष किया है। अयोध्या में पहली बार जब मैं गया तो अरेस्ट हो गया था। मै 15 दिन के करीब जेल में रहा। दूसरी बार जब आंदोलन हुआ तो वहां कल्याण जी की सरकार थी, 6 दिसंबर से 10-12 दिन पहले ही संगठन ने मुझे वहां बुला लिया था, हम वहां टेंट लगा कर रहे। आसपास सारी कब्रे थी। उनके बीच में टेंट लगाया था। रोजाना वही सोते थे। वह समय भी देखा है। वह ऐतिहासिक मूवमेंट भी देखा जब लोगों के सब्र का बांध टूट गया। लोगों ने मंदिर के स्थान पर जो कुछ भी बना रखा था उसे धराशाही कर दिया। मैंने अपनी आंखों से सब कुछ देखा। उस इतिहास का मैं हिस्सा रहा हूं। उसके बाद हमारे खाते भी फ्रीज़ हुए थे। अंबाला जिले में तीन लोगों मेरे, मास्टर शिव प्रसाद और नरदेव शर्मा जो कालका से एक बार चुनाव लड़े के खाते फ्रीज़ हुए। उसके बाद दिल्ली में बहुत बड़ा प्रदर्शन था। प्रशासन ने कहा कि हम एक आदमी भी नहीं जाने देंगे। अंबाला छावनी से 200 लोग लेकर मैं वहां पहुंच गया था। जहां आडवाणी जी ने गिरफ्तारी देनी थी वही मेरी ड्यूटी थी। पुलिस की बहुत भारी व्यवस्था थी। पुलिस की शेलिंग देख वहां मौजूद 10000 लोग वहां से भाग गए। मैं अकेला आडवाणी जी के आगे हाथ फैलाकर खड़ा रहा। आडवाणी जी ने मुझसे कहा पुलिस को कहो यह बंद करें मैं गिरफ्तारी दूंगा। मैं वहां गया और उन्हें यही बात कही। उन्होंने पूछा कि आप कौन मैंने कहा कि हरियाणा युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष हूं, यह सब बंद करो। फिर गाड़ी आई और आडवाणी जी गाड़ी में पिछली साइड पर बैठे। मैंने आडवाणी जी से पूछा मेरे लिए क्या आदेश है, उन्होंने कहा कि जो सब भाग गए हैं, उन्हें कहो गिरफ्तारी दें। मैंने सभी को कहा इतने में बसे आ गई और बसों में लोग चढ़ने लगे। लोग गिरफ्तारी देने लगे। एक बस में रामविलास जा रहे थे, उन्होंने कहा कि विज जी आगे बढ़ो। मैं आगे बढ़ने लगा और आगे पुलिस डंडे लेकर खड़ी थी। मैंने कहा हटाओ इसको मेरे प्रधान जी का आदेश है कि आगे जाना है। मैंने धक्का मार कर बेरीगेटस तोड़ दिए। बस फिर तो दे दनादन लाठी चार्ज जबरदस्त हुआ। उस लाठी चार्ज का अभी मैंने पीजीआई से ऑपरेशन करवाया है क्योंकि लाठी चार्ज से मेरे सिर में गांठ बन गई थी। ऐसा अनेकों बार हुआ और हमें इस चीज का कोई मलाल नहीं है और भी कई स्थानों पर काफी लोगों के डंडे खाए हैं।

प्रश्न:- इतने त्याग के बावजूद मुख्यमंत्री परिवर्तन की इतनी बडी बात आपसे छुपाई गई, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री की गाड़ी में आप मौजूद थे उस दौरान ?

 उत्तर:- इसी बात की दिल को ठेस पहुंचती है। मैं सबसे सीनियर हूं। छह बार का जीता हुआ हूं बाकी सब ज्यादा से ज्यादा तीन बार के विधायक हैं। कम से कम अरे भाई मुझे बता तो दो। हम आपके अपने आदमी हैं। करो बेशक अपनी मर्जी। मैं सारा दिन साथ रहा, लेकिन मुझे नहीं बताया गया, इसी बात का दुख है और कोई बात है ही नहीं। जब आपको हम पर विश्वास ही नहीं है तो फिर बहुत मुश्किल है।

प्रश्न:- अपने खून पसीने से आपने पार्टी को सींचा, इतना सफ़र किया, आज फीलिंग क्या है ?

उत्तर:- कोई फीलिंग नहीं है। अपना काम हम कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही है कि मुझको गलतफहमी थी कि मैं पार्टी का कोई बड़ा व्यक्ति हूं। लेकिन मुझे पता लग गया कि मैं पार्टी का छोटा सा- मामूली सा कार्यकर्ता हूं और मेरे स्तर के कार्यकर्ता से बातें शेयर नहीं की जाती, यह मुझे समझ में आ गया है। यह भी बात समझ में आ गई है कि मुझे अपनी विधानसभा तक सीमित रहना है और मैं अपनी विधानसभा में काम कर रहा हूं। चुनाव आ गया है। चुनाव को जितवाने के लिए वर्कर्स मीटिंग- इकाइयां बनाना- सब कमेटिया बनाने इत्यादि का काम मैंने किया है। जल्द दो-तीन दिन में ही हम चुनाव अभियान भी शुरू करने वाले हैं। कार्यकर्ताओं के घर-घर जा जाकर भी मन ठीक किया है। कई जगह जहां मैं सोचता था अपने शहर में गया हूं बड़े प्रभावी ढंग से हम चुनाव लड़ेंगे।

प्रश्न:- विज के दरबार में प्रदेश के कोने-कोने से पीड़ित पहुंचते थे, अब उन लोगों की सुनवाई का रास्ता क्या है ?

उत्तर:- अब मेरी तो कोई हैसियत नहीं रही है कि मैं सुनकर कुछ कर सकूं। जब थी मैंने किया है। अब जो मेरी स्थिति है उसके मुताबिक ही करूंगा। अपने हलके के लोगों के काम उसी दिन से कर रहा हूं। वैसे ही अपने हलके के लोगों की समस्याएं सुन रहा हूं। बतौर मंत्री बाहर के कार्यों के आदेश देता था। लेकिन अब मेरी पावर विड्रॉ हो गई है। अब मेरी जगह कोई और करेगा।

प्रश्न :- अनिल विज अपनी मर्जी से मंत्री नहीं बने या कोई ओर कारण था ?

उत्तर:- बनाने या बनने तक की बात ही नहीं आई थी। मुझे ही अच्छा नहीं लगा कि मुख्यमंत्री बदला जा रहा है और मुझे जानकारी तक नहीं है। इसलिए मैं अपने घर चला गया था।

प्रश्न:- उपमुख्यमंत्री अनिल विज हो रहे हैं, हो सकते हैं, इस प्रकार के कयास और चर्चाएं लगातार चलती रही उस दौरान ?

 उत्तर:- कौन - क्या चर्चा करता है मुझे नहीं पता। लेकिन मेरे साथ किसी की कोई बात नहीं हुई थी।

प्रश्न:- क्या अनिल विज अन्य क्षेत्र में भी चुनाव प्रचार के लिए जा सकते हैं ?

उत्तर:- मैं अपना सारा ध्यान अपने क्षेत्र में ही केंद्रित करूंगा। मेरी अंबाला की जनता ने मुझे छह बार विधायक बनाया है, मै उनके काम ही करूंगा। मुझे चाहे अपने सर धड़ की बाजी भी लगानी पड़ेगी तो मैं लगाऊंगा। मेरी उनके प्रति जिम्मेदारी है और मैं वही काम करूंगा।

प्रश्न:- भाजपा प्रत्याशियों के विरोध की भी कुछ जगह से मीडिया- सोशल मीडिया पर खबरें चल रही है, इसे कैसे रोका जा सकता है ?

उत्तर:- हमारी पार्टी के बड़े-बड़े नेता ही इसका जवाब दे सकते हैं। वही इसके बारे में कुछ सजेस्ट कर सकते हैं।

प्रश्न:- राजनीति में कभी भी कुछ भी संभावित है, आपके इस बयान में संभावित शब्द का क्या अर्थ है ?

 उत्तर:- यह तो जनरल सी बात है। राजनीति में हमेशा तैयार रहना चाहिए। मैंने अभी विस्तार से भी बताया आपको कि बहुत से उतार-चढ़ाव मैंने देखे हैं।

प्रश्न:- वीरेंद्र डूमरखा और बृजेंद्र सिंह भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए, इस घटनाक्रम को कैसे देखते हैं ?

उत्तर:- कुछ लोग प्रवासी पक्षी होते हैं जो मौसम के हिसाब से स्थान बदलते हैं। आपने देखा होगा कि साइबेरिया तक के पक्षी यहां हर साल आते हैं, मौसम बदलता है तो वह चले जाते हैं। यह इसी प्रजाति के पॉलिटिशियन है।

प्रश्न:- कांग्रेस 10 की 10 सीटों पर प्रत्याशी तक घोषित नहीं कर पा रही, इस पर क्या कहेंगे ?

उत्तर:- कांग्रेस का कोई संगठन तक नहीं है। यह 10 साल में संगठन तक नहीं बना पाए। जिस प्रकार से बड़ी कंपनियों में जब कोई प्रोडक्ट तैयार हो जाता है तो उसके लिए वह नीचे एजेंसी बांटते हैं और उसमें भावमोल भी करते हैं वैसा ही इसमें भी भावमोल हो रहा है। किसे-कहां से खड़ा करना है उसका हिसाब किताब हो रहा है और हिसाब किताब में तो टाइम लगता ही है।

प्रश्न:- देश में मोदी तीसरी बार अबकी बार 400 पार ?

उत्तर:- मोदी जी देश का भविष्य है। मोदी जी ने जो किया आज तक कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया। जो कांग्रेस महात्मा गांधी का नाम लेकर आजादी के बाद से सरकार चलाती रही, गांधी ने स्वच्छता पर जोर दिया उस पार्टी ने स्वच्छता के बारे में कभी सोचा तक नहीं। 70 साल के बाद कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आता है जो लाल किले से खड़े होकर स्वच्छता की बात करता है। 70 साल तक लोगों को पीने तक का पानी नहीं मिला। लेकिन मोदी कहता है कि हर घर नल और हम में में जल और वह पहुंचा दिया। हर घर में बिजली पहुंचा दी। आप एक बात बताएं कि क्या पहले गैस सिलेंडर नहीं होते थे, क्या पहले माताएं - बहनों की आंखों में धूंआ नहीं जाता था, लेकिन किसी ने नहीं सोचा जो मोदी ने सोचा भी और किया भी। उज्ज्वला योजना के तहत हर घर में सिलेंडर पहुंचा।  बीमारी से लोगों के घर बर्बाद हो जाते थे, मोदी ने आयुष्मान भारत योजना दी। पाकिस्तान से रोजाना आतंकवादी देश में घुसते थे और लोगों को मारकर चले जाते थे। लेकिन पहली बार कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आया जिसने उन्हें घर में घुसकर मारा। पहली बार कोई प्रधानमंत्री आया जिसने चंद्रमा पर रॉकेट उतार दिया। पहली बार कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आया जो विकसित भारत की कल्पना कर रहा है। आखिर कांग्रेस क्यों नहीं कर सकी। जबकि उन्हें बहुत मौके मिले। 70 साल तक उन्होंने देश पर राज किया। हमारे बाद जो देश आजाद हुए वह विकसित बन चुके हैं, लेकिन हम छोटी-छोटी जरूरत के लिए अभी भी संघर्ष कर रहे हैं, इसलिए मोदी देश का भविष्य है।

प्रश्न:-  विज का ड्रीम प्रोजेक्ट अंबाला से जहाज की उड़ान का क्या अपडेट है ?

उत्तर:- वह सारे काम हो रहे हैं। मैं नियमित उनकी निगरानी कर रहा हूं।

(पंजाब केसरी हरियाणा की खबरें अब क्लिक में Whatsapp एवं Telegram पर जुड़ने के लिए लाल रंग पर क्लिक करें)

 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Saurabh Pal

Recommended News

Related News

static