फरीदाबाद के कोट गांव की सामलात भूमि देने का आरोप
punjabkesari.in Friday, Jun 07, 2019 - 02:25 PM (IST)

गुडग़ांव (मार्कण्डेय पाण्डेय): अरावली की तकरीबन 400 एकड़ भूमि को बाबा रामदेव को देने का आरोप सामने आया है। फरीदाबाद के कोट गांव से लगे भूमि को नियमों की अनदेखी करके बाबा रामदेव को विश्वविद्यालय बनाने के लिए दिया जा रहा है जो कि ग्राम समाज की सार्वजनिक भूमि बताई जाती है। इस भूमि को लेकर कंसोलिडेशन प्रक्रिया गुडग़ांव प्रशासन के पास लंबित है। साल 2014 से 2016 के बीच ही तीन सौ पॉवर ऑफ एटार्नी समझौता बनवाकर सार्वजनिक भूमि को बेचने का आरोप है। गुडग़ांव-फरीदाबाद को जोडऩे वाले स्टेट हाईवे पर स्थित कोट गांव अरावली में स्थित है। इस गांव में करीब ढाई सौ परिवार रहते हैं और यह सरकार के मास्टर प्लान 2031 के अंर्तगत आने वाला गांव है। इसके अंर्तगत आठ लेन की सड़क का निर्माण होना है जो कि गुडग़ांव-फरीदाबाद सहित दक्षिण दिल्ली को जोड़ेगा।
इस गांव के लोगों की अस्सी फीसद जमीने गैर मुमकीन पहाड़ के अंर्तगत आती है। गैरमुमकीन पहाड़ के अंतर्गत आने वाली जमीन पर किसी भी प्रकार की खेती अथवा निर्माण कार्य प्रतिबंधित किया गया है। इस तरह की भूमि को सामलात भूमि भी नाम दिया गया है जो ग्रामीणों की सार्वजनिक भूमि है। साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार इस तरह की भूमि पर ग्राम पंचायत का अधिकार है। इसे लेकर साल 2018 में चार लोगों ने मामला दायर किया गया कि जिन लोगों ने अवैध तरीके से इस भूमि की खरीद फरोख्त किया है उसे वापस किया जाए। करीब 400 एकड़ भूमि को लेकर इन लोगों ने 321 लोगों की पॉवर आफ एटार्नी समझौता होने का दावा किया।
आरोप है कि इनमें से एक व्यक्ति आयुर्वेद फर्म के लिए इस जमीन का प्रयोग करने के लिए सार्वजनिक भूमि का प्रयोग करना चाहता है जिसके फर्म में सौ फीसदी हिस्सेदारी बाबा रामदेव की है। रियल एस्टेट में कार्यरत उक्त व्यक्ति ने सैकड़ों करोड़ रुपए अदा करके पॉवर आफ एटार्नी के माध्यम से उक्त जमीन का मालिक बन बैठा है। बताया जाता है कि हरियाणा चकबंदी निदेशक की ओर से 1 फरवरी को उक्त भूमि की चकबंदी का आदेश जारी किया गया। कोट गांव के लोगों का आरोप है कि पंजाब विलेज कॉमन लैड रेगुलेशन एक्ट 1961 का आड़ लेकर सरकार सार्वजनिक भूमि को बेचना चाहती है। रिकार्ड के अनुसार 3184 एकड़ भूमि के 4656 भूस्वामी है, बताया जाता है कि गत पंद्रह बीस सालों में चोरी छिपे इस भूमि को बेचा गया है। जिसके लिए गुडग़ांव के तत्कालीन उपायुक्त की ओर से आदेश किया गया था कि उक्त भूमि को ग्रामीणों को वापस किया जाए। पंचायत की ओर से इस बारें में राजस्व विभाग में एक मामला आज भी विचाराधीन है।