भविष्‍य को बढ़ावा देना – 2025 में भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए राह बनाना : विवेक श्रीवत्‍स

punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 04:21 PM (IST)

 गुड़गांव, ब्यूरो : भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग के विकास की कहानी नए-नए आविष्‍कारों और मजबूती की है, जो देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था की महत्‍वाकांक्षा और लोगों की सरलता से बनी है। 1980 के दशक में आइकॉनिक मॉडलों की पेशकश से लेकर, जिन्होंने ज्‍यादा से ज्‍यादा संख्‍या में आम लोगों के लिए कार खरीदना आसान बनाया, आज इलेक्ट्रिक और कनेक्‍टेड वाहनों की प्रगति तक, इस उद्योग ने कमाल का बदलाव देखा है।  2024 में भारत ने दुनिया के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजारों में अपनी स्थिति को और मजबूत किया। वित्त वर्ष 24 में ऑटोमोबाइल उद्योग में 12.5% की वृद्धि हुई। यह वृद्धि लोगों की बदलती पसंद, सरकारी योजनाओं और पर्यावरण के प्रति जागरूकता व नई तकनीक के कारण हुई। भारत ने कई महत्वपूर्ण योजनाओं को बढ़ावा दिया, जैसे भारत NCAP (B-NCAP) जो वाहनों की सुरक्षा को जांचता है, प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना जो उत्पादन को प्रोत्साहित करती है, और कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (CAFÉ) मानक जो ईंधन की खपत को बेहतर बनाते हैं। ये कदम भारत को वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में सबका अनुसरण करने वाला नहीं बल्कि एक लीडर बनाने में मदद कर रहे हैं।

 

भारतीय ऑटोमोटिव बाजार में बदलते उपभोक्ता रुझान 

 विवेक श्रीवत्‍स चीफ कमर्शियल ऑफीसर, टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड2024 ने बताया कि भारतीय ग्राहकों की पसंद में आए बदलाव ने उद्योग का ध्यान उपयोगिता, तकनीक और स्थिरता का संयोजन करने वाले वाहनों की ओर किया है। लोग अब हैचबैक की जगह एसयूवी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। एसयूवी का बाजार में प्रभुत्‍व है। एसयूवी की डिज़ाइन, सुरक्षा खूबियों और बेहतर प्रदर्शन क्षमताओं ने इन्हें और आकर्षक बनाया है।  साथ ही, लोग पर्यावरण के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं, जिसके कारण इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और सीएनजी वाहनों की मांग बढ़ रही है। 2023 की पहली छमाही की तुलना में 2024 की पहली छमाही में ईवी की मांग बनी रही, जबकि जनवरी से अगस्त तक सीएनजी वाहनों की बिक्री में 46% की वृद्धि हुई। यह बढ़ती ईंधन कीमतों, पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सरकारी नीतियों का नतीजा है।  इसके अलावा, B-NCAP रेटिंग जैसी पहलों के माध्यम से वाहन सुरक्षा के बारे में बढ़ती जागरूकता ने भारतीय निर्माताओं के लिए सुरक्षा को एक अनिवार्य प्राथमिकता बना दिया है। 

 

भारतीय ऑटो उद्योग के लिए चुनौतियां

इन प्रगतियों के बावजूद, 2024 में भारत के ऑटोमोटिव उद्योग को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की सीमाएं परिवहन के लिए बाधाएं बनी हुई हैं, और इलेक्ट्रिक गाडि़यों को अपनाने में तेजी लाने और इनकी पहुंच को बेहतर बनाने के लिए इन कमियों को दूर करना बेहद आवश्यक है। इसके अलावा, भारतीय निर्माताओं को वैश्विक ऑटोमोटिव कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए निरंतर नए-नए आविष्‍कार और रणनीतिक सहयोग करने की आवश्यकता है ताकि प्रतिस्पर्धी बढ़त बनी रहे। कच्चे माल, श्रम और ऊर्जा की बढ़ती लागत (जो वैश्विक सप्‍लाई चेन की बाधाओं से और बढ़ गई है) से मुनाफे और परिचालन दक्षता पर असर पड़ा है, जो लागत के कम से कम करने पर जोर देता है।  डीलर पार्टनर्स को इन्वेंटरी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कुछ निर्माता सही समय पर उत्पादन और उन्नत तकनीक का उपयोग करके कम स्टॉक को अच्छे से प्रबंधित कर रहे हैं। लेकिन कुछ को ज्यादा स्टॉक की समस्या है, जिससे उनके डीलर पार्टनर्स को नुकसान हो रहा है। ज्यादा स्टॉक रखने से लागत बढ़ती है और सामान पुराना होने का खतरा रहता है। वहीं, कम स्टॉक होने से ग्राहक असंतुष्ट हो सकते हैं। इन समस्याओं को ठीक करना डीलरों के लिए एक स्वस्थ माहौल और लगातार वृद्धि के लिए जरूरी है। 

 

सरकारी उपाय जो 2024 और उसके बाद के लिए रास्ता बना रहे हैं : भारत सरकार ने ऑटोमोबाइल उद्योग की अहमियत को समझते हुए कई योजनाएँ शुरू की हैं ताकि चुनौतियों को कम किया जाए और विकास को बढ़ावा मिले।  सरकार भारत में सेमीकॉनडक्टर फैक्ट्रियाँ लगाने की योजना बना रही है। इससे ऑटोमोबाइल के लिए इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की आयात पर निर्भरता कम होगी और देश में ही सप्‍लाई चेन मजबूत होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से घरों को मुफ्त बिजली देने का लक्ष्य है। यह योजना सौर ऊर्जा को बढ़ावा देगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मजबूत होगा और जीरो कॉस्‍ट एवं जीरो एमिशन मोबिलिटी को प्रोत्साहन मिलेगा। 

 

प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना निर्माताओं को भारत में ही उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे स्थानीय विनिर्माण और इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है। यह रणनीति न केवल भारत को वैश्विक ऑटोमोटिव बाजार में मजबूत बनाती है, बल्कि टू-व्‍हीलर्स और कमर्शियल वाहनों जैसे विभिन्न ईवी क्षेत्रों को भी समर्थन देती है। इससे एक अधिक स्थायी ऑटोमोटिव सिस्टम बनाने में मदद मिलेगी।सरकार का इलेक्ट्रिक गाडि़यों और सीएनजी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बनाने पर ध्यान देना नेट कार्बन जीरो प्राप्त करने के उसके व्यापक दृष्टिकोण का एक प्रमुख हिस्सा है। फ्यूल के पर्यावरण अनुकूल विकल्‍पों को बढ़ावा देकर, ये पहलें एक स्थायी परिवहन तंत्र बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं जो स्वच्छ, अधिक कुशल गतिशीलता विकल्प अपनाने का समर्थन करती हैं। पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रेवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) पहल जैसी योजनाएं न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान देंगी बल्कि एक अधिक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल भविष्य को बढ़ावा देकर ऑटोमोटिव उद्योग के लिए लंबे समय में वृद्धि सुनिश्चित करेंगी। 

 

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है, जो लोगों की पसंद और सरकारी योजनाओं से प्रेरित है। हालांकि कुछ चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन उद्योग का ध्यान नए आविष्कार, आपसी सहयोग और पर्यावरण की रक्षा पर है, जो एक बेहतर भविष्य की ओर इशारा करता है। 2025 तक यह उद्योग तकनीक, पर्यावरण संरक्षण और ग्राहकों की संतुष्टि में अग्रणी बनने के लिए तैयार है। भारत का ऑटोमोबाइल क्षेत्र न केवल वैश्विक विकास के साथ चल रहा है, बल्कि खुद बदलाव ला रहा है, जिससे एक अधिक स्थायी और आधुनिक भविष्य बन रहा है। इलेक्ट्रिक, ऑटोनॉमस और कनेक्टेड वाहनों की टेक्‍नोलॉजी में निवेश करना निर्माताओं के लिए जरूरी है ताकि वे प्रतिस्पर्धा में आगे रहें। यह इनोवेशन को बढ़ावा देता है और लागत व मुनाफे के बीच संतुलन बनाए रखता है। साथ ही, साइबर सुरक्षा के मजबूत उपाय डेटा प्राइवेसी बढ़ाते हैं और वाहनों की सुरक्षा को और महत्वपूर्ण बनाते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Gaurav Tiwari

Related News

static