इमर्जेंसी के बंदी स्वतंत्रता सेनानी कैसे? उत्तराधिकारी समिति ने उठाए सवाल

punjabkesari.in Saturday, Jan 02, 2016 - 07:20 PM (IST)

गुडग़ांव (संजय): सरकार द्वारा इमरजेंसी के दौरान जेल यातना से गुजरे लोगों को स्वतंत्रता सेनानी कहने व उन्हें सुविधाएं देने पर स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति ने आपत्ति जताई हैं। समिति ने कहा कि जब देश को आजादी 1947 मिली तो 1975 के दौरान जेल गए लोग स्वतंत्रता सेनानी कैसे हो सकते हैं। 

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि मूल रूप से स्वतंत्रता सेनानियों की कई विधवाएं आज सुविधाएं तो दूर पैंशन से भी महरूम हैं। जबकि सरकार आजादी के बाद आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को सुविधाएं देने में लगी हैं। इसके अलावा समिति ने सरकार से नेताजी से जुड़ी फाइलें व दस्तावेजों को भी सार्वजिनक करने की मांग की हैं। 

जानकारी के मुताबिक हाल में प्रदेश सरकार द्वारा 75 के दौरान जेल गए लोगों को स्वतंत्रता सेनानी कहकर उन्हे यातायात भत्ता सहित अन्य सुविधाऐं देने की घोषणा की हैं। जिस पर आपत्ति जताते हुए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति ने सरकार के इस रवैए का विरोध शुरू कर दिया हैं। शुक्रवार को मामले को लेकर समिति के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए समिति के प्रधान कपूर सिंह दलाल ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा सरकार 75 के दौरान जेल गए लोगों को यात्रा भत्ता या अन्य सुविधाएं भले ही दे,लेकिन उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के तमगे से ना नवाजे। उन्होंने कहा इससे जहां मूल रूप से स्वतंत्रता सेनानी रहे लोगों को धक्का लगेगा बल्कि सरकार के इस फैसले से जनता भी भ्रमित होगी। 

समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी सुबेदार विजेन्द्र सिंह ठाकरान ने बताया कि जिले में मौजूदा जीवित स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या आधा दर्जन के करीब हैं मृत हो चुके सेनानियों की 40 विधवाएं जिले में निवास कर रही हैं। उन्होंने कहा स्वतंत्रता सेनानी रहे गुडग़ांव निवासी नंदलाल की विधवा विश्री देवी, भूडक़ा निवासी मोहल्लर सिंह की विधवा फूली देवी व झाड़सा वाजिदपुर निवासी स्वतंत्रता सेनानी रहे भगवान सिंह की विधवा पार्वती देवी आज भी पैंशन के लिए दर दर की ठोकरें खाने की विवश हैं।

सार्वजनिक हो नेताजी की फाइलें
समिति ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी फाइलें व दस्तावेजों को जल्द से जल्द सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने कहा हाल में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इस बात को लेकर प्रयास किए गए,लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा घोषणा के बाद भी नेताजी से जुड़ी फाइलें व दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं किया। यह भाजपा व कांग्रेस की लड़ाई है लिहाजा मूल रूप से स्वतंत्रता सेनानी रहे लोगों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
 
नाम का दुरुपयोग न हो
स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति के प्रधान कपूर सिंह दलाल ने कहा कि हाल में सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों को जो सुविधाएं व भत्ता देने की घोषणा सरकार द्वारा की गई है वे 1975 में आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों की हैं, जबकि स्वतंत्रता सेनानी वे है जो 1947 में देश की आजादी के लिए लड़े थे। सरकार उन्हें भले ही सुविधाएं दे,मगर स्वतंत्रता सेनानी के नाम से ना पुकारे। 

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