नूंह के 3 स्कूलों में अकेली छात्रा भी नहीं हुई पास
punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 07:13 PM (IST)

फिरोजपुरझिरका, (ब्यूरो): नूंह जिले का बोर्ड परिणाम बेहद खराब रहा यहां 10वीं और 12वीं की परीक्षा परिणाम में यह जिला 22 जिलों में सबसे अंतिम पायदान पर है। रिजल्ट को लेकर जहां सरकार काफी गंभीर दिखाई दे रही है, वहीं ऐसा दोबारा ना हो इसके लिए जिला प्रशासन भी पूरी तरह से तैयारियों में जुट गया है। जिले में 12वीं का रिजल्ट सबसे निराशाजनक आया। इसमें जिले के तीन स्कूल ऐसे है, जिनका रिजल्ट जीरो रहा। हैरानी की बात यह देखने को मिली कि जिस स्कूल के प्रिंसिपल उप जिला शिक्षा अधिकारी रहे, उस स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्र भी 12वीं की परीक्षा पास नहीं कर पाई। जिससे शिक्षा विभाग पूरी तरह से सवालों के घेरे में आ गया। लोगों का कहना है कि जब शिक्षा अधिकारी के स्कूल की छात्रा ही पास नहीं हुई तो अन्य स्कूलों से क्या उम्मीद की जाए। फिलहाल रिजल्ट को लेकर डीसी ने जिला विजिलेंस कमेटी का गठन भी किया है जो लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देंगे। वहीं अध्यापकों की शिकायत के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक नंबर 9050317480 भी जारी किया गया है।
12वीं परीक्षा में तीन स्कूलों का रिजल्ट रहा जीरो:
नूंह जिले का 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम इस वर्ष 45.76 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले वर्ष यह परिणाम 56.83 प्रतिशत था। जिले में तीन स्कूलों का रिजल्ट सबसे ज्यादा खराब रहा। इनमें एक भी बच्चा पास नहीं हुआ। नगीना खंड के मुलथान गांव के सरकारी स्कूल में एक लड़की ने 12वीं कक्षा के एग्जाम साइंस संकाय से दिए थे, जिसमें वह सफल नहीं हो सकी। इसके अलावा पुन्हाना खंड के औथा गांव के 13 बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फेल हो गए। ठीक इसी तरह पुन्हाना खंड के ही जाडौली गांव के चार बच्चों ने 12वीं की परीक्षा दी थी, वे सभी फेल हो गए। इस परीक्षा में जिला के सभी स्कूलों के 7 हजार 588 विद्यार्थी बैठे थे, जिसमें से 3 हजार 472 विद्यार्थी पास हुए और एक हजार 758 विद्यार्थियों की कंपार्टमेंट आई।
पूर्व डिप्टी डीईओ मोहम्मद हयात खान प्रिंसिपल रहे, बोले छात्रा पढ़ाई में कमजोर
जानकारी के मुताबिक करीब 1 महीने पहले उप जिला शिक्षा अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए हयात खान पिछले करीब 4 साल से नगीना खंड के गांव मूलथान के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल थे। स्कूल में 12वीं कक्षा में केवल एक लड़की का साइंस संकाय में एडमिशन हुआ। शिक्षकों ने छात्रा को पढ़ाने के नाम पर दाखिला तो कर लिया, लेकिन छात्रा की पढ़ाई पर कितना जोर दिया , इसका सबूत बोर्ड रिजल्ट से मिल गया। सेवानिवृत हुए हयात खान ने कहा कि छात्रा का फेल होने का सबसे बड़ा कारण यह निकलकर सामने आया हैं कि उसे पास लिखना पढ़ना नहीं आता था। पूर्व डिप्टी डीईओ का ये जवाब न केवल शिक्षा विभाग को शर्मसार करने वाला है, बल्कि आगे पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी चिंता का विषय है। एक छात्रा का पास नहीं होना पूर्व डिप्टी डीईओ की लापरवाही मानी जा रही है। अधिकारी के स्कूल में भी रिजल्ट का जीरो आना पूरे शिक्षा विभाग को जांच के कटघरे में खड़ा करना हैं।
अगली बार का रिजल्ट आएगा बेहतर:
सरकार ने भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों और स्कूल प्रिंसिपल को जवाबदेही तय करने का निर्णय लिया है। लगातार एडीसी की अध्यक्षता में गठित विजिलेंस टीम और एसडीम स्कूलों का निरीक्षण कर अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का काम करेंगे। विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पूरी तरह से ध्यान दिया जाएगा, इसमें कोई कोताही ही नहीं बरती जाएगी। डीसी ने दावा किया है कि अगली बार का बोर्ड रिजल्ट इस बार के रिजल्ट से बेहतर होगा।