हरियाणा में 62 प्रतिशत लोग देते हैं बहन-बेटी की गाली, ये राज्य सबसे आगे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 15, 2025 - 02:08 PM (IST)

जींदः सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के फाऊंडर व महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस सुनील जागलान के द्वारा किए गए सर्वे के अनुशार उनके अन्तरराष्ट्रीय अभियान "गाली बंद घर " के तहत किए गए एक सर्वेक्षण से उजागर हुआ है कि हरियाणा व अन्य राज्यों में  मॉं बहन बेटी की गालियां  देना लोगों की आदत बन चुका है तथा इसमें बड़ा प्रतिशत लडकीयों का भी शामिल हुआ है। 20 प्रतिशत ऑनलाइन विडियो गेम ,सोशल मिडिया,  ओटीटी प्लेटफार्म से जुड़े रहने  युवा युवतियों ने अनजाने ही ज़ुबान पर गाली रखना सीखा है।

राज्यों में गालियां देने का प्रतिशत

सर्वे के मुताबिक हरियाणा 62% , दिल्ली 80% ,पंजाब 78 % , उतर प्रदेश 74%  , राजस्थान 68% , बिहार 74%  में गालियों का प्रचलन देश में सबसे ज्यादा है तथा कश्मीर में 15  प्रतिशत  देश में सबसे कम गालियाँ दी जाती है । कश्मीर के बाद उड़ीसा , तेलंगाना , के अलाव सेवन सिस्टर स्टेट के नाम से मशहूर नार्थ ईस्ट के राज्यों में भी गाली का प्रतिशत अन्य राज्यों से 30 प्रतिशत कम है ।  गुजरात में 55%  , मध्य प्रदेश में 48%  , उतराखंड 45% , महाराष्ट्र 58% राज्य शामिल हैं । मॉं व बहन की गाली पूरे देश में तथा बेटी की गाली हरियाणा , राजस्थान में सबसे ज्यादा दी जाती है । 30 % लड़की व महिलाएं भी देती व सुनती है मॉं बहन बेटी की गालियाँ । 

कश्मीर में गालियों का सबसे कम प्रयोग

सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन ने करीब 11 साल के बेसलाईन सर्वे में 70 हजार से ज्यादा लोग जिनमें युवा युवतियों के अलावा माता पिता पिता,  परिवार जन, पंचायतें, स्कूल  शिक्षक ,  ब्यूरोक्रेट , प्रोफेसर , डॉक्टर ,पुलिस कर्मी , पत्रकार , वकील  अनेक छोटे बड़े व्यवसाय चलाने वाले लोग , ऑटो चालक , कुली , सफाईकर्मी , स्कूल कॉलेज विश्विद्यालयों के युवा युवतियॉं इत्यादि व्यक्तियों पर यह सर्वे किया गया है और  यह पाया है  कि करीब  प्रतिशत लोग मॉं बहन बेटी की गाली देते हैं । इसके साथ जिन स्कूल , कॉलेज सिर्फ विश्वविद्यालयों में लड़कियाँ पढ़ती हैं, वहाँ पर भी लड़कियॉं भी मॉं बहन की गाली देती हैं ।  हरियाणा के अलावा पंजाब राजस्थान  , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , बिहार , उतर प्रदेश , उतराखंड ,  असम , हिमाचल प्रदेश , गोवा , कश्मीर पश्चिम बंगाल , सेवन सिस्टर स्टेट इत्यादि प्रदेश भी सम्मिलित किए गए । कश्मीर में गालियों का सबसे कम प्रयोग किया जाता है । 

सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के फाउंडर व सीईओ प्रोफेसर सुनील जागलान ने बताया कि भाषा ही व्यवहार की आधारशिला होती है। एक घर में जब बच्चे  है बड़े हो रहे होते हैं  और उसको आप घर में किसी को मॉं बहन बेटी की गाली आपके घर, गली या फोन पर संबोधित करते हो तो यह सीधा बच्चे की मेमोरी में सेव हो जाती है । यह गालीयाँ फिर घर की पाठशाला से स्कूल व फिर पार्क मैदान में पहुंच जाती है। इस तरह से गाली की यात्रा शुरू होती है फिर लोग इसे लड़ाई में , प्यार में , अनजाने में आदत में शामिल कर लेते हैं। कुछ लोगों ने बड़ी आरामदायक स्थिति में यह भी स्वीकार किया कि हाँ वाकई ये उनकी जुबान पर मॉं बहन बेटी की गालियां रटी जा चुकी है तथा यह उनकी आदत बन गई है। 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें सामान्य चुटकुलों में हंसी नहीं आता जब तक उन्में गालियां न हो। 

वर्ष 2014 को गाली बंद घर अभियान को किया लॉन्च 

समाज में इस विचारधारा को दूर करने के लिए वर्ष 2014 को गाली बंद घर अभियान को लॉन्च किया गया था जो इस समय विश्व के अनेक देशों में पंसद किया गया है तथा विश्व के प्रतिष्ठित न्यूज़ पेपर व मैगजीन ने इस बारे में सुनील जागलान के अभियान को प्रकाशित किया है। 
गाली बंद घर के विडियो को 50 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है तथा इसे समाज की ज़रूरत कहा है तथा 2 लाख से ज़्यादा लोगों ने कमेंट किया। सुनील जागलान ने हज़ारों गांवों, सैकड़ों शहर, स्कूल , विश्विद्यालय, संस्थानों की यात्रा के साथ अनेकों टीम सदस्यों के साथ दुनियां का अनोखा सर्वे करके समाज को आईना दिखाया है। सुनील जागलान पिछले 11 वर्षों  से गाली बंद घर अभियान के तहत गाली छुड़वाने के लिए देश भर में कार्य कर रहे हैं तथा इस अभियान से लाखों लोगों को एहसास भी करवाया व दी जाने वाली गालियों को कम करवाना व छुड़वाया भी है । देश भर में 60 हजार से ज्याद गाली बंद घर के चार्ट  लगवा चुके हैं। 

ग़ौरतलब है कि दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनील जागलान अभी महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में प्रोफेसर ऑफ़ प्रैक्टिस के पद पर कार्यरत हैं तथा हरियाणा राज्य के जींद जिले के बीबीपुर गांव के वही सरपंच हैं, जिन्होंने वर्ष 2012 में बेटी बचाओ अभियान शुरू हुआ एवं उनके द्वारा शुरू किए गए सेल्फी विद् डॉटर अभियान की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 बार मन की बात और अमेरिका व इंग्लैंड के कार्यक्रमों में सराहना की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 100वें ऐतिहासिक मन की बात के एपिसोड में इनसे बातचीत कर अभियान के लिए बधाई भी दी थी। अभी सुनील जागलान पर बनी  राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म सनराइज़ को अमेरिका की हावर्ड व येल यूनिवर्सिटी में भी दिखाया गया था। 

सुनील जागलान पर कई भाषाओं में डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म के अलावा दूरदर्शन पर सीरियल भी बन चुका है, इसके साथ ही आठवीं कक्षा में आईसीएसई बोर्ड में उनका पाठ भी आ चुका है। सुनील जागलान अब तक महिला सशक्तिकरण से जुड़े  76 अभियान शुरू कर रिकार्ड बना चुके हैं। पिछले वर्ष डिबीयर्स लंदन द्वारा उन्हें महिलाओं के लिए कार्य करने के लिए 35 लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया गया था। उनके बीबीपुर मॉडल को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा देश के 100 गांवों में लागू किया था।

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Content Editor

Deepak Kumar

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