हरियाणा विधानसभा में कुल 15 विधेयक हुए पारित, देखें पूरी लिस्ट

punjabkesari.in Tuesday, Mar 22, 2022 - 07:12 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा विधानसभा बजट सत्र का आखिरी दिन काफी ही महत्वपूर्ण रहा। सत्र के दौरान एक ओर जहां कई मुद्दों को लेकर चर्चाएं हुई तो पक्ष और विपक्ष कई मुद्दों को लेकर आमने-सामने भी नजर आया। इन सब के बीच सत्र में 15 विधयकों को पारित किया गया।

1- हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022

हरियाणा राज्य में अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवाओं से संबंधित विधि को समेकित करने तथा निर्माण कार्य में अग्नि निवारण व जीवन सुरक्षा उपाय उपलब्ध करवाने से संबंधित मामलों के लिए हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

अग्निशमन राज्य का विषय है इसलिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को अपने अग्निशमन सेवा बिल का निरीक्षण करने और अपनी अग्निशमन सेवा को संशोधित मॉडल बिल के अनुरूप तैयार करने को कहा गया था। अत: केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशानुसार हरियाणा बिल्डिंग कोड, 2017 एवं हरियाणा लॉजिस्टीक पॉलिसी आदि के विभिन्न प्रावधानों पर विचार करते हुए हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवाएं अधिनियम, 2022 को लागू करने और हरियाणा अग्निशमन सेवा अधिनियम, 2009 को निरस्त करने के लिए हरियाणा अग्निशमन तथा आपातकालीन सेवा विधेयक, 2022 लाया गया है।

इसमें अग्निशमन मंडलों, दमकल केन्द्रों तथा अन्य क्षेत्रीय संरचनाओं की स्थापना का प्रावधान है। इसके अलावा, अग्निशमन अधिकारी की नियुक्ति, शक्तियों, कर्तव्यों और कार्यों का विवरण है। अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं के सदस्यों की भर्ती किस प्रकार की जाए यह भी इस विधेयक में तय किया गया है। यदि इन सेवाओं में वृद्धि करने की जरूरत है तो इसके लिए भी नियम व शर्तें तय की गई हैं। इस विधेयक में प्रभारी अधिकारी की शक्तियों का विवरण दिया गया है।

इसमें सम्पत्ति अथवा भवन के मालिक अथवा उपयोगकर्ता के दायित्वों को भी निर्धारित किया गया है। विधेयक में किसी भी निर्माण के पूरा होने पर अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया तय की गई है। साथ ही, अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र के नवीनीकरण व उसको रद्द करने की प्रक्रिया भी विधेयक में है। बड़ी भवन संरचनाओं के लिए उसके मालिक अथवा उपयोगकर्ता द्वारा अग्नि सुरक्षा अधिकारी की नियुक्ति तथा उसके कार्यों का विवरण भी विधेयक में दिया गया है। अग्निशमन निदेशक द्वारा प्राधिकृत अग्निशमन अधिकारी को किसी स्थान या निर्माण के निरीक्षण की शक्तियां व निरीक्षण प्रक्रिया भी विधेयक में निर्धारित की गई है।

इसमें अग्निशमन के नियमों का उलंघन्न करने वालों को दंड का प्रावधान भी है। इसके अनुसार ऐसे व्यक्ति को तीन मास तक का कारावास अथवा 50,000 रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यदि अग्नि सुरक्षा अधिकारी नियुक्त नहीं किया जाता है तो भवन के प्रति वर्ग मीटर 10,000 रुपये से 50,000 रुपये तक की राशि का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, आग लगने पर पीडि़त व्यक्ति को मालिक द्वारा मुआवजे का भुगतान करने का प्रावधान भी किया गया है। अग्निशमन व बचाव कार्यों में बाधा डालने, झूठी रिपोर्ट करने के लिए भी दंड का प्रावधान है। यदि किसी कम्पनी द्वारा अग्निशमन संबंधी कोई अपराध किया जाता है तो उसके प्रभारी व उत्तरदायी व्यक्ति को तीन मास तक कारावास या 10,000 रुपये तक जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। इस अपराध में किसी की मिलीभगत साबित होती है तो उसे भी दंड दिया जाएगा। इसी प्रकार, अग्निशमन संबंधी अपराधों पर उपमंडल मजिस्ट्रेट के न्यायालय में निर्णय किया जाएगा। किसी अधिकारी द्वारा दिए गए नोटिस के विरूद्ध 60 दिन के भीतर अपील प्राधिकारी को अपील दायर की जा सकती है। उसके द्वारा पारित आदेश अंतिम होगा। विधेयक में अग्निशमन और आपातकालीन प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, जन-जागरूकता व प्रशिक्षण कार्यक्रम, अग्निशमन कर के निर्धारण, संग्रहण इत्यादि का प्रावधान भी किया गया है। इसमें किसी निर्माण या परिसर को सील करने की शक्तियों, पुलिस अधिकारियों तथा अन्यों द्वारा सहयोग करने के कर्तव्यों और इस सेवा के सदस्य की निशक्तता या मृत्यु होने पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है। इसमें किसी निर्माण या परिसर को सील करने की शक्तियों, पुलिस अधिकारियों तथा अन्यों द्वारा सहयोग करने के कर्तव्यों और इस सेवा के सदस्य की निशक्तता या मृत्यु होने पर मुआवजे का प्रावधान भी है।

हरियाणा लोक उपयोगिता परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2022

प्रदेश में लोक-उपयोग के लिए सडक़ें, रास्ते, नालियां इत्यादि के लिए कुछ लोगों ने उदारतापूर्वक भूमि प्रदान की थी। इन संस्थापनाओं पर सार्वजनिक धन खर्च किया गया है। उन्होंने लम्बी अवधि तक बिना किसी आपत्ति के जमीन के सार्वजनिक उपयोग की अनुमति दी। लेकिन वर्तमान में भूमि की कीमतें अत्यधिक बढ़ जाने से कुछ व्यक्तियों अथवा संस्थाओं ने यह भूमि वापिस मांगनी शुरू कर दी। यही नहीं भूमि में अपने अधिकारों का दावा करके इन सार्वजनिक उपयोगिता के ढांचे को अस्त-व्यस्त अथवा नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। इससे सडक़ कनैक्टिविटी, जल आपूर्ति में व्यवधान व अन्य प्रशासनिक समस्याएं पैदा हुई है, जिससे जनता को कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए सार्वजनिक हित में इस सम्बन्ध में कानून लाना आवश्यक है। अत: यह विधेयक लाया गया है।

इस विधेयक के अनुसार कोई भी व्यक्ति अथवा संस्था लोक-उपयोगिता में विघ्र डालने, परिर्वतन करने या उसे नष्टï करने का हकदार नहीं होगा और न ही लोक-अधिकार तथा लाभ के लिए कोई दावा करेगा। यह विधेयक उन लोक-उपयोगी संस्थापनाओं, जैसे कि सडक़ें, रास्ते, नहरें, नालियां आदि पर लागू होगा जो इसे लागू करने की तिथि को 20 वर्ष या उससे अधिक समय से अस्तित्व में हैं।

यदि कोई व्यक्ति लोक-उपयोगिता में विघ्र डालता है, तो जिला कलेक्टर उस लोक-उपयोगिता के ढांचे का जीर्णोद्घार करके उसको मूल अवस्था में लाने  का निर्देश दे सकता है तथा जीर्णोद्घार की लागत की वसूली उस व्यक्ति से कर सकता है।

कलेक्टर द्वारा पारित आदेश के विरुद्घ 90 दिनों के भीतर मण्डल आयुक्त के समक्ष और मण्डल आयुक्त के आदेश के विरुद्घ 30 दिनों के ही भीतर वित्तायुक्त के समक्ष अपील दायर की जा सकती है। जो व्यक्ति लोक-उपयोगिता में विघ्न डालेगा अथवा उसमें परिवर्तन करेगा उसे 6 मास तक का कारावास या 2 हजार रुपये से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों का दंड दिया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति इस विधेयक में दिए गए प्रतिषेधों अथवा निर्बधंनों के बदलें में किन्हीं क्षतियों या मुआवजें का दावा करने का हकदार नहीं होगा। किसी भी सिविल न्यायालय को इस विधेयक के नियमों के अधीन आने वाले मामलों के वाद ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी।

हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2022

लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण, सदस्य की आर्थिक भागीदारी और स्वायत्त कार्य प्रणाली के सिद्घांतों के आधार पर हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के समावेश और विनियमन के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण अधिनियम, 2018 में संशोधन करने के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

प्रदेश में हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण अधिनियम, 2018 को नवगठित किया गया है। यह संशोधन इस प्राधिकरण का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए किया जा रहा है। इसके अनुसार सरकार प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी या तो प्रधान सचिव के रैंक का अधिकारी होगा या फिर कृशि क्षेत्र से कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति होगा। उसे प्राधिकरण के कोष से सरकार द्वारा निर्धारित मासिक वेतन व भत्ते दिए जाएंगे। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी महानिदेशक या निदेशक के रैंक का जबकि संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरियाणा सिविल सेवा सेवा का अधिकारी होगा।

मूल अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (2) के खंड (क) में भी संशोधन किया गया है। इसके अनुसार मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार की अध्यक्षता में कृषि सलाहकार परिषद बनाई जाएगी, जिसमें 22 सदस्य तथा एक सदस्य सचिव होगा। परिषद के सदस्यों में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार तथा हरियाणा कौशल विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के कुलपति शामिल होंगे।

बागवानी, पशुपालन तथा डेयरी, मत्स्यपालन, उद्योग तथा वाणिज्य, विकास तथा पंचायत, ग्रामीण विकास, सिंचाई तथा जल संसाधन, खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता मामले, सहकारिता, नवीन तथा अक्षय ऊर्जा, वन तथा वन्यजीव और पर्यावरण विभागों के विभागाध्यक्ष परिषद के सदस्य होंगे। परिषद के अन्य सदस्यों में हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक, कमांड एरिया विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता, राज्यस्तरीय नोडल एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, हरियाणा राज्य बागवानी विकास एजेंसी और हरियाणा कौशल विकास परिषद के मिशन निदेशक तथा हरियाणा एग्रो उद्योग निगम के प्रबंध निदेशक भी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त,कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के अध्यक्ष इस परिषद के सदस्य-सचिव होंगे।

हरियाणा यांत्रिक यान संशोधन विधेयक, 2022

हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) संशोधन विधेयक, 1996 को संशोधित करने के लिए  हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) संशोधन विधेयक, 2022 पारित किया गया ।

चूंकि, हरियाणा में सीमित संसाधन हैं और राज्य में सडक़ नेटवर्क के विकास के लिए निजी वित्त को आकर्षित करने के लिए, टोल की स्थापना एक अच्छा समाधान है। नई परियोजनाओं जैसे एक्सप्रेस-वे, एलिवेटेड हाईवे, बाय-पास, पुल आदि के लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए लाभदायक है। टोल टैक्स संग्रहण के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं और टोल प्लाजा का संचालन उद्यमियों के माध्यम से किया जाता है। उच्चतम निविदा राशि वाले उद्यमी को 18 महीने की अवधि के लिए काम आवंटित किया जाता है जो सरकार के खजाने में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करते हैं।

टोल सुविधाओं का रखरखाव हरियाणा यांत्रिक यान (पथकर-उद्ग्रहण) अधिनियम, की धारा 7 (2) के तहत निर्धारित है, जो अस्पष्टï है। अनुच्छेद धारा 7 (2) के मौजूदा खंड को संशोधित किया गया है ताकि इसे और अधिक अर्थपूर्ण बनाया जा सके। अब इस अधिनियम के संशोधन के अनुसार जो व्यक्ति टोल टैक्स मांगता है, संग्रहण करता है या उसे रखने के लिए प्राधिकृत किया जाता है, वह सभी सडक़ अवसंरचनाओं का  अच्छा रख-रखाव करेगा और उन्हें इंजीनियरी कार्य के अनुसार बनाए रखेगा। इनमें पुल, सुरंगें, पार-पथ, संपर्क  सडक़ों या नई सडक़ों के हिस्से अथवा बाईपास आदि शामिल हैं।

यह संशोधन राज्य में टोल टैक्स देने वालों के लिए अच्छे रख-रखाव वाली सडक़ें और बुनियादी ढंाचा उपलब्ध करवाने के लिए किया जा रहा है।

हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2022

पानी के पुन: उपयोग और पुनरावर्तन सहित राज्य में जल संसाधनों के संरक्षण, विनियमन और प्रबंधन के लिए लागू हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण अधिनियम, 2020 को और संशोधित करने के लिए हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबंधन) प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

इस संशोधन का उद्देश्य राज्य में उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को विनियमित करना है। इस समय इस पानी के पुन: उपयोग के संबंध में अनेक निर्णय व नियम है। इसलिए यह जरूरत महसूस की गई कि इसके लिए एक ही मैकेनिज़म बनाया जाए।

साथ ही, पानी के सभी तरह के उपयोगों के लिए दरें भी निर्धारित करने की जरूरत महसूस की गई। इन्हीं उद्देश्यों से उक्त अधिनियम में यह संशोधन किया जा रहा है। प्राधिकारी भूतल पर उपलब्ध जल और उपचारित अपशिष्ट जल के अत्यधिक उपयोग के लिए खपत के आधार पर उपयुक्त दरें निर्धारित करेगा। प्राधिकारी सरकार को घरों, उद्योगों या वाणिज्यिक संस्थापनाओं के लिए जल की खुदरा दरों की सिफारिश भी करेगा। इसके अतिरिक्त, प्राधिकारी द्वारा निर्धारित दरों के लिए उसके निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर सरकार को अपील की जा सकती है। सरकार अपील को रद्द कर सकती है या इन दरों का पुन: निर्धारण कर सकती है।

हरियाणा विनियोग(संख्या 2) विधेयक, 2022

मार्च, 2023 के 31वें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान सेवाओं के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से कुल 195429,93,71,329 रुपये के भुगतान और विनियोग का प्राधिकार देने लिए हरियाणा विनियोग(संख्या 2) विधेयक, 2022 पारित किया गया है। हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) विधेयक,  2022

दोषी कैदियों को पैरोल या फरलो की रियायत प्रदान करने के लिए हरियाणा सदाचारी   बंदी (अस्थाई रिहाई) अधिनियम, 1988 में आवश्यक प्रावधान करने के लिए हरियाणा सदाचारी बंदी (अस्थाई रिहाई) विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

पैरोल प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल किया गया है।  जैसे पहले जिन कैदियों का खुद का मकान है, केवल उन्हें ही तीन वर्ष में एक बार मकान मरम्मत हेतू चार सप्ताह तथा जिन कैदियों के पास खेती-बाड़ी की जमीन है, उन्हें ही खेती के लिए एक वर्ष में छ: सप्ताह तक पैरोल प्रदान करने के प्रावधान हैं। अब ये शर्त हटा दी गई है।

वर्तमान विधेयक में शर्तें पूरी करने वाले सभी कैदियों को एक कैलेण्ड वर्ष में 10 सप्ताह की पैरोल प्रदान करने का प्रावधान था जबकि अब बिना किसी शर्त के समान रूप से सभी बन्दियों को वर्ष में अधिकतम दस सप्ताह पैरोल प्रदान की जा सकेगी। इसे कैदी एक कैलेण्डर वर्ष में अधिकतम दो बार तक प्राप्त कर सकेंगे ।

वर्तमान विधेयक में फरलो की अवधि प्रथम बार तीन सप्ताह तथा उसके उपरान्त दो सप्ताह प्रति वर्ष है जबकि अब प्रत्येक वर्ष तीन सप्ताह फरलो प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। जब कोई कैदी अपनी सजा के तीन चौथाई भाग को पूरा कर लेगा अथवा आजीवन कारावास के बन्दी अपनी दस वर्ष की वास्तविक सजा व्यतीत कर लेंगे तो उन्हें प्रति वर्ष चार सप्ताह फरलों दी जायेगी।

बन्दी को पैरोल अथवा फरलो प्रदान करने से पूर्व हर बार पुलिस वैरिफिकेशन करवानी पड़ती थी, किन्तु अब कैलेण्डर वर्ष में एक बार ही पुलिस वैरिफिकेशन का प्रावधान किया गया है ताकि बन्दियों की अस्थाई रिहाई के मामलों का निपटान समयबद्ध तरीके से किया जा सके।

वर्तमान विधेयक में पैरोल या फरलो पर गये बन्दियों द्वारा समय पर समर्पण ना करने अथवा पैरोल पर जाकर अपराध करने की स्थिति में उन्हें हार्डकोर की श्रेणी में रखा जाता है और उनका पैरोल रिहाई के केस पर 5 वर्ष के उपरान्त विचार किया जाता है। लेकिन अब आत्मसमर्पण करने में असफल रहने पर कैदी को कारावास (जो दो वर्ष से कम नहीं होगा और जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है) और एक लाख रुपये तक के जुर्मान की सजा दी जाएगी। इसी प्रकार, पैरोल पर अपराध करने पर वह हार्डकोर बन्दी की श्रेणी में आयेगा ।

कैदियों को अस्थाई रिहाई प्रदान करने के आवेदन का निपटान करने के लिए 36 दिन निर्धारित हैं लेकिन इस अवधि में ऐसे मामलों के आवेदनों का निपटान नहीं हो पाता और इसी कारण कैदी बार-बार न्यायालयों में रिट दायर करते है। इससे बचने के लिए इस अवधि को बढ़ाकर सात सप्ताह (49 दिन) किया गया है ।

इन संशोधनों के अलावा विधेयक में नये प्रावधान भी किए गए है। जो इस प्रकार हैं- वर्तमान अधिनियम में केवल हार्डकोर श्रेणी के कैदियों के लिए अपने किसी पारिवारिक सदस्य की मृत्यु अथवा शादी में सम्मिलित होने हेतू कस्टडी पैरोल का प्रावधान है जबकि अब यह प्रावधान तभी श्रेणी के बन्दियों के लिए किया गया है ।

 इसी प्रकार वर्तमान में प्राकृतिक मृत्यु तक के दण्ड की सजा पाये बन्दियों को पैरोल / फरलों का कोई प्रावधान नहीं था । लेकिन अब प्राकृतिक मृत्यु तक के दण्ड की सजा पाये बन्दियों को सात वर्ष वास्तविक सजा व्यतीत करने उपरान्त पैरोल प्रदान करने का प्रावधान किया गया है ।

ऐसे कैदी जो एनडीपीएस  अथवा राजद्रोह अथवा हत्या के साथ बलात्कार अथवा हत्या के साथ लूट अथवा फिरोती या जबरन वसूली के अपराध में दण्डित हो, उन्हें फरलो प्रदान नहीं की जायेगी ।

अब अपराधों की श्रेणी एवं बन्दियों के जेल में आचरण के आधार पर प्रतिभूति राशि का प्रावधान किया गया है। किसी सामान्य श्रेणी के बन्दी के लिए यह राशि एक लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक होगी। वहीं कट्टर श्रेणी के बन्दियों हेतू यह राशि कम से कम दो लाख रुपये से पांच लाख तक होगी।

हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन (संशोधन) विधेयक, 2022

हरियाणा सरकार द्वारा 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राजस्व घाटे को खत्म करने एवं राजकोषीय घाटे को निर्धारित सीमा से कम करने के उद्देश्य से हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 अधिनियमित किया था।

हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम, 2005 के लक्ष्यों को पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अनुमोदित किसी विशेष वर्ष में प्रचलित वित्तीय मानकों के साथ संरेखित करने के उद्देश्य  से इस अधिनियम को  आगे संशोधिन करने के लिए हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया गया है ।

तेरहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्य को वर्ष 2011-12 से वर्ष 2014-15 तक राजस्व घाटे को शून्य तथा वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य को प्राप्त करना था । वर्ष 2010-11 में बकाया ॠण को सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 22.4 प्रतिशत, वर्ष 2011-12 में 22.6 प्रतिशत, वर्ष 2012-13 में 22.7 प्रतिशत, वर्ष 2013-14 में 22.8 प्रतिशत तथा वर्ष 2014-15 में 22.9 प्रतिशत रखा जाना था । इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग के अनुसार, राज्य को राजस्व घाटे को शून्य तक लाना, राजकोषीय घाटे को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत तक  और बकाया ऋण को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 25 प्रतिशत तक रखना था।  लेकिन कोविड-19 महामारी के मद्देनजर वित्त मंत्रालय के निर्णयानुसार, राज्य सरकार वित वर्ष 2020-21 के दौरान अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की सीमा के अतिरिक्त 2 प्रतिशत ऋण और (वर्ष 2020-21 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत तक) राज्य विशिष्ट सुधारों के कार्यान्वयन के अधीन ले सकती थी ।

अत: राज्य सरकार द्वारा कुछ सुधारों को पूरा करने के लिए वित वर्ष 2020-21 के लिए भारत सरकार द्वारा प्रचलित सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 5 प्रतिशत की राजकोषीय घाटे की सीमा के साथ संरेखित करने के लिए वर्ष 2020 में अपने उक्त अधिनियम में संशोधन किया गया। अब राज्य सरकार केन्द्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित तथा भारत सरकार द्वारा अनुमोदित विशिष्ट वर्ष में प्रचलित सकल राज्य घरेलू उत्पाद की प्रतिशता के अनुसार राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा प्राप्त करेगी तथा बकाया ऋण सुनिश्चित करेगी।  राज्य सरकार वर्ष 2021-22 में 4 प्रतिशत तक, 2022-23 में 3.5 प्रतिशत और वर्ष 2023-24 से 2025-26 के दौरान सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। तदानुसार, हरियाणा राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करना आवश्यक हो गया था ।

हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022

कुछ छद्म सामाजिक संगठन अपने छिपे हुए एजेंडे के साथ धर्म-परिवर्तन के लिए समाज के कमजोर वर्गों को निशाना बनाते हैं। ऐसे कई मामले संज्ञान में आये हैं जिसमें प्रदेश के भोले-भाले लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्म-परिवर्तन करवाया गया है। इनमें से कुछ का जबरन धर्म परिवर्तित किया गया है।

ऐसे भी मामले आये हैं कि अपने धर्म की गलत व्याख्या करके दूसरे धर्म की लड़कियों से शादी की गई और शादी के बाद ऐसी लड़कियों को धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया। इस तरह की घटनाएं न केवल व्यक्तियों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है बल्कि हमारे समाज के सामाजिक-धार्मिक ताने-बाने को भी आघात पहुंचाती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक, 2022 को यथा संशोधित पारित किया गया है।

इसमें झूठ बोलकर, बल प्रयोग, धमकी, अनुचित प्रभाव, प्रलोभन या किन्हीं कपटपूर्ण साधनों या विवाह द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई गई है।

धर्म-परिवर्तन-यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट को धर्म-परिवर्तन का घोषणा निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करनी होगी।

धर्म-परिवर्तन का आयोजन करने का आशय रखने वाला कोई भी धार्मिक पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति जिला जिला मजिस्ट्रेट को आयोजन स्थल की जानकारी देते हुए पूर्व में नोटिस देगा।

इस नोटिस की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है।

जिला मजिस्ट्रेट जांच करके यह तय करेगा कि धर्म-परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघना है या नहीं है। यदि वह इसमें कोई उल्लंघना पाता है तो आदेश पारित करते हुए धर्म-परिवर्तन को अस्वीकार कर देगा।

जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के विरुद्घ 30 दिनों के भीतर मंडल आयुक्त के समक्ष अपील की जा सकती है। यदि कोई संस्था अथवा संगठन इस अधिनियम के उपबंधों की उल्लंघना करता है तो इस अधिनियम की धारा-12 के अधीन दंडित किया जाएगा। इस अधिनियम की उल्लंघना करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

मानव अंग प्रतिरोपण (हरियाणा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2022

हरियाणा सरकार द्वारा मानव अंगों को निकालने, उनके भण्डारण और प्रतिरोपण के विनियमन के लिए तथा मानव अंगों के वाणिज्यिक संव्यवहार की रोकथाम के लिए मानव अंग प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 लागू किया गया है।

मानव अंग प्रतिरोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 ( 2011 का केन्द्रीय अधिनियम 16), हरियाणा राज्यार्थ, के अधीन किए गए आदेशों, जारी की गई अधिसूचनाओं, की गई कार्यवाहियों तथा किए गए कार्यों को विधिमान्य करने के लिए मानव अंग प्रतिरोपण (हरियाणा विधिमान्यकरण) विधेयक, 2022 पारित किया गया है।

अब दाता के मानव अंगों या उतकों या दोनों के निकाले जाने, भंडारकरण या प्रतिरोपण के लिए अस्पताल द्वारा ह्यïूमन ऑर्गन रिमूवल सैंटर को लिखित में सूचना देनी होगी। मानव अंग के चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए निकाले जाने के लिए पर्याप्त आधार होना चाहिए। किन्तु ऐसा अंग रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं निकाला जाएगा। 

जहां कोई मानव अंग किसी मृत व्यक्ति के शरीर से निकाला जाता है, वहां रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी व्यक्तिगत परीक्षा करके यह सुनिश्चित करेगा कि उस शरीर में से जीवन समाप्त हो गया है या जहां वह मस्तिष्क स्तंभ मृत्यु का कोई मामला प्रतीत होता है वहां , ऐसी मृत्यु उपधारा (6) के अधीन प्रमाणित कर दी गई है ।

 मानव अंगों के निकाले जाने और प्रतिरोपण के संबंध में निर्बंधन-जहां दाता या प्राप्तिकर्ता, निकट संबंधी और विदेशी राष्ट्रिक है, ऐसे मामलों में मानव अंग या ऊतक या दोनों को निकालने या प्रतिरोपण करने से पूर्व प्राधिकार समिति से अनुमति लेना आवश्यक होगा।

यदि प्राप्तिकर्ता विदेशी राष्ट्रिक है और दाता कोई भारतीय राष्ट्रिक है तो प्राधिकार समिति ऐसे अंग निकाले जाने या प्रतिरोपण का जब तक अनुमोदन नहीं करेगी जब तक कि वे निकट संबंधी  ना हों। इसी प्रकार, किसी अवयस्क (बच्चे) के शरीर से उसकी मृत्यु से पूर्व कोई मानव अंग या ऊतक या दोनों, प्रतिरोपण के प्रयोजन के लिए विहित किए बिना निकाले नहीं जाएंगे। किसी मानसिक रूग्णता से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर से उसकी मृत्यु के पहले प्रतिरोपण के लिए कोई मानव अंग या ऊतक या दोनों नहीं निकाले जाएंगे।

इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम के किसी अन्य उपबन्ध का अथवा मंजूर किये गये रजिस्ट्रीकरण की किसी शर्त का उल्लंघन करने वाले को पांच वर्ष तक के कारावास या बीस लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

 

 


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Content Writer

Vivek Rai

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