हरियाणा के सियासी सफर में 35 वर्ष बाद दादा देवीलाल की राह पर अभय चौटाला
punjabkesari.in Thursday, Jan 28, 2021 - 03:18 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): हरियाणा के सियासी सफर में करीब 35 वर्षों के बाद दादा चौ. देवीलाल की राह पर अब उनके पोते अभय सिंह चौटाला न केवल चलते नजर आ रहे हैं, बल्कि अपने दादा की तरह प्रदेश के हितों को लेकर विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद उन्हीं की तर्ज पर प्रदेश में न्याययुद्ध भी चलाने की तैयारी में हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि स्व. चौ. देवीलाल ने 1985 में उस समय अपने विधायकों के साथ विधानसभा से त्याग पत्र दिया था जब सतलुज यमुना लिंक नहर का मामला गर्माया हुआ था।
उन्होंने तब एस.वाई.एल. के साथ साथ हरियाणा से जुड़े कई अन्य मुद्दों को लेकर विरोध स्वरूप अपना त्याग पत्र दिया था, तब वे महम से विधायक थे। अब उनके पोते अभय सिंह चौटाला ने जब त्याग पत्र दिया है तो उनके त्याग पत्र के पीछे किसानों का मुद्दा मुख्य रूप से शामिल है और वे ऐलनाबाद से विधायक थे। गौरतलब है कि स्व. चौ. देवीलाल 1982 में महम से विधायक निर्वाचित हुए थे और तब भजन लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सतलुज यमुना लिंक नहर के मसले पर हरियाणा को उसके हिस्से का पानी दिलाने के साथ साथ प्रदेश हित से जुड़े कई मुद्दों को लेकर 1985 में चौ. देवीलाल ने अपने साथी विधायकों के साथ सामूहिक त्याग पत्र दे दिया था।
त्याग पत्र देने के साथ ही उन्होंने पूरे प्रदेश में न्याययुद्ध का ऐलान कर दिया था, उस वक्त चौ. देवीलाल के पक्ष में ऐसा माहौल बना था कि न केवल प्रदेश का समूचा विपक्ष चौ. देवीलाल के नेतृत्व में लामबंद हो गया था बल्कि स्वयं चौ. देवीलाल पुन: महम से भारी बहुमत से विजयी हुए और उनके नेतृत्व वाली 1987 में हरियाणा संघर्ष समिति को विधानसभा की 90 में से 85 सीटें मिली और चौ. देवीलाल दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।
अब उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए उनके पौते एवं इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भी किसानों के मुद्दे पर न केवल बुधवार को अपना त्यागपत्र दे दिया बल्कि दादा की तरह ही प्रदेश में अब तीन कृषि कानूनों व सतलुज यमुना लिंक नहर जैसे मसलों को लेकर फिर से प्रदेश में न्याययुद्ध पार्ट-2 शुरू करने के लिए भी कमर कस ली है। जिसकी पूरी रूपरेखा तय होने के बाद अभय अपने इस बड़े आंदोलन की घोषणा आने वाले दिनों में कर सकते हैं।
तीसरे उपचुनाव में उतरेंगे अभय
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने यूं तो अपने सियासी जीवन की शुरूआत चौटाला गांव से पंचायत सदस्य के रूप में की और बाद में वे जिला परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए और फिर जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी बने। विधानसभा चुनाव लडऩे की शुरूआत अभय चौटाला ने उपचुनाव से ही की। वर्ष 2000 में जब प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ इनैलो की सरकार बनी तब अभय के पिता ओमप्रकाश चौटाला ने उस वक्त नरवाना व रोड़ी विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और इन दोनों ही सीटों पर विजयी हुए थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने रोड़ी सीट से अपना त्याग पत्र दे दिया था और फिर खाली हुई इस सीट से अभय चौटाला मैदान में उतरे और रिकार्ड मतों के अंतर से विजयी होकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। उसके बाद वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला फिर उचाना व ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्रों से चुनावी मैदान में उतरे और इस बार भी दोनों ही क्षेत्रों से जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने ऐलनाबाद से अपना त्याग पत्र सौंपा। इस बार भी अभय सिंह चौटाला उपचुनाव में उतरे और ऐलनाबाद से जीत कर दूसरी बार विधायक बने।
अब चूंकि अभय ऐलनाबाद से अपना त्याग पत्र दे चुके हैं और उनका इस्तीफा मंजूर भी हो गया है, ऐसे में ऐलनाबाद सीट पर फिर से उपचुनाव होंगे और अभय चौटाला तीसरी बार उपचुनाव की जंग में मैदान में उतरेंगे। यही नहीं उपचुनावों के अलावा अभय सिंह चौटाला 2014 व 2019 में ऐलनाबाद सीट से ही आम चुनाव में भी जीत दर्ज कर चुके हैं और वे 2014 से 2019 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। यदि अब होने वाले उपचुनाव में ऐलनाबाद से अभय चौटाला जीतते हैं तो यह उनकी उपुचनाव में तीसरी जीत होगी जबकि इससे पहले वे ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं।
राजनीति के अलावा खेलों में भी रखते हैं रुचि
बेशक अभय सिंह चौटाला ने अपने दादा की तरह विधानसभा से अपना त्याग पत्र सौंप कर प्रदेश की राजनीति में हलचल कायम कर दी है मगर इसमें कोई दोराय नहीं कि अभय राजनीति के खिलाड़ी होने के साथ साथ खेल के मैदान में भी मंझे हुए खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान रखते हैं। पंजाब के जिला अबोहर के गांव पंचकोसी में 14 फरवरी 1963 को जन्मे अभय सिंह चौटाला ने एस.एम हिंदू हाई स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद हिसार की हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के स्पोट्र्स कालेज से डिग्री हासिल की।
उन्होंने आठ बार हरियाणा की तरफ से वॉलीबाल नैशनल चैम्पियनशिप में शिरकत की और देश के प्रतिष्ठित खेल संस्थान भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष के अलावा वे वर्ष 2000 में भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बने। इसके अलावा वे एशियन बॉक्सिंग फेडरेशन के उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने बार्सेलोना, अटलांटा, सिडनी, एथैंस एवं बीजिंग में हुए ओलम्पिक गेम्स में भी शिरकत की।