पार्टियों के साथ कई सियासी दिग्गजों की साख का सवाल बना है बरोदा उपचुनाव, किसका होगा बेड़ा पार?
punjabkesari.in Saturday, Oct 03, 2020 - 12:02 AM (IST)
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): 3 नवम्बर को होने जा रहे बरोदा विधानसभा उपचुनाव जहां सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के अलावा कांग्रेस व इनेलो के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्र माना जा रहा है, वहीं यह चुनाव कई नेताओं के लिए व्यक्तिगत साख का भी सवाल है। इन नेताओं में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला तथा इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला जैसे दिग्गज शामिल हैं।
उक्त नेताओं के लिए यह उपचुनाव व्यक्तिगत तौर पर नाक का सवाल माना जा रहा है। यही वजह है कि बरोदा उपचुनाव को लेकर इन सभी नेताओं ने चुनाव घोषणा से पहले ही पूरी ताकत झोंक दी थी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बरोदा उपचुनाव किस दल का बेड़ा पार करता है और किसको नकारता है?
गौरतलब है कि बरोदा विधानसभा सीट दो बार मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है। 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से हुड्डा के विश्वासपात्रों में शुमार रहे स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक बने। 2005 में जब कांग्रेस को 67 सीटों पर जीत मिली थी और उस समय हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था, तब वे सांसद थे। उस दौरान हुड्डा को विधायक बनाने के लिए किलोई से विधायक निर्वाचित हुए श्रीकृष्ण हुड्डा ने ही उनके लिए ही त्यागपत्र देकर किलोई सीट खाली की थी। उसके बाद श्रीकृष्ण हुड्डा ने किलोई को छोड़ सोनीपत संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीट बरोदा पर अपना फोकस कर दिया और उन्होंने वहां से पहला चुनाव 2009 में लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद 2014 एवं 2019 में भी लगातार दो बार बरोदा से जीत हासिल कर श्रीकृष्ण हुड्डा ने जीत की हैट्रिक लगाई।
उल्लेखनीय है कि सोनीपत व रोहतक ऐसे इलाके हैं जहां पर हुड्डा विपरीत सियासी धारा के बीच भी जंग जीतते रहे हैं। ऐसे में अपने गढ़ माने वाले बरोदा विधानसभा सीट का उपचुनाव भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्र माना जा रहा है। इसी वजह से स्वयं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा उनके बेटे एवं राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा भी बरोदा उपचुनाव की जंग जीतने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं।
इसी तरह से 1977 से लेकर 2005 तक इस सीट पर जीत दर्ज करने वाली लोकदल के लिए भी बरोदा का उपचुनाव एक बड़ी चुनौती के साथ स्वयं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। यही वजह है कि इस सीट के रिक्त होने के बाद से ही इंडियन नेशनल लोकदल पूरी तरह से यहां सक्रिय है। अभय सिंह लगातार बरोदा में दस्तक दे रहे हैं तो उनके बेटे अर्जुन चौटाला भी उपचुनाव की कमान संभाले हुए हैं।
गौरतलब है कि जनवरी 2019 के जींद उपचुनाव में इनेलो को महज 3,454 वोट मिले थे और उसके बाद अक्तूबर 2019 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से महज अभय चौटाला ही इकलौते विधायक निर्वाचित हुए। ऐसे में अभय चौटाला बरोदा पार्टी की दमदार उपस्थिति करवाने को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
जाटों को रिझाने की कवायद
बरोदा विधानसभा क्षेत्र में 96,889 पुरुष जबकि 79,416 महिला मतदाता हैं। यहां पर करीब 50 फीसदी मतदाता जाट हैं और 2009 में इस सीट के सामान्य सीट बनने के बाद यहां से लगातार तीन बार जाट नेता ही विधायक निर्वाचित हुए हैं। यही वजह है कि जाटों को रिझाने की कवायद फिर से जारी है। खासकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी जाट वोट बैंक पर फोकस करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। इसी कारण से अभी हाल में सुभाष बराला की जगह पर जाट समुदाय से ही ताल्लुक रखने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। इसके साथ ही बरोदा विधानसभा उपचुनाव के लिए जाट समुदाय से ही मनोहर सरकार में मंत्री जे.पी. दलाल को चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
गौरतलब है कि 2019 के संसदीय एवं विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय का वोट बैंक भाजपा से खिसक गया था। शायद भाजपा अपनी नई रणनीति के तहत जहां जाट वोट बैंक को अपने साथ जोडऩे की कवायद कर रही है तो वहीं बरोदा सीट को भी जीतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा व इनेलो की ओर से ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला जाटों में ऐसे बड़े चेहरे हैं जो बरोदा उपचुनाव में खुद जाटों को रिझाने के लिए जी-तोड़ कोशिश करेंगे। अब देखना यह होगा कि इस इलाके का जाट मतदाता किसका नेतृत्व स्वीकार करता है?
कभी लोकदल तो कभी कांग्रेस का गढ़ रहा है बरोदा
बरोदा की सीट इनेलो व कांग्रेस दोनों का गढ़ रही है। यहां से कांग्रेस लगातार पिछले तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक लगा चुकी है। 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा विधायक निर्वाचित हुए। 1977 से लेकर 2005 तक यहां पर चौ. देवीलाल व चौ. ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में गठित सियासी दलों के उम्मीदवारों को जीत मिली। अब तक 6 बार कांग्रेस, जबकि 6 बार देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले दलों के उम्मीदवारों को जीत मिली है। एक बार विशाल हरियाणा पार्टी ने जीत हासिल की है।
अभी तक भाजपा के लिए बरोदा की सियासी जमीन बंजर रही है और यहां पर कमल नहीं खिला है। पिछली बार भाजपा यहां पर दूसरे नम्बर पर रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा को 42,566 (34.67 प्रतिशत) वोट मिले थे और भाजपा के योगेश्वर दत्त को 37,226 (30.73 प्रतिशत) वोट मिले थे। इस तरह से कांग्रेस ने भाजपा को 5,340 वोटों से हराया था।