भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 16 नवंबर को बुलाई विधायक दल की बैठक

punjabkesari.in Saturday, Nov 13, 2021 - 12:17 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी):   हरियाणा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 16 नवंबर को चंडीगढ़ अपने निवास पर हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। विधायक दल की मीटिंग के अंदर जहां ऐलनाबाद के चुनाव परिणाम पर चर्चा होगी वही वर्तमान राजनीतिक हालात तथा भविष्य में होने वाले शीतकालीन सत्र पर चर्चा की जाएगी। विधायक दल की मीटिंग के अंदर जहां भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के सभी विधायक मौजूद रहेंगे वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा गुटके 5 विधायकों की मौजूदगी भी रह सकती है। अतीत में भी विधायक दल की हर बैठक के अंदर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा गुट के विधायक ज्यादातर आते रहे हैं। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस तथा नेता प्रतिपक्ष के गुटों में जिस प्रकार खुली रस्साकशी चल रही है उससे कांग्रेस मजबूत होने की बजाय हरियाणा के अंदर कमजोर हो रही है। हरियाणा के अंदर कांग्रेस में गुटबाजी  दिन-ब-दिन बढ़ रही है। हरियाणा युवा कांग्रेस अध्यक्ष पद पर दिव्यांशु बुद्धि राजा के चयन के बाद हुड्डा गुट को विशेष ताकत मिली है। दीपेंद्र हुड्डा की टीम के सदस्य माने जाने वाले दिव्यांशु बुद्धि राजा एनएसयूआई में रहते हुए भी सदैव हुड्डा खेमे में रहे। वहीं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा लगातार राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ उत्तर प्रदेश में लगातार सक्रियता बढ़ाएं हुए हैं।

 प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष व कुमारी शैलजा की गिनती भी राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा उनके परिवार की निकटता के कारण आलाकमान से सीधे तालमेल की होती है। भूपेंद्र हुड्डा खुद 10 साल मुख्यमंत्री हरियाणा रहे है। भूपेंद्र हुड्डा की खुद की पकड़ राष्ट्रीय आलाकमान में मजबूत है। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा अपनी पारी प्रियंका गांधी की टीम का सदस्य बनकर शुरू कर चुके हैं। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रणदीप सिंह सुरजेवाला पहले से ही राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रधान महासचिव है तथा गांधी परिवार की निकटता का लाभ होने में संदेह हर जगह मिल रहा है। राजनीतिक चर्चा यह है कि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के सभी आला नेता क्या कभी दिल से एक मंच पर आ  पाएंगे।कांग्रेस और कुमारी सैलजा के लिए इससे भी कांग्रेस में गुटबाजी के चलते एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरु हो चुका है।  जिला पंचकूला युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष  व भारतीय वाल्मीकि धर्म समाज (रजि.)भावाधस भारत के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री वीर श्रेष्ठ मुकेश सिरसवाल वाल्मीकिन ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शेलेजा के खिलाफ खुला मोर्चा खोला है।उन्होंने कहा कि   दलित चेहरा होने और दलित नेता होने में जमीन-आसमान का फर्क है। ये फर्क ऐलनाबाद उपचुनाव में स्पष्ट तौर पर नजर आया है। यह चुनाव कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा के लिए अपने आप को साबित करने.   के लिए बड़ा मौका था। क्योंकि प्रदेश में पार्टी की कमान उनके हाथ है, साथ ही पार्टी ने उनके कंडीडेट पवन बेनिवाल को ही टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा, चुनाव लड़ाने और पार्टी के तमाम नेताओं की ड्यूटी लगाने का जिम्मा भी खुद कुमारी सैलजा पर था।

मुकेश सिरसवाल ने कहा कि बावजूद इसके पवन बेनीवाल अपनी जमानत नहीं बचा पाए। कांग्रेस और कुमारी सैलजा के लिए इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि दलित बूथों पर भी पवन बेनिवाल पूरी तरह फिसड्डी साबित हुए। सैलजा का धुआंधार प्रचार दलित वोटर्स पर कोई असर नहीं छोड़ पाया। दलित बूथों पर वोटिंग का पैटर्न देखा जाए तो आंकड़े  शर्मसार करने वाले हैं। बेनिवाल दूर-दूर तक कहीं भी प्रतिद्वंदि उम्मीदवारों के मुकाबले में नजर नहीं आए। बल्कि इस चुनाव के मुकाबले  2019 के चुनाव में  मिले टोटल दलित वोट  बहुत ज्यादा पवन बेनीवाल को हासिल हुए थे।21 दलित बूथों में से सिर्फ एक बूथ पर सैलजा के कंडीडेट पवन बेनीवाल को जीत नसीब हुई। एक बूथ पर वो दूसरे नंबर पर रहे। बाकी सभी बूथों पर वो तीसरे नंबर पर रहे। जहां अभय चौटाला और गोपाल कांडा को लगभग हर बूथ पर 200-300 वोट मिल रहे थे। वहीं, 21 में से सिर्फ 2 बूथों पर बेनिवाल को 100 से ज्यादा वोट मिले। 19 बूथों पर उन्हें 100 से भी कम वोट मिले। हैरानी की बात है कि बेनिवाल को 21 में से 9 बूथों पर तो 50 या 50 से भी कम वोट मिले। एक बूथ (137) पर तो उन्हें सिर्फ 10 वोट प्राप्त हुए। 

मुकेश सिरसवाल   ने कहा कि  इससे पहले बरोदा उपचुनाव में हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साधारण कार्यकर्ता को इंदुराज नरवाल को मैदान में उतारा था। पार्टी ने चुनाव की पूरी जिम्मेदारी हुड्डा को सौंपी थी। दीपेंद्र हुड्डा ने इंदुराज नरवाल के साथ अपनी साख को भी दांव पर लगा दिया था। कांग्रेस ने बरोदा में बड़ी जीत दर्ज की। बरोदा में एक-एक वोट हुड्डा के नाम पर पड़ा। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद सैलजा बरोदा में एक-दो बार महज हाजिरी लगाने के लिए पहुंची थी। कॉर्पोरेशन के  मेयर इलेक्शन में हुड्डा ने सोनीपत संभाला था । वहा जीत मिली और दूसरी और सेल्जा ने पंचकुला और अंबाला में जहा कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

 मुकेश सिरसवाल   ने कहा कि  ऐलनाबाद में सीन बिलकुल उलट था। यहां पहले दिन से कुमारी सैलजा ने मोर्चा संभाल लिया था। उनके पास बीजेपी से कांग्रेस में आए पवन बेनिवाल मजबूत कैंडिडेट थे। लेकिन चुनाव में ना बेनिवाल का दम दिखा और ना ही सैलजा का कोई असर दिखा दलित में। इसके विपरित पिछली बार 35 हजार वोट मिले थे घटकर 20 हजार रह गए और कांग्रेस पार्टी की जमानत जब्त हो गई । ना भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी एलनाबाद में एक दो प्रोग्राम को छोड़कर ज्यादा नजर नहीं आए । कांग्रेस पार्टी के लिए हिमाचल में ज्यादा दिन प्रचार करते नजर आए। और दूसरी तरफ कांग्रेस हाई कमान ने हार का पल्ला भरत सिंह बेनीवाल को नोटिस देकर झाड़ लिया । क्या अकेला भरत सिंह  ही जमानत जब्त करवाने को जिम्मेदार है ।

 


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Content Writer

Isha

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