ज्ञान चंद गुप्ता जन्मदिन विशेष : कर्म और अनुशासन से तय किया 75 वर्ष का सफ़र, ई- विधानसभा की शुरुआत करवाई
punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2023 - 10:01 PM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : हरियाणा ने कई कर्मवीरों को जन्म दिया है। ऐसे ही कर्मवीर हैं हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष और पंचकूला के विधायक ज्ञान चंद गुप्ता। उन्होंने अपने जीवन के 75 वर्ष तक का यह सफ़र कर्म को अपना धर्म मानकर अनुशासन के साथ सफलता पूर्वक तय किया। उनका यह सफ़र संघर्ष से भरा रहा। यह संघर्ष अपने लिए नहीं बल्कि आम जनों के लिए रहा। चंडीगढ़ में मेयर बने तो चंडीगढ़ को संवारा और पंचकूला में विधायक बने तो ज़िले की कायापलट दी। यही नहीं, विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने हरियाणा के अपने क़ानून बनवाए और इसके साथ ही ई विधानसभा की शुरुआत की। जिसके माध्यम से विधानसभा का लाखों रुपये बचाया।
ज्ञान चंद गुप्ता के जीवन में अनुशासन आया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से, चौदह वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य बन गए। विनम्र शैली की वजह से वह देश के महानतम नेताओं के प्रिय बन गए। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और हरियाणा की कैबिनेट के हरेक मंत्री के साथ ही वह विपक्षी दलों के नेताओं के भी प्रिय बन गए।
ज्ञान चंद गुप्ता का जन्म डेराबस्सी के छोटे से गांव में हुआ था। परिवार के पोषण के लिए वह अपने पिता के साथ चंडीगढ़ आ गए। चंडीगढ़ की सेक्टर-26 की मंडी में उन्होंने छोटा सा कारोबार शुरू किया। वह काम भी करते थे और पढ़ाई भी करते। उन्होंने डीएवी स्कूल में उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। उस समय देश में इंडस्ट्री लग रहीं थीं और युवाओं में पॉलीटेक्निक से डिप्लोमा करके नौकरी करने का क्रेज़ काफ़ी ज़्यादा था। ज्ञान चंद गुप्ता ने भी पॉलीटेक्निक में पढ़ाई की। लेकिन उनका मन अपने कारोबार और समाज सेवा में लग चुका था।
जनसंघ ने जनता पार्टी बनाकर जब वर्ष 1977 में चुनाव लड़ने की योजना बनाई तो उन्होंने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। वर्ष 1980 में जनता पार्टी का विघटन हो गया और भारतीय जनता पार्टी का उदय हो गया। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बन गए। भारतीय जनता पार्टी ने जब उनकी लगन देखी तो ज्ञान चंद गुप्ता को चंडीगढ़ का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। उन्होंने चंडीगढ़ में पार्टी के कामकाज को बख़ूबी संभाला। वह एक लंबे अरसे तक बीजेपी चंडीगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उनके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन तब आया जब वर्ष 1995 में हमारे देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ के प्रभारी बने। उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डायनेमिक निर्देशन में काम करने का मौक़ा मिला। ज्ञान चंद गुप्ता ख़ुद बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुशासन और कर्म पर विश्वास करते हैं। यही वजह रही कि पांच साल तक चंडीगढ़ में पार्टी के प्रभारी होने के नाते उन्होंने बीजेपी की ताक़त में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा करवाया।
दो वर्ष बाद 1996 में जब नगर निगम चंडीगढ़ के चुनाव हुए तो भाजपा ने ज्ञान चंद गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया। वह नगर निगम चुनाव में जीते और चंडीगढ़ के मेयर बन गए। ज्ञान चंद गुप्ता बेशक चंडीगढ़ में मेयर थे लेकिन उनकी लोकप्रियता पंचकूला में भी बढ़ती जा रही थी। यही वजह रही कि पार्टी ने उनको चंडीगढ़ छोड़कर पंचकूला में पार्टी का कार्यभार सँभालने को कहा।
वर्ष 2005 में एक ऐसा पल आया जिसने ज्ञानचंद गुप्ता के जीवन को झकझोर दिया, वो टूट गए, वजह थी उनके छोटे बेटे स्वर्गीय अश्वनी गुप्ता की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु। इस हादसे ने पूरे परिवार पर कहर ढा दिया। ज्ञान चंद गुप्ता को समझ में नहीं आ रहा था क्या करें। यह सदमा काफ़ी गहरा था। इससे उबरने में थोड़ा समय लगा। उन्होंने अपने को सँभाला और फिर से राजनीति में सक्रिय हुए। वर्ष 2014 में जब भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में चुनाव के लिए उतरी तो पंचकूला से उनको पार्टी का कंडीडेट बनाया गया। इन चुनाव में वह 48500 वोटों से जीत गए।
भारतीय जनता पार्टी ने उनको चीफ व्हिप और पब्लिक एकाउंट कमेटी के चेयरमैन के रूप में ज़िम्मेदारी सौंपी। वर्ष 2019 में वह पंचकूला विधानसभा से चुनाव लड़े तो जीत गए। चार नवंबर वर्ष 2019 को वह हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए। ज्ञान चंद गुप्ता का राजनीतिक और सामाजिक जीवन लोगों के लिए रहा। पंचकूला के लोगों से ख़ुद जाकर मिलना उनकी ताक़त रही। जिस ताकत की वजह से उनका राजनीतिक जीवन सफलता के नए आयाम स्थापित करता रहा। पंचकूला में डवलपमेंट के साथ ही लोगों के लिए सुविधाएँ बढ़ाने का काम भी उन्होंने किया। डंपिंग ग्राउंड की समस्या को ख़त्म करवाने, निफ़्ट, बरवाला में इंडस्ट्रियल एरिया जैसे बड़े प्रोजेक्ट को लाने में उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने हरियाणा में ई विधानसभा की शुरुआत करवाई जिस माडल को देखने और उसको फ़ॉलो करने के लिए अब दूसरे राज्यों के प्रतिनिधि भी लग गए हैं।
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)