हरियाणा में CID की कार्य-पद्धति में सुधार के लिए कमेटी की रिपोर्ट अभी तक लंबित

punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2020 - 03:44 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा सरकार के गृह विभाग द्वारा राज्य सीआईडी (क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट) के वर्तमान स्वरुप में परिवर्तन आदि और उसकी कार्य-पद्धति में सुधार के लिए करीब सात माह पूर्व प्रदेश के गृह सचिव विजय वर्धन, आईएएस की अध्यक्षता में तीन सदस्य कमेटी गठित की गई थी, जिसमें  डीजीपी (पुलिस महानिदेशक ) रैंक के दो वरिष्ठ अधिकारी 1985 बैच के आईपीएस  केपीसिंह और 1986 बैच के आईपीएस  पीआर देव शामिल थे। 

इसमें से केपी सिंह तो एक माह पूर्व 30 जून को सेवानिवृत्त हो गए, जबकि देव अगले माह 30 सितंबर को रिटायर हो जाएंगे। लेकिन आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या उक्त कमेटी ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट दे दी है अथवा यह आज तक लंबित है। उल्लेखनीय है की इस कमेटी के गठन के समय सीआईडी गृह मंत्री अनिल विज के पास था, जिसे 22 जनवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वापस अपने पास ले लिया था। 

हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा इस वर्ष फरवरी में जारी हरियाणा के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के मध्य आबंटित विभागों संबंधी ताजा आदेश में मुख्यमंत्री  के मौजूदा विभागों में गुप्तचर (सीआईडी) का उल्लेख है, इसका अंग्रेजी में अनुवाद क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन दर्शाया गया है। वहीं हिंदी में अर्थ होता है आपराधिक अन्वेषण (जांच)।

रोचक बात यह है कि सीआईडी अर्थात गुप्तचर विभाग कानूनन किसी प्रकार की क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (अनुसंधान) आदि नहीं करता। सीआईडी की असल कमान को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विज के मध्य कई महीनों पूर्व तकरार जैसे स्थिति व्याप्त हो गई थी, चूंकि विज ने जब वर्ष 2019 नवंबर माह में गृहमंत्री का पद संभाला तब यही दावा किया कि प्रदेश सरकार के वर्ष 1974 के कार्य संचालन नियमों में सीआईडी को गृह विभाग में ही दर्शाया गया है, इस कारण यह उनके अधीन आता है, जबकि दूसरी तरफ से तर्क दिया गया कि गृह मंत्री बनाने के बावजूद आज तक प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों ने सीआईडी को अपने पास ही रखा। 

हरियाणा के मौजूदा पुलिस कानून अर्थात हरियाणा पुलिस अधिनियम 2007, जो प्रदेश में 1 नवंबर, 2008  से लागू है, में सीआईडी नाम का कहीं उल्लेख नहीं है। इसके स्थान पर 2007 पुलिस कानून की धारा 16 में प्रदेश पुलिस में स्टेट इंटेलिजेंस विंग और स्टेट क्राइम इन्वेस्टीगेशन विंग बनाने का उल्लेख है। 

ध्यान देने योग्य है कि उक्त कानून के अनुसार यह दोनों कोई अलग विभाग नहीं बल्कि राज्य पुलिस के ही दो अलग अलग विंग अर्थात शाखा है। स्टेट इंटेलिजेंस विंग का कार्य आसूचना (इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन, विश्लेषण एवं प्रचारण   करना है जो कार्यं वर्तमान में हरियाणा सीआईडी द्वारा किए जाते हैं।

बीती 31 जुलाई को हरियाणा कैडर के 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक मित्तल, जो एडीजीपी रैंक में हैं एवं जो बीते जून माह में ही केंद्र सरकार के अधीन  एनआईए (नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ) में पांच वर्षो की डेपुटेशन अवधि के बाद हरियाणा कैडर में वापिस लौटे हैं, उन्हें हरियाणा सीआईडी (गुप्तचर) का बता प्रमुख तैनात किया गया।

भारत में सीआईडी की स्थापना अंग्रेजी शासनकाल दौरान की गई थी। हालांकि देश के सभी राज्यों में इसकी संरचना एवं कार्यकलाप एक समान नहीं हैं। चूंकि कानूनन हरियाणा में वर्तमान सीआईडी के पास न तो क्रिमिनल इंटेलिजेंस है तो न ही क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन करने की शक्ति। यह दोनों हरियाणा पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 16 के अंतर्गत स्टेट क्राइम इन्वेस्टीगेशन विंग के पास निहित है, इसलिए सीआईडी का वर्तमान अंग्रेजी नाम क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन न्यायोचित नहीं है।

 राज्य सरकार को उपयुक्त कानूनी एवं आधिकारिक संशोधन कर प्रदेश सीआईडी (गुप्तचर) का नाम वर्तमान क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (अपराधिक अन्वेषण) से बदलकर स्टेट इंटेलिजेंस विंग अथवा स्टेट क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग कर देना चाहिए। भारत सरकार में भी गुप्तचर आदि कार्यों के लिए इंटेलिजेंस (आसूचना) ब्यूरो के नाम से विभाग है जो केंद्रीय गृह मन्त्रालय के अधीन आता है। लिखने योग्य है कि  पंजाब सरकार ने भी कुछ वर्षो पूर्व अपनी सीआईडी का नाम बदलकर इंटेलिजेंस विंग कर दिया था। 

दूसरी ओर  स्टेट क्राइम  इन्वेस्टीगेशन विंग का कार्य आपराधिक आसूचना (क्रिमिनल इंटेलिजेंस) का संग्रहण, समाकलन  और विश्लेषण करना है। इसके साथ साथ यह विंग गंभीर और जघन्य अपराधों एवं जिनका अंतरराज्यिक, अंतर-जिला, बहुशाखन, मुख्य आर्थिक अपराध, साइबर अपराध एवं अन्य गंभीर अपराधों के सम्बन्ध में अन्वेषण/जांच  करना भी शामिल है।

एडवोकेट हेमंत ने बताया कि वर्तमान में यह सारे कार्य वर्तमान में हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा किए जा रहे हैं, जिसके डीजीपी 1989 बैच के वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी मोहम्मद अकील है। ज्ञात रहे कि 2007 के हरियाणा पुलिस कानून की धारा 16 में इंटेलिजेंस और क्रिमिनल इंटेलिजेंस में अंतर उल्लेखित है।

22 जनवरी को ही हेमंत ने हरियाणा के  राजभवन में एक आरटीआई याचिका दायर कर सूचना मांगी कि हरियाणा में सीआईडी की स्थापना प्रदेश सरकार की किस नोटिफिकेशन अथवा किस आदेश में की गई है एवं यह किस कानून में कार्य कर रही है और इसकी शक्तियां क्या हैं।

 इसके अलावा उन्होंने  हरियाणा पुलिस कानून, 2007 लागू होने के बाद स्टेट इंटेलिजेंस विंग (राज्य गुप्तचर शाखा) और स्टेट क्राइम इन्वेस्टीगेशन विंग (राज्य आपराधिक अन्वेषण शाखा) स्थापित करने संबंधी सूचना भी मांगी और उक्त दोनों विंग बनने के बाद सीआईडी के वर्तमान अस्तित्व बारे भी जानकारी मांगी।

3 फरवरी  को हरियाणा राजभवन ने हेमंत की उक्त आरटीआई याचिका हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग को भेजकर उन्हें इस संबंध में जवाब देने को कहा है। जिसके बाद गृह विभाग ने इस याचिका को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी ) कार्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया, जहां से दुर्भाग्यवश आज तक कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ है।


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Edited By

vinod kumar

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