प्रतिस्पर्धा ही सही लेकिन कोरोना की जंग जीतने के लिए मिलने लगी ऑक्सीजन

punjabkesari.in Sunday, May 23, 2021 - 02:35 PM (IST)

महेंद्रगढ़/रेवाड़ी (योगेंद्र सिंह): कोरोना की जंग जीतने के लिए पहले जितनी मशक्कत करना पड़ रही थी लगता है अब तस्वीरें बदलने लगी हैं। अभी तक एक-दूसरे की टांग खींचने वाली राजनीतिक पार्टियां अब एक-दूसरे को देखते हुए कोरोना रूपी जंग के मैदान में कूद चुकी हैं। आरोप-प्रत्यारोप के बजाए अब अधिकतर नेताओं ने सीधे लोगों से रूबरू होकर या फिर वर्चुअल तरीके से इस लड़ाई में मोर्चा संभाल लिया है। यही कारण हैं कि अभी तक ऑक्सीजन किल्लत, हॉस्पिटल में एडमिट के लिए मारामारी, एंबुलेंस वालों की मनमानी, भोजन के लिए परेशान मरीज एवं उनके परिजन जैसी समस्याएं देखते ही देखते खत्म होने लगी हैं। हालांकि यह सब राजनीति में आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते ही संभव हुआ है लेकिन देर आए दुरस्त की तर्ज पर कोरोना जंग जीतने के लिए इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा जरूरी है।

यदि एक सफ्ताह पूर्व दक्षिण हरियाणा के क्षेत्र में नजर दौड़ाएंगे तो उस समय हाहाकार मचा हुआ था। हॉस्पिटल से लेकर शहर-गांव में दहशत का माहौल था। हॉस्पिटलों में बेड फुल होने, ऑक्सीजन नहीं होने के नोटिस लग गए थे, सिफारिश केबाद भी ना तो मरीज हॉस्पिटल में एडमिट हो पा रहे थे ना ही उनका समुचित इलाज हो पा रहा था। मदद की गुहार मोबाइल फोन से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गूंज रही थी। महामारी के इस हाहाकार के चलते ही शायद चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता भी कहीं नजर नहीं आ रहे थे। लोगों का आक्रोश अपने चरम पर था और यही कारण रहा कि सीएम मनोहरलाल खट्टर ने अपनी सरकार के नुमाइंदों को मैदान में उतरकर गांव-गांव, शहर-शहर जाने को कहा। 

सीएम को छोड़ दें तो अधिकतर मंत्री दूरभाष, प्रेसनोट व सोशल प्लेटफार्म पर ही सक्रिय नजर आए। कोई भी लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए फील्ड में नजर नहीं आया। सबसे पहले ज.का. पा. ने हिम्मत दिखाई और जिलेवार अपने कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर उनके नाम व मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर लोगों की मदद का अभियान शुरू किया। सामाजिक संगठनों ने खाने-पीने का अभियान शुरू किया। इसके बाद भाजपा ने पहले तो रसोई की शुरूआत कर गरीब, कोरोना पीड़ित एवं उनके परिजनों का पेट भरने का इंतजाम किया।

इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं की कमियां दूर करने का अभियान चलाया। खुद सीएम ने किसानों के विरोध के बावजूद फील्ड में जाकर इस आपदा में विजय के लिए मोर्चा संभाला। इसके बाद धीरे-धीरे भाजपा विधायक, सांसद सहित अन्य नेता सामने आने लगे। कोई वर्चुअल तरीके से कार्यकर्ताओं की पीठ थपथपाते हुए उनका उत्साह बढ़ाकर लोगों की मदद के करने के अभियान को तेज करने की जिम्मेदारी सौंपी। कई नेताओं ने चिकित्सक, अधिकारियों को लगातार फोन कर स्थिति में सुधार के लिए प्रयास किए। सांसद, विधायक, मंत्री एकजुट हुए और आपस में मंत्रणा कर स्वास्थ्य कमियों को दूर करने का बीड़ा उठाया और आज शायद यही कारण हैं कि स्थिति नियंत्रण में नजर आ रही है। 

कांग्रेस-इनैलो ने भी सीमित स्तर पर मैदान में काम करने का प्रयास किया, स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराईं। हालांकि यह दोनों दल प्रेसनोट व सोशला मीडिया पर ही अधिक सक्रिय नजर आए। दक्षिण हरियाणा की बात करें तो कोरोना के गांव में पहुंचने पर स्थिति बेकाबू होने के आसार बनने लगे थे लेकिन राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का जो दौर शुरू हुआ उसी का परिणाम है कि स्थिति आज सामान्य होने लगी है।

धनखड़ की नई टीम ने संभाला मोर्चा, जमकर बहा रहे पसीना
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा गठित उनकी टीम भी इस आपदा के मौके पर मैदान में उतर चुकी है। कईयों को नई जिम्मेदारी मिली तो किसी का कद बढ़ा है। इसी के चलते सभी किसी ना किसी प्रकार से मैदान में बेहतर काम करके अपने चयन को सार्थक बताने की मुहिम में लगे हैं। किसान आंदोलन से भाजपा को जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई धनखड़ अपनी इसी नई टीम से करने की जुगत लगा रहे हैं। इसके लिए वह सीधे अपने टीम सदस्यों के साथ संपर्क में हैं और नवनियुक्त पदाधिकारी भी लगातार हर अपडेट उन्हें देकर अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं। खैर राजनीति के दांव-पेंच को जो भी खेल चल रहा या प्रतिस्पर्धा का दौर लेकिन इसका फायदा पूरे प्रदेश एवं लोगों को अवश्य मिलता नजर आ रहा है।
 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Shivam

Recommended News

Related News

static