राज्यसभा चुनाव दो दिन पूर्व ही हार चुकी थी कांग्रेस, संकेत के बावजूद कुंडू का वोट लेने में असमर्थ रही पार्टी

punjabkesari.in Saturday, Jul 09, 2022 - 09:05 AM (IST)

फरीदाबाद: राज्यसभा चुनाव में बेशक भाजपा, जजपा व निर्दलियों ने निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा को वोट कर  11 जून को राज्यसभा भेज दिया हो लेकिन कांग्रेस दो दिन पूर्व ही यह चुनाव हार चुकी थी। 31 विधायक अपने पास होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी का राज्यसभा चुनाव हार जाना कांग्रेस की रणनीति पर संदेह पैदा करता है। इतना ही नहीं कांग्रेस बैकअप के रूप में बलराज कुंडू व निर्दलियों विधायकों का साथ लेने में भी असफल रही जबकि कुलदीप बिश्रोई कांग्रेस से पहले ही नाराज चल रहे थे। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने न तो कुलदीप बिश्नोई के वोट को खराब होने से रोकने का प्रयास किया और न ही बलराज कुंडू व निर्दलीय विधायकों का वोट लेने की रणनीति बनाई।

राजनीति के जानकार राज्यसभा में कांग्रेस प्रत्याशी माकन की हार को कांग्रेस के कुछ लोगों की सोची समझी रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। 31 विधायकों वाली कांग्रेस निर्दलियों विधायकों व भाजपा विधायकों में सेंध लगाना तो दूर की बात वह अपने विधायकों को भी बांधकर नहीं रख पाई। कारण चाहे जो भी बताए जा रहे हों लेकिन इस सारे मामले में प्रदेश कांग्रेस की भूमिका संदिगध नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के कुछ नेता यह चाहते ही नहीं थे कि कुलदीप बिश्रोई कांग्रेस को वोट करें लेकिन चुनाव से 3-4 दिन पहले तक कांग्रेस के कुछ नेता बलराज कुंडू व दो अन्य निर्दलीय विधायकों के संपर्क में थे जबकि चुनाव से दो दिन पहले वह संपर्क भी तोड़ दिया गया। 

कुलदीप बिश्रोई और बलराज कुंडू बार-बार यह इशारा करते रहे कि उनकी भूमिका राज्यसभा चुनाव को लेकर स्पष्ट नहीं है, इसके बावजूद कांग्रेस ने उनका वोट पाने का प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं सूत्रों की मानें तो कुलदीप बिश्रोई के वोट को लेकर कांग्रेस हाईकमान को नकारात्मक पहलु समझाए गए। परिणाम यह हुआ कि 31 विधायक होने के बावजूद कांग्रेस अपने उम्मीदवार को राज्यसभा नहीं भेज पाई। बेशक, इस मामले को लेकर कंाग्रेस में अभी भी सब कुछ सामान्य दिखाई दे रहा हो लेकिन आंतरिक रूप से ऐसा है नहीं क्योंकि कांग्रेस हाईकमान भी इस मामले की सच्चाई जानता है। इसलिए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को हराने का खेल रचने वाले लोगों को भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो राज्यसभा चुनाव के मतदान से दो दिन पूर्व  कांग्रेस नेताओं की सक्रियता कमजोर होने लगी थी। कांग्रेस ने जहां निर्दलियों से संपर्क करना छोड़ दिया था वहीं कुलदीप बिश्रोई का वोट नहीं लेने का भी मन बना लिया था। जो कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी की हार का प्रमुख कारण बने।

कहीं दोस्ती तो नहीं निभा गए कांग्रेस के नेता

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का मामला बेशक, अब पुराना होता जा रहा हो लेकिन राजनीति में कांग्रेस की हार की चर्चा ज्यों की त्यों बरकरार है। राजनीतिक विशेषज्ञ यह मानते हैं कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की उच्च स्तरीय जांच कांग्रेस को करवानी चाहिए। उनका मानना है कि इस जांच में चौंकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं। कहीं न कहीं निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के पिता और कांग्रेस प्रतिपक्ष के नेता भूपेंद्र हुड्डा की नजदीकियां व कार्तिकेय शर्मा के ससुर कुलदीप बिश्रोई व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की घनिष्ठता को भी लोग इस चुनाव परिणाम के साथ जोड?र देख रहे हैं। इस मामले में कितनी सच्चाई है, यह तो कहना मुश्किल है लेकिन राजनीति पर चर्चा करने वाले लोग यह कहकर भी चटखारे लेते हुए दिखते हैं कि अजय माकन हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की दोस्ती की भेंट चढ़ गए। राजनीति का विवादों से गहरा नाता रहा है। ऐसेे में स्पष्ट रूप से संदेह पैदा करने वाले मामले पर विवाद न हो, यह संभव ही नहीं है। बलराज कुंडू यह ऐलान कर चुके थे कि वे भाजपा को वोट नहीं देंगे। ऐसे में कांग्रेस का काफी काम उन्होंने आसान कर दिया था लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने उनका वोट लेने में गंभीरता नहीं दिखाई। आने वाले दिनों में राज्यसभा चुनाव में अजय माकन की हार के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं लेकिन फिलहाल इस मामले पर सब चुप्पी साधे हुए हैं।

जीत से महत्वपूर्ण था कुलदीप का कांटा

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने पार्टी के दिगगज नेता अजय माकन को मैदान में उतारा था लेकिन प्रदेश के कुछ नेताओं के लिए अजय माकन की जीत से ज्यादा जरूरी कुलदीप बिश्रोई का कांटा निकालना था। कुलदीप बिश्रोई कांग्रेस के लिए वोट करें, यह कांग्रेस के नेता चाहते ही नहीं थे। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान को प्रदेश के नेताओं ने ऐसा फार्मूला सुझाया कि यदि कुलदीप बिश्रोई का वोट लिया गया तो कांग्रेस के कुछ विधायक नाराज हो सकते हैं। कांग्रेस के ये नेता यह भूल गए कि यदि कुलदीप बिश्रोई को मैनेज किया जाता तो न केवल कुलदीप बिश्रोई का वोट मिलता बल्कि उनके चचेरे भाई दूड़ाराम का वोट भी हासिल किया जा सकता था। कांग्रेस हाईकमान ने भी प्रदेश के नेताओं की बात मानकर कुलदीप बिश्रोई को उनके हाल पर छोड़ दिया। चुनाव परिणाम के बाद तो यह स्पष्ट ही हो गया कि मात्र एक वोट ही माकन को राज्यसभा भेजने के लिए काफी था। इन तमाम समीकरणों के बारे में आम लोग भी वाकिफ हैं। फिर कांग्रेस के दिगगज नेताओं से यह चूक रह गई हो, यह बात गले नहीं उतरती। यही कारण है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हार-जीत कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी का हार जाना षड?ंत्र की ओर इशारा करता है। जिसका खुलासा आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी स्वयं कर सकती है।


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Imran

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