हरियाणा में उपायुक्तों के पास मजिस्ट्रेट की पावर नहीं

punjabkesari.in Monday, Jun 04, 2018 - 07:47 AM (IST)

चंडीगढ़ : हरियाणा के उपायुक्तों के पास मजिस्ट्रेट पावर नहीं है। जिलाधीश के तौर पर शक्तियों का प्रयोग करने के संबंध में कोई वैधानिक अथवा राजपत्रित अधिसूचना भी उपलब्ध नहीं है, लिहाजा उनके निर्णयों को कानूनी तौर पर सही नहीं ठहराया जा सकता। 

किसी भी तरह के उपद्रव की स्थिति उत्पन्न होने पर जिला उपायुक्तों को जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त होने के परिपत्र का इंतजार करना पड़ता है। न्याय प्रशासन विभाग ने अब हरियाणा सरकार के पास राजपत्रित अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव भेजा है, जो अभी लम्बित है। 

यह जानकारी आर.टी.आई. के माध्यम से प्राप्त हुई।कोई भी उपायुक्त तब तक अपने क्षेत्र के जिला मजिस्ट्रेट (जिलाधीश) के तौर पर वैधानिक दृष्टि के कार्य नहीं कर सकता, जब तक राज्य सरकार द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) की धारा 20 (1) के तहत उपायुक्त की जिला मजिस्ट्रेट के तौर पर नियुक्ति को अधिसूचित नहीं कर दिया जाता अथवा डी.सी. को डी.एम. के तौर पर पदनामित नहीं किया जाता। 

वैधानिक दृष्टि से ऐसा करना अनिवार्य है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार द्वारा लगाई गई आर.टी.आई. के जवाब में न्याय प्रशासन विभाग ने खुद माना कि हरियाणा में जिला उपायुक्तों को जिलाधीश के तौर पर अपनी शक्तियों की पावर इस्तेमाल करने संबंधी कोई अधिसूचना आज तक जारी नहीं हो पाई है। 

 


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Rakhi Yadav

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