बातचीत के बावजूद समाधान नहीं निकलने से साफ है कि यह राजनीति से प्रेरित आंदोलन है: बराला
punjabkesari.in Wednesday, Sep 15, 2021 - 07:35 PM (IST)
चंडीगढ़ (धरणी): भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही किसान आंदोलन को पूर्ण रूप से राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बताती रही है और भाजपा चिल्ला-चिल्लाकर कर कहती रही है कि यह आंदोलनकारी तथाकथित किसान नेता कांग्रेस के मोहरे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ भी इस बात पर मोहर लगाते रहे। हाल ही में आए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा आंदोलनरत किसानों को हरियाणा और दिल्ली में आंदोलन करने के लिए उकसाने के प्रयास से यह बात लगभग साफ होती दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन सुभाष बराला ने कई तथ्यों से इस बात को साबित करने की कोशिश भी की है।
सुभाष बराला ने कहा कि आजादी से भी पहले से किसानों के बड़े-बड़े आंदोलन होते रहे हैं। इस आंदोलन के शुरुआती दौर से ही प्रधानमंत्री के निर्देशन पर किसान संगठनों और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की बातचीत होती रही। समस्याओं के निदान के लिए लगातार किसानों से आग्रह होता रहा लेकिन समाधान नहीं निकला। लगातार दिल्ली-हरियाणा में प्रदर्शन होते रहे। बहुत बार हुई बातचीत के बावजूद भी समाधान नहीं होना राजनीति से प्रेरित आंदोलन होने को दर्शाती है। साथ ही पिछले लंबे समय से पंजाब गन्ने के भाव में हरियाणा से कहीं पीछे है। सालों साल बीते लेकिन कभी किसी किसान संगठन ने यह बात नहीं उठाई।
बराला ने कहा कि सिर पर चुनाव आते देख अमरेंद्र सिंह ने गन्ने का भाव बढ़ाया जो हालांकि यह उनका चुनावी वायदा था और फिर भी हरियाणा के भाव से उनका भाव कम है। लेकिन किसान नेता रजेवाल लड्डू खिलाने के लिए पंजाब पहुंच गए। हरियाणा की भाजपा सरकार पूरे देश में सबसे अधिक गन्ने का भाव दे रही है। बाजरे की खरीद की जाती है। धान की खरीद पंजाब से अच्छी हो रही है जबकि पंजाब और राजस्थान ने कभी सरसों की खरीद नहीं की। पंजाब और राजस्थान हरियाणा के दोनों पड़ोसी कांग्रेस शासित राज्य हैं लेकिन सबसे अच्छी योजनाएं हमारी सरकार ने दी हैं। पंजाब में केवल 4 और हरियाणा में 11 फसलें एमएसपी पर खरीदी जाती हैं। किसान नेता क्यों अमरेंद्र सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जाकर कहते कि हरियाणा की तरह भावांतर भरपाई योजना लागू करें ? क्यों नहीं कहते कि सरसों की खरीद करें ? इतने बड़े मुद्दे पर नहीं जाना यह स्पष्ट दर्शाता है कि यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। यह सत्यापित हो चुका है।
सुभाष बराला ने कहा कि हरियाणा ने पंजाब को हमेेेशा बड़ा भाई माना है। लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से बड़ा भाई कभी छोटे भाई पर अत्याचार नहीं करता। लेकिन कैप्टन अमरेंद्र के व्यवहार और बोल से यह तो साफ हो गया है कि इन लोगों ने हर प्रकार से हरियाणा के साथ सौतेला व्यवहार करना है। सालों-साल से एसवाईएल का फैसला हरियाणा के हक मेंं आने के बावजूद कोई एक्शन नहीं होना इनकी सोच को दर्शाता है। कैप्टन अमरिंदर को हर बात में राजनीति करने से बचना चाहिए।
सुभाष बराला ने इस मौके पर पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रकरण पर भी चर्चा करते हुए कहा कि इनके संबंध जगजाहिर हैं और किस प्रकार का व्यवहार यह दोनों आपस में करते हैं, यह हमसे ज्यादा कांग्रेस के लोग समझते हैं। लंबे समय तक कांग्रेस की तरफ से पंजाब का मुख्यमंत्री रहे अमरिंदर द्वारा किस प्रकार का व्यवहार किया जाता है, सिद्धू के बयानों से साफ हो गया है और कांग्रेस को इसका परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों में भुगतना पड़ेगा। साथ ही भाजपा पंजाब में बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने में लगी हुई है। भाजपा की स्थिति पंजाब में पहले से कहीं मजबूत है और रोजाना कोई ना कोई बड़ा नेता भारतीय जनता पार्टी में आस्था जताते हुए हमारा सदस्य बन रहा है।
बराला ने कहा कि हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति के परिवार व बहुत से लोगों ने भाजपा ज्वाइन की। इससे यह तो साफ है कि भाजपा की स्थिति पहले से कहीं मजबूत है। उन्होंने कहा कि बसपा पार्टी पूर्व में भी बहुत से राजनीतिक दलों से गठबंधन करती और फिर तोड़ती रही है। चुनाव से पहले उनके द्वारा गठबंधन तोडऩे के अनुभव बहुत से राजनीतिक दलों के पास हैं। अकाली दल के साथ गठबंधन का क्या होगा, यह देखने की बात रहेगी। साथ ही बराला ने कहा कि हरियाणा में 25 सितंबर को ओम प्रकाश चौटाला की रैली में कितनी भीड़ जुटेगी यह भी देखने का विषय है। चौटाला लंबे समय तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उनका एक अपना बड़ा जनाधार रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने किस प्रकार के काम किए और उसका परिणाम भी हर व्यक्ति के सामने हैं कि जिसने जैसे काम किए उन्हें भुगतान करना पड़ा है।