हरियाणा की एफएसएल वैज्ञानिक न्याय का राष्ट्रीय मॉडल बन रही है: डीजीपी हरियाणा

punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 06:20 PM (IST)

चंडीगढ़: हरियाणा की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) अब केवल एक लैब नहीं, बल्कि वैज्ञानिक न्याय की दिशा में एक डिजिटल क्रांति का केंद्र बन चुकी है। वर्ष 2024 में एफएसएल ने अपनी कार्यप्रणाली में तकनीकी और प्रशासनिक सुधारों की नई मिसाल कायम की। अपराध जांच की प्रक्रिया को अब केवल तेज नहीं, बल्कि पूरी तरह पारदर्शी और प्रमाणिक बनाया गया है, जिससे न्यायिक व्यवस्था को मजबूती मिली है और जनता का विश्वास और अधिक दृढ़ हुआ है।


हरियाणा के पुलिस महानिदेशक श्री शत्रुजीत कपूर ने एफएसएल के डिजिटल परिवर्तन की सराहना करते हुए कहा, ‘ट्रैकिया पोर्टल और डिजिटल फॉरेंसिक प्रणाली का उपयोग कर हरियाणा की एफएसएल की टीम ने यह साबित किया है कि तकनीक और न्याय साथ-साथ चल सकते हैं। आज केस फाइलिंग से लेकर अदालत में साक्ष्य प्रस्तुत करने तक की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और वैज्ञानिक हो चुकी है। हरियाणा पुलिस और एफएसएल की संयुक्त कोशिशें इस बात का उदाहरण हैं कि जब संकल्प और तकनीक साथ आते हैं तो न्याय और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होते हैं।‘ उन्होंने एफएसएल की टीम को बधाई देते हुए आशा जताई कि आने वाले वर्षों में यह प्रयोगशाला देशभर के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।


 
एफएसएल द्वारा 2019 से प्रयोग किए जा रहे ट्रैकिया फॉरेंसिक केस मैनेजमेंट सिस्टम को 2024 में अपग्रेड किया गया। अब केस डॉकेट, आर.सी. बनाने , रिसीविंग से लेकर उसकी रिपोर्ट भेजने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, ऑटोमेटेड और ट्रैक करने योग्य है। केस संपत्ति प्रेषण, हस्तांतरण और प्राप्ति के प्रक्रिया को बायोमेट्रिक प्रमाणी के उपयोग द्वारा आधुनिक व जवाबदेह बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि हर साक्ष्य, हर रिपोर्ट, हर अपडेट को रियल टाइम में देखा और मॉनिटर किया जा सकता है। इससे न सिर्फ रिपोर्टिंग की गति बढ़ी है, बल्कि फाइलिंग में मानवीय गलती की संभावना भी लगभग समाप्त हो गई है।

मामलों की जांच के लिए प्राथमिकता अनुरोध आरंभ करने के लिए ट्रैकिया पोर्टल पर प्रावधान किया गया है , यह सुविधा अग्रेषित करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों को पोर्टल पर प्राथमिकता अनुरोध भेजने में सक्षम बनाएगी जो प्रयोगशाला में संबंधित अधिकारी को तुरंत दिखाई देगा। प्राथमिकता जांच के लिए अनुरोध भेजना पारंपरिक रूप से एक अर्ध सरकारी पत्र लिखकर किया जाता है, जिसमें आम तौर पर कार्रवाई करने के बिंदु तक पहुंचने में 5 से 10 दिन लगते हैं। यह सुविधा इस समय अंतराल को कम करेगी। इस सुविधा में अग्रेषित करने वाले अधिकारियों और जिला पुलिस प्रमुखों की आईडी में की गई कार्रवाई की सूचना देने के लिए रियलटाइम मैसेजिंग सुविधा भी है ।

डिजिटल न्यायिक समन्वयः अदालतों में साक्ष्य की वैधता को नई मजबूती
एफएसएल द्वारा तैयार डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन, डिजिटल सिग्नेचर, रिपोर्ट वेरिफिकेशन इत्यादि की प्रक्रिया अब इस प्रकार डिज़ाइन की गई है कि अदालतों में इन वैज्ञानिक साक्ष्यों को कानूनी रूप से अधिक मजबूती से प्रस्तुत किया जा सकेगा। इन अपग्रेड्स के जरिए हरियाणा न्यायिक व्यवस्था में वैज्ञानिक साक्ष्य की स्वीकार्यता को नई ऊँचाई पर ले जाने की दिशा में काम कर रहा है।


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Content Writer

Isha

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