सरकार के दावे और सच्चाई में जमीन आसमान का फर्क: श्वेता ढुल

punjabkesari.in Tuesday, Feb 22, 2022 - 08:11 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : प्रदेश में एचपीएससी और एचएसएससी को लेकर लगातार विपक्ष के विरोध- प्रदर्शनों के बाद अब एक महिला एक्टिविस्ट श्वेता ढुल ने भर्ती प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। हाल ही में प्रदेश में हुई 1100 महिला और 5500 पुरुष कांस्टेबल की भर्ती प्रक्रिया को एंटी मेरिट भर्ती बताते हुए दर्जनों अभ्यर्थियों के साथ श्वेता सोमवार को हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के कार्यालय पंचकूला में पहुंची। श्वेता ने बताया कि यह दोनों भर्तियां बहुत गलत तरीके से की गई है। जिसमें लिखित में टॉपर अभ्यर्थी को बाहर कर दिया गया।

एक भी ऐसा अभ्यर्थी नहीं जिसका बिना अतिरिक्त अंकों के चयन हुआ हो। यह प्रक्रिया योग्यता का गला घोट रही है और विज्ञापित तरीके से यह गलती नहीं की गई। साफ तौर पर विज्ञापन में लिखा था कि 80 फ़ीसदी वेटेज लिखित और 20 फ़ीसदी अतिरिक्त अंकों को दी जाएगी। कमीशन की ओर से बताया गया कि उनकी एक टीम ने इंडियन स्टेटस्टिकल इंस्टीट्यूट कोलकाता से उनके फार्मूले के बारे में पूछा तो सकारात्मक जवाब मिला। लेकिन कमीशन इसके सबूत नहीं दे पाया। यह तरीका बिल्कुल गलत है। इसलिए इन अभ्यर्थियों की जोइनिंग पर रोक लगनी चाहिए।

 श्वेता ने बताया कि वह खुद एचएससी की कई परीक्षाओं में 1-1, 2-2 नंबरों से रही हैं। उन्हें फेल किया गया है। हरियाणा में आज तक ना बोलने का प्रचलन था। लेकिन मैंने इस बीड़े को उठाया है।हरियाणा के यूथ को इकट्ठा करके एक प्लेटफार्म पर लाना जरूरी है। ताकि अभ्यर्थी अपनी बात को मुखर होकर कह सकें। कोर्ट में केस फाइल कर सके। चेयरमैन और मुख्यमंत्री से मिल सके। प्रदेश में हाल ही में एचसीएस अधिकारी नागर को उसकी गलत कार्यशैली के कारण सदा के लिए नौकरी से हटाया गया। लेकिन जिस अपराध के लिए हटाया गया वह भर्ती निरस्त नहीं की गई।

देश में समय-समय पर बहुत से लोग जेलों में गए हैं और जेलों से लौटने के बाद दोबारा से इसी काम को करते हैं। श्वेता ने कहा कि हाल ही में लगातार हुई सभी परीक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा है। डिफाइंड सिलेबस नहीं है। डिफाइंड कोई कैलेंडर ऑफ एग्जामिनेशन नहीं है। क्लर्क के पेपरों में 3-4 प्रशन और एचसीएस के पेपर में 25 प्रश्न गलत पाए गए। हमारी भर्ती प्रक्रिया में छोटे से छोटे बदलाव के लिए कोर्ट का रुख करना पड़ता है।

श्वेता ने कहा कि एक प्रश्न बच्चे के भविष्य को बना और बिगाड़ सकता है। इसलिए इस कार्य में कोई कोताही- लापरवाही या भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए। श्वेता ने कहा कि पड़ोसी राज्य पंजाब- हिमाचल इत्यादि की संस्कृति से जुड़े प्रश्न उनकी भर्तियों में पूछे जाते हैं। लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं है। जिसकी मांग वह पहले दिन से कर रही हैं। उन्होंने ग्रुप ए और बी में एक अलग से हरियाणा जनरल नॉलेज का 100 नंबर के पेपर और ग्रुप सी- डी में कम से कम 25 नंबर के पेपर की मांग की है। श्वेता ने बताया कि हरियाणा कांस्टेबल में केवल एक ही परेशान हरियाणा जीके से आया था। बच्चों को एक गलत भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से हाशिए पर धकेला जा रहा है। 

श्वेता ने कहा कि हरियाणा सरकार और कमीशन का पारदर्शिता का दावा केवल मात्र दिखावा है। यह एक बहुत बड़ा रैकेट हरियाणा में काम कर रहा है श्वेता ने संबंधित अधिकारियों और सरकार से आग्रह किया है कि गुहार लगाने वाले को विरोधी ना समझें। गुहार लगाने वाले एक कार्यकर्ता के रूप में आपको असल रिपोर्ट दे रहे हैं। आज भर्ती से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए आरटीआई लगानी पड़ती है। लेकिन जॉइनिंग से पहले आरटीआई का जवाब नहीं दिया जाता। बाद में कोर्ट भी जॉइनिंग किए हुए अभ्यर्थी के भविष्य को देखते हुए उस पर फैसला नहीं ले पाता। 

श्वेता ने सोशियो इकोनामिक के लिए दिए जाने वाले नंबरों पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा है कि प्लेट में सजाकर नौकरी ना दीजिए। जिन परिवारों में नौकरी नहीं है उनकी जिंदगी को आसान करना चाहिए, पढ़ाई मुफ्त कर देनी चाहिए, कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी निशुल्क करवानी चाहिए, फार्म और आवागमन के खर्च मुफ्त कर देने चाहिए, सोशल और एजुकेशनल आधार पर 49.5 फ़ीसदी और इकनोमिक आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण संविधान ने पहले ही दे रखा है। यह चीज 59.5 फ़ीसदी में ही कवर हो चुकी है। यह एक हिसाब से डबल रिजर्वेशन दिया जा रहा है। यह एंटी मेरिट मिशन है। श्वेता ने हाल ही में हुए 1100 महिला और 5500 पुरुष कांस्टेबल भर्ती के रिजल्ट को बिल्कुल गलत रिजल्ट बताया है। उन्होंने आगाह किया है कि यह रिजल्ट अगर रिवाइज नहीं किया गया तो सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द करेगा। फिर इन बच्चों का भी वही हाल होगा जो पीटीआई वाले बच्चों का हो रहा है। गलती या मजाक नहीं यह एक गुनाह है।

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Content Writer

Manisha rana

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