खनौरी बॉर्डर पहुंच दिग्विजय चौटाला ने किसानों को दिया समर्थन, बोले- किसानों से तुरंत बात करे सरकार
punjabkesari.in Wednesday, Jan 01, 2025 - 06:49 PM (IST)
हरियाणा डेस्क: हमारे देश का असली देवता अन्नदाता है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकार धरने पर बैठे किसानों से तुरंत बात करके उनकी मांगें माने। बुधवार को यह बात खनौरी बॉर्डर पहुंचे जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने धरने पर बैठे किसानों का समर्थन करते हुए कही। खनौरी बॉर्डर पर 36 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे बुजुर्ग किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल से जेजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और उनकी सेहत पर चिंता जाहिर की।
जेजेपी प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि नववर्ष के अवसर पर जेजेपी केंद्र और हरियाणा सरकार से मांग करती है कि किसानों की मांगों को तुरंत माने। उन्होंने कहा कि सरकार नींद से जागे और किसानों से बातचीत करके इस गंभीर मसले का तुरंत हल करें। दिग्विजय ने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून किसानों को जरूर मिलना चाहिए, क्योंकि यह किसानों का हक है। दिग्विजय ने कहा कि सरकार को सबसे पहले 36 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की सेहत की चिंता करनी चाहिए और उनकी मांगे मानकर उनका अनशन समाप्त करवाना चाहिए।
दिग्विजय चौटाला ने कहा कि किसानों का यह मामला देश की भावना से जुड़ा हुआ है, इसलिए बड़ा दिल दिखाते हुए सरकार को तुरंत किसानों के हित में कदम उठाना चाहिए। दिग्विजय ने सरकार को चेताते हुए यह भी कहा कि सरकार जन भावनाओं को समझने की बजाय आंखे मूंद कर न सोए। उन्होंने कहा कि सरकार किसान के आंदोलन को साधारण न समझे, गंभीरता से किसानों की मांगों को माने। साथ ही पत्रकारों के सवाल के जवाब में दिग्विजय चौटाला ने लोहारू क्षेत्र में एक छात्रा की आत्महत्या मामले में उचित कार्रवाई करने की मांग हरियाणा सरकार से की। इस अवसर पर जेजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र लितानी, जोरा सिंह, राजू पाई, बिट्टू नैन समेत कई जेजेपी नेता मौजूद रहे।
बता दें कि खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन जारी है। आज उनका भूख हड़ताल का 37वां दिन है। डल्लेवाल ने रविवार देर रात वीडियो जारी कर कहा था कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के नक्शे कदम पर चलते हुए मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि हम गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। अंग्रेजों के समय सत्याग्रह के तरीके से अंग्रेजों ने भी बात मानी, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन से ये सरकार हमारी बात सुनने की बजाय, हमारे आंदोलन को कुचलने पर तुली हुई हैं।
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