भर्ती के बाद विकलांग होने पर जवान  विकलांगता पेंशन का हकदार :हाइकोर्ट

punjabkesari.in Friday, Apr 10, 2020 - 09:06 AM (IST)

चंडीगढ़(धरणी)- पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर अर्धसैनिक बल का जवान भर्ती के दौरान फिट था और बाद में उसको कोई बीमारी होती है जिस कारण उसको सेवा से मुक्त कर दिया जाए तो वह जवान विकलांगता पेंशन (जो सामान्य पेंशन से अधिक है) का हकदार है। उच्च न्यायालय ने यह आदेश बीएसएफ के पूर्व जवान सुरेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए। याचिका में कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता को खेल श्रेणी के तहत अगस्त 1995 में बीएसएफ में शामिल किया गया था। याचिकाकर्ता जब सेवा में था, तब वह जम्मू सहित कई स्थानों पर तैनात था।

2002 के बाद याची असामान्य और अनिश्चित व्यवहार दिखाने लगा। वह घुटन की भावना की शिकायत करता था और अकेला रहता था और आक्रामक लड़ाई की प्रवृत्ति भी रखता था। उक्त बीमारी के लिए,याचिकाकर्ता कई बार अस्पताल में भर्ती रहा। याचिकाकर्ता की जांच मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई जिसमें पाया गया कि वह अफेक्टिव साइकोसिस से पीड़ित था जिसके कारण उसे सेवा में नहीं रखा जा सकता था। नवंबर 2006 में विकलांग मानते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया। मेडिकल बोर्ड ने अपनी राय में यह साफ कर दिया कि याची की बीमारी उसकी नौकरी के कारण नहीं हुई,सेवा की स्थिति उसकी बीमारी के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं।

मेडिकल बोर्ड की राय को ध्यान में रखते हुए बीएसएफ ने उसे विकलांगता पेंशन देने से इनकार करते हुए सामान्य पेंशन का हकदार माना। जबकि याची का कहना था कि उसे बीमारी सेवा के दौरान उत्पन्न स्थिति के कारण हुई है ऐसे में वह विकलांगता पेंशन का हकदार है। बीएसएफ ने उसकी मांग ठुकरा दी। हाईकोर्ट में केंद्र ने बीएसएफ की तरफ से कहा कि पेंशन का निर्णय मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। रिपोर्ट में साफ है कि याची को बीमारी उसकी नौकरी के कारण नही हुई इस लिए वह विकलांगता पेंशन के योग्य नहीं हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Isha

Recommended News

Related News

static