प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष के लिए हुड्डा खेमे से दिव्यांशु बुद्धिराजा होंगे उम्मीदवार
punjabkesari.in Wednesday, Jul 14, 2021 - 10:14 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): कहते हैं लोहे को लोहा काटता है। अब हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसी तर्ज पर काम करते दिख रहे हैं। जी हां, क्योंकि हाल ही में हरियाणा यूथ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव होने हैं। जो कि इससे पहले हुड्डा खेमे के ही सचिन कुंडू प्रदेश युवा अध्यक्ष थे। लेकिन वह हुड्डा की ही जाति जाट से संबंधित थे, जिस कारण कांग्रेस पार्टी को उनका कोई अतिरिक्त लाभ नहीं हो पाया था। अब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस पद के लिए अपने खेमे से दिव्यांशु बुद्धिराजा को मैदान में उतारा है। दिव्यांशु एक तेज-तर्रार और ऊर्जावान युवा नेता है।
दिव्यांशु बुद्धिराजा एनएसयूआई (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के प्रदेश अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बड़ी बेहतरी से निभा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहते हुए मौजूदा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यक्रम के दौरान ही उनके सामने नारेबाजी कर वरिष्ठ नेतृत्व के सामने अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई थी। साथ ही भर्ती घोटाले का आरोप लगाकर वह पंचकूला, सेक्टर 2 में स्थित हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के कार्यालय में नारेबाजी करते हुए घुस गए थे। जिस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। यह भी उनके द्वारा उठाया गया एक मजबूत और अचंभित कल देने वाला कदम था। जिस कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनके मुरीद हैं और उन्हें अपनी तरफ से एकमात्र प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है।
साथ ही बुद्धिराजा को मैदान में उतारने का एक बड़ा कारण यह भी है कि वह मनोहर लाल खट्टर की जाति खत्री (पंजाबी) से संबंध रखते हैं। हाल ही में प्रदेश में हुए तमाम चुनावों में यह साफ हुआ है कि मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाने के बाद खत्री (पंजाबी) समाज एक तरफ भारतीय जनता पार्टी के साथ जुडा हैं। जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस पार्टी को हुआ है और क्योंकि यह समाज लंबे समय तक कांग्रेस के लिए बड़ा वोट बैंक रहा है और शहरी सीटों पर इस समाज के बिना जीत सुनिश्चित करना नामुमकिन सी बात है। लेकिन खत्री समाज की अनदेखी और समय-समय पर कांग्रेसी कुछ नेताओं द्वारा की गई जातिगत टिप्पणियों और विकल्प में आए मनोहर लाल खट्टर के चलते इस समाज ने अपने को भारतीय जनता पार्टी की तरफ मोडा है। इस वोट बैंक को लुभाने और इसमें सेंध लगाने के लिए अब पूर्व मुख्यमंत्री ने दिव्यांशु बुद्धिराजा के रूप में यह शतरंज की चाल चली है।
बता दें कि हुड्डा खेमे से महेंद्रगढ़ जिले के युवा अध्यक्ष एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र राव के पुत्र कृष्णराव भी इस पद के लिए बड़े दावेदार थे और उन्होंने इसके लिए नामांकन भी दाखिल किया था। लेकिन हुड्डा खेमे से दो प्रतिद्वंदी होना बड़े नुकसान का कारण हो सकता था। जिसे देखते हुए कृष्णराव द्वारा दावेदारी वापिस ले ली गई है। हालांकि उन्होंने अपनी पोस्ट में दावेदारी वापस लेने का कारण पारिवारिक स्वास्थ्य परिस्थितियों को बताया है। लेकिन यह साफ है की उनकी दावेदारी वापिस होने का कारण हुड्डा द्वारा अपने एकमात्र उम्मीदवार को उतारकर उसे जीत दिलवाना है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे और इसमें भी कोई दो राय नहीं कि वह आज कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता है। लेकिन संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर दूसरे खेमो की मजबूती के चलते मुख्यमंत्री रहते हुए भी इन्हें समय-समय पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। हुड्डा अपनी इस कमजोरी को भी दूर करने के लिए प्रयासों में लगे हुए हैं। अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटवाने में भी हुड्डा खेमे की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब कुमारी शैलजा प्रदेश की अध्यक्ष हैं। लेकिन कांग्रेस के 31 विधायकों में से हुड्डा गुट के 22 के 22 विधायक शैलजा को प्रदेशाध्यक्ष के पद से मुक्त करवाने के लिए मोर्चा खोले हुए हैं।
इसी मुहिम में वह लंबे समय से दिल्ली में ठहराव किए हुए है। हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी अपने पसंदीदा व्यक्ति को मिटाना चाहते हैं और अब युवा प्रदेशाध्यक्ष के पद पर भी अपने व्यक्ति की नियुक्ति करवाना उनकी इसी राजनीति का एक हिस्सा है। अगर वह महत्वपूर्ण पदों पर अपने लोगों की नियुक्ति करवाने के प्रयास में सफल रहते हैं तो प्रदेश कांग्रेस का दूसरा नाम भूपेंद्र सिंह हुड्डा होगा।
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