पंचकूला में दूध महाकुंभ का होगा आयोजन, जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा: मोहन सिंह

punjabkesari.in Sunday, Jun 27, 2021 - 11:59 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): 10 अगस्त से 25 अगस्त तक पंचकूला में दूध महाकुंभ का आयोजन होगा, जिसमें दूध उत्पादक और आमजन अपने दूध व उसके उत्पादों को लेकर बड़ी संख्या में पहुंचेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य देश में दूध उत्पादों में हो रही बड़ी मात्रा में मिलावट को रोकने के लिए जागरूक करना है। आज से 30 साल पहले एक व्यक्ति के पीछे 5 पशुओं की गिनती थी, जो कि आज आंकड़ों के अनुसार पशुओं की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है। देश की जनसंख्या बढ़ी है। पशु घटे हैं। लेकिन दूध की मात्रा आखिर कैसे बढ़ गई? इस बात के पीछे सबसे बड़ा खेल मिलावट का है। जिसे रोकने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के केंद्रीय सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया ने इस प्रोग्राम का आयोजन किया है। जिसे दूध महाकुंभ का नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य भारत के स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है। इस महाकुंभ में 3 प्रदेशों हरियाणा-पंजाब और चंडीगढ़ समेत केंद्रीय सरकार की टेस्टिंग की व्यवस्था मौजूद रहेगी। साथ ही प्राइवेट लैबोरेट्री की भी व्यवस्था की जाएगी। इस बारे में आयोजक मोहन सिंह आहलूवालिया से पंजाब केसरी ने एक्सक्लूसिव बातचीत की। जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न:- भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के आप सदस्य हैं। इसकी वर्किंग क्या है ?
उत्तर:-पशु कल्याण के हितों में काम भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड करता है। जहां कहीं पशुओं के अधिकारों का हनन होता है, उनसे क्रूरता होती है या इस प्रकार की कोई शिकायत हमारे पास पहुंचती है तो सभी जगह हमारे डीसी नोडल अधिकारी के रूप में काम करते हैं। हम राज्य सरकार के मार्फत से जिले के डीसी को शिकायत भेजते हैं। उन पर कार्यवाही सुनिश्चित करवाते हैं। जैसे कोरोना काल या अन्य कोई आपदा कॉल आता है तो उन समस्याओं से निपटने के लिए हम पशु संस्थानों को, गौशालाओं या अन्य कोई भी ऑर्गेनाइजेशंस जो पशु कल्याण के लिए काम करती हैं, उनकी सामाजिक- आर्थिक तौर पर मदद या सरकारी तौर पर कोई टेक्निकल मदद की जरूरत उन्हें पड़ती है तो हम उन्हें मदद पहुंचाने का काम करते हैं।

प्रश्न:- भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को किस प्रकार की पावर होती हैं। क्रूरता करने वाले लोगों के लिए आर्थिक रूप से या कानूनन किस प्रकार से आप सजा सुनिश्चित करते हैं?
उत्तर:- भारतीय संविधान के तहत समस्त धाराओं में पशु कल्याण के हित में जो अधिकार हैं, उनको इंप्लीमेंट करवाने का काम भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का है और इंप्लीमेंट एजेंसी प्रदेश की होती है। तत्काल नॉमिनेट करना, वहां भेजना और वापसी में रिपोर्ट मंगवाना यह सारा काम भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड करता है। कहीं बड़ी तौर पर क्रूरता होने पर राज्य सरकार को एडवाइजरी जारी की जाती है। रिपोर्ट मांगी जाती है और कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाती है।

प्रश्न:- क्या यूटी सरकारों का यानि केंद्र शासित सरकारों का भी आपको सहयोग रहता है?
उत्तर:- बिल्कुल, राज्य सरकार का भी सहयोग रहता है। पिछले 3 साल में मैं यूटी में काफी काम कर रहा हूं। अधिकारियों के संपर्क में हूँ। यहां एसपीसीए संस्थान काफी अच्छा काम कर रहा है। दो-तीन दिन पहले मैंने एक खबर पंजाब केसरी में पड़ी। जिसमें कांग्रेस के नेता का बयान था कि एक गौशाला में चारा नहीं मिल रहा, सही ढंग की व्यवस्थाएं नहीं है। मैंने यूटी प्रशासन को जानकारी दी। लेकिन बगैर बताए औचक निरीक्षण मेरा बाकी है। अगर वहां ऐसा पाया गया तो मुंसिपल कॉरपोरेशन के संबंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए यहां के एडमिनिस्ट्रेटर एडवाइजर को लिखा जाएगा।

प्रश्न:- दूध में मिलावट के खिलाफ आपका अभियान क्या है?
उत्तर:- बहुत सालों से देश में पशु गणना नहीं हो रही थी, लेकिन मैंने इसका बहुत ज्यादा विरोध किया तो केंद्र सरकार द्वारा पशु गणना करवाई गई। मुझे संदेह था कि देश में पशुओं की संख्या में गिरावट आई है। मैंने कई जगह अलग-अलग आंकड़े प्राप्त किए।भारत के अनेक प्रदेशों में घूमा। प्राप्त जानकारी के अनुसार पशु संख्या कम हुई है। लेकिन दूध की मात्रा बढ़ी है। आज से 30 साल पहले एक मनुष्य के पीछे पांच पशुओं की संख्या थी। तब गर्मी के दिनों में उत्तर भारत के डीसी दूध की मात्रा घटने के कारण मिठाई बनाने पर प्रतिबंध लगा देते थे। लेकिन आज पशु गिनती में काफी कमी आई है। लोगों की संख्या भी बढ़ी है। लेकिन दूध में कमी नहीं बल्कि बढ़ोतरी हुई है। दूध की मिलावट में सरकार बहुत ज्यादा चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही। क्योंकि व्यक्ति के चरित्र में मिलावट आ गई है। दूध से बने उत्पाद पनीर, खोया, मक्खन, घी, दही को छोटे-छोटे बच्चे-बुजुर्ग और डॉक्टरों द्वारा बताने पर बीमार लोग भी पीते हैं। अगर दूध में इतनी मिलावट है तो उसका असर क्या होगा। कई बार सुनने में आता है कि दूध डाला वह नीला पड़ गया। मैं एनिमल राइट्स के लिए काम करता हूं। उसमें पशु कल्याण और किसान का कल्याण यह दोनों एक साथ सब्जेक्ट जुड़े हुए हैं। जैसा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2024 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही है। अगर दूध की मिलावट को रोक दिया जाए तो किसान को दूध की कीमत अच्छी मिलेगी और प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा। क्योंकि किसान की आय स्वाभाविक बढ़ जाएगी और किसान पशुपालन में रुचि बढ़ाएगा।

प्रश्न:- क्या आपने अधिकारियों से इस बारे में कभी मीटिंग वगैरह की?
उत्तर:- मैं पंजाब में सभी जिला हेड क्वार्टर में गया और वहां के उपायुक्त-पुलिस अधीक्षको व अन्य संबंधित जिला अधिकारियों से मीटिंग की। जिसमें आश्चर्यजनक बात सामने आई कि बहुत से लोगों को और पशु कल्याण के अधिकारियों को भी यह तक नहीं मालूम था कि 1 किलो घी के लिए कितने दूध की आवश्यकता होती है। जब हम दूध और घी की बिक्री का अनुमान लगाते हैं तो पाते हैं कि देश में जितना घी बिकता है, उतना कुल दूध तक पैदा नहीं होता। कई जगह किसानों के सामने उनका दूध खरीदने वाले बिचौलिए मिलावट करते हैं। लेकिन किसान को पता होते हुए भी वह शिकायत नहीं करते। क्योंकि उसका कहीं से कहीं तक सरकार से जुड़ाव नहीं है। वह दूध वाले काम को- गाय भैंस पालने वाले काम को इज्जत का काम नहीं मानते। मैंने पंजाब के सभी उपायुक्तों से पूछा कि 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे सरकारी त्योहारों पर क्या किसी दूध उत्पादक को सम्मानित किया गया। बड़े आश्चर्य की बात है कि आज तक पूरे पंजाब- हरियाणा- जम्मू कश्मीर- हिमाचल- राजस्थान- उत्तर प्रदेश में किसी भी पशुपालक या दूध उत्पादक को इस मौके पर सम्मानित नहीं किया गया।

प्रश्न:- 2011 में आपने मिलावट के खिलाफ एक बड़ी आवाज उठाई। जिसमें आपका विरोध हुआ था। वह क्या मामला था?
उत्तर:- जब सरकार और प्रशासन का दूध उत्पादक के साथ संबंध ही नहीं रहा। तो आंकड़े उन तक कैसे पहुंचेंगे। कभी सैंपलिंग नहीं हुई। गणना नहीं हुई और फूड इंस्पेक्टरों की शिकायतों के बारे में सभी लोग जानते हैं। सैंपल कैसे पास हो जाते हैं, यह जगजाहिर है। हरियाणा के डीजी ने एक बार गुड़गांव और मेवात में ऑन कैमरा मिलावटी दूध की सेंपलिंग कार्रवाई। 6 महीने बाद उसकी रिपोर्ट में सैंपल पास आया। ऐसी स्थिति में इस मिलावट खोरी को रोकना बहुत मुश्किल बात है। मैंने सारे उपायुक्तों- सारे प्रदेशों की सरकारों को एडवाइजरी अपनी तरफ से सेंटर मेंबर होने के नाते भेजी कि आप 26 जनवरी और 15 अगस्त को कम से कम दो दूध उत्पादकों को सम्मानित करें।

प्रश्न:- इस मामले में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी की वर्किंग आपको क्या नजर आती है?
उत्तर:- फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का कुछ क्षेत्रों में काम अच्छा हो सकता है। लेकिन मिलावट वाला तंत्र उनके पास भी स्टेट को एडवाइजरी जारी करने के अलावा कुछ नहीं है। मैं उनके काम से कतई संतुष्ट नहीं हूं। गलत बात को गलत कहना ही पड़ेगा।

प्रश्न:- सेनथेटिक दूध को रोकने के लिए क्या योजना है?
उत्तर:- समाज में करेक्टर का निर्माण करना बेहद आवश्यक है। इसमें समाज की भी बहुत बड़ी ड्यूटी बनती है कि जो दूध-घी-मक्खन या अन्य दूध से बने उत्पाद खाते या पीते हैं, क्या आपने उसका कभी टेस्ट करवाया? यह स्थिति पूरे समाज की है। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में कुछ लोग अगर बिजली नहीं आती तो शिकायत करते हैं। पानी नहीं आता शिकायत करते हैं। सीवरेज खराब है शिकायत करते हैं। लेकिन कभी बैठकर इस प्रकार का विचार नहीं किया गया कि जो दूध पीते हैं, उसका भी टेस्ट करवाना चाहिए। आज गूगल पर बहुत आसान है कि पास में कौन सी लेबोरेटरी पड़ती है। दूध में एक महत्वपूर्ण टेस्ट डीएनए है, जिसमें बहुत सारे पैरामीटर्स को टेस्ट किया जाता है। मेडिसिनल टेस्ट भी हो सकता है। दूध में मिनरल्स सेनथेटिक तरीके से भी पूरे किए जा सकते हैं। लेकिन जब उसकी प्रॉपर्टी टेस्ट करवाई जाती है तो उसमें मौजूद मिनरल्स प्राकृतिक है या सेनथेटिक इसका पता लगाया जा सकता है। आरएम के नाम से तिलक मार्केट में ड्यूटेरिक एसिड बड़ी मात्रा में बिक रहे हैं। लेकिन कभी किसी एजेंसी को यह नजर नहीं आ रहा कि इतनी बड़ी संख्या में केमिकल कहां जा रहे हैं। मिलावट के दूध को बनाने के लिए उसमें खुशबू, फ्लेवर, सेंट, केमिकल की पूर्ति की जाती है। हमने कई चैनलों के कैमरों के सामने चार नकली दूध के पैकेट बनाकर अलग-अलग बोतलों में बंद करके एफएसएस आई के लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा। उन्होंने दोनों बार नकली दूध को असली बताया। यह हैरान कर देने वाली बात है।

प्रश्न:- पंचकूला में 15 दिन के लिए जो आपने कार्यक्रम का आयोजन करना है। वह क्या है?
उत्तर:- व्यापार करना बुराई नहीं है। यह एक अच्छी बात है। लेकिन हमें एक कैरेक्टर बनाना है कि मैं बगैर मिलावट के व्यापार करूं। हमने उसे गैरमिलावटी समाज का नाम दिया है। बहुत से किसान-बहुत से व्यापारी मिलावट नहीं करते। पंजाब की बहुत से दूध उत्पादन की यूनिटों से हमने बात की है। हम हिमाचल-उत्तराखंड स्टेट कोऑपरेटिव को भी हम रिक्वेस्ट भेजेंगे कि जो भी यहां अपना बिना मिलावट वाला प्रोडक्ट बेचना चाहते हैं, वह टेस्ट करवाएं और फिर कंज्यूमर खरीदे। कंजूमर भी वहां पहुंचेंगे। बिना मिलावट वाले प्रोडक्ट यहां मिलेंगे। इसे लेकर बहुत सामाजिक संस्थाएं, दूध उत्पादक, पशु पालक, एनजीओ और सूक्ष्म- लघु-मध्यम इंडस्ट्री इन सब को हम 10 से 25 अगस्त के बीच में यहां पहुंचने के लिए बोलेंगे।

प्रश्न:- इस कार्यक्रम की रूपरेखा क्या रहेगी?
उत्तर:- पंजाब-हरियाणा-यूटी के स्वास्थ्य विभाग को पत्र भेजने वाला हूं कि हमें सैंपल की व्यवस्था उपलब्ध करवाएं। मैंने 2 साल पहले यूटी के सभी एसएचओ को ग्वाला गद्दी मे बुलाकर समझाया था। हम इन तीनों प्रदेशों और भारत सरकार को एक रिक्वेस्ट भेज रहे हैं कि यहां मौके पर सेंपलिंग करें और तुरंत रिपोर्ट जारी करें। इससे कंपनी या व्यक्ति का मक्खन, दूध, घी की प्योरिटी के बारे में मौके पर ही पता लग पाए। सरकारी लैब में कई बार डीएनए की व्यवस्था संभव नहीं होने के कारण हम 2-3 प्राइवेट लैब से भी बात कर रहे हैं कि कम चार्ज में रिपोर्ट जारी की जाए। इससे एक नए समाज का विकास होगा। कंज्यूमर को अच्छा प्रोडक्ट मिलेगा और यह बात पूरे देश में धीरे धीरे फेलेगी। आज एक अंधकार है, निराशा है कि मिलावट है लेकिन खाना पड़ेगा। यह सोच दूर हो जाएगी। भारत के कुछ प्रोडक्ट सिंगापुर-अमेरिका जैसे देशों में अपनी प्योरिटी के कारण धूम मचा रहे हैं। क्योंकि वह प्रोडक्ट वहां की लेबोरेटरी में परफेक्ट साबित हुए हैं।

प्रश्न:- सरसों के तेल में बड़े मिलावट का खेल है। इस पर क्या कहेंगे ?
उत्तर:- डेढ़ साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और हर्ष वर्धन के सहयोग से प्रधानमंत्री के ध्यान में यह विषय लाया गया था। कहीं-कहीं तेल में 30 से 40 फ़ीसदी व कहीं 90 फ़ीसदी तक मिलावटी तेल बिक रहा है। जिस भी सरकार ने मिलावट करने की है। किसकी परमिशन दी है। मैं समझता हूं कि वह देश के साथ धोखा कर रहे है। सरकार भगवान का दूसरा रूप होती है और जो सरकार खाद्य सामग्री में मिलावट को ना रोक पाए वह फेल सरकार गिनी जाती है। जब यह बातें प्रधानमंत्री तक पहुंची तो पिछले साल उन्होंने इस संबंध में देश की हेल्थ मिनिस्ट्री बुलाकर इस पर कार्यवाही की थी।

प्रश्न:- 10 से 25 अगस्त का कार्यक्रम कहां और किस रूप में किया जाएगा?
उत्तर:- यह बगैर मिलावट का कार्यक्रम होगा। व्यापार करने वाले लोग और आम व्यक्ति इसमें शामिल होंगे। दूध के प्रोडक्ट बनाने वाले लोग अपने सामान को लेकर यहां पहुंचेंगे। आरडब्लूए पंचकूला-चंडीगढ़-मोहाली के लिए बड़ा मौका है कि वह पूरे देश के लिए एक मॉडल बने। बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे और मन में फैसला कर लें कि पहले टेस्ट फिर ट्रस्ट।

प्रश्न:- क्या सैंपलिंग निशुल्क होगी?
उत्तर:- सभी लैब वहां निशुल्क टेस्टिंग करेंगी और प्राइवेट लैब भी बहुत कम रेट में टेस्ट करेंगे। जो लोग पहले मक्खन-दूध-घी खा रहे हैं उन्हें भी अपने साथ लेकर आए और टेस्ट करवाएं। जो मक्खन आज वह बाजार से खरीद कर खा रहे हैं। उसे घी बनाने के बाद क्या उसका रंग वैसा रहता है। घी बना कर देखें। अगर उसका रंग बदलता है तो वह न तो मक्खन खाने लायक है और ना ही घी। यह पहला प्रोग्राम होगा जिसमें सारे प्रोडक्ट होंगे सैंपलिंग वालों से आह्वान किया गया है कि आकर सैंपल भरे-टेस्ट करें और फिर ग्राहक को उपलब्ध करवाएं। यह एक नए तरीके का चार्ट उपलब्ध होगा। कोरोना काल मे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े, यह उस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। यह दूध महाकुंभ है। जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।


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Content Writer

Shivam

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