सालों बीत जाने के बाद भी हरियाणा के 163 कानून पंजाब के नाम से जाने जाते थे: ज्ञान चंद गुप्ता

punjabkesari.in Monday, Mar 15, 2021 - 11:39 AM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): जिस प्रकार से विपक्ष को विश्वास से बात करनी चाहिए, वह विधानसभा में नहीं कर पा रहे। अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष की अपेक्षा के अनुसार परिणाम नहीं आया इसलिए विपक्ष परेशान है। यह बात हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान कही। इस मौके पर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की औपचारिक प्रेस वार्ता को डिस्टर्ब करने का, एक किस्म से उन पर हमला करने का जो प्रयास अकाली दल के कुछ विधायकों ने किया। अगर सिक्योरिटी ने उन्हें रोका ना होता तो कुछ भी हो सकता था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपनी मर्यादा में रहकर हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है। मुख्यमंत्री भी अपना पक्ष रखना चाहते थे। लेकिन उन्हें ऑफिशियल ड्यूटी करने से रोकना, इस प्रकार का व्यवहार बहुत निंदनीय है।

ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार की घटना आगे ना हो उसके लिए हरियाणा-पंजाब-चंडीगढ़ के उच्चाधिकारियों की बैठक हुई। तीनों प्रदेशों के अधिकारी मिलकर एसओपी तैयार करेंगे। घटना क्यों- कैसे घटी। इसके लिए जिम्मेदार कौन है। इस पर भी इस बैठक में विश्लेषण किया गया। ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि विधानसभा की सिक्योरिटी के मार्शल टीम की ओर से चंडीगढ़ के थाना सेक्टर 3 में उपद्रव करने वाले इन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाने के लिए दरखास्त भी दी गई।

इस मौके पर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया कि हर प्रदेश की इच्छा होती है कि अपने नाम से कानून हो। लेकिन 50-52 साल बीत जाने के बाद भी करीब 163 हमारे कानून पंजाब के नाम से जाने जाते थे। लेकिन हैरानी की बात है कि इस और किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब ज्ञान चंद गुप्ता ने यह देखा तो संशोधन का फैसला किया। जिसे लेकर चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया।जिसमें एलआर और कई अधिकारी शामिल किए गए। अब उसे कानूनी अमलीजामा पहनाने के लिए विधानसभा के अंदर एक-दो दिन में ही यह अमेंडमेंट बिल आने वाला है। इसके बाद पंजाब एक्ट के नाम से जो बिल थे, वह हरियाणा के नाम से जाने जाएंगे। इस मौके पर ज्ञान चंद गुप्ता ने बताया ईपीएमसी एक्ट में कुछ धाराओं को संशोधन के लिए मुख्यमंत्री ने सदन के पटल पर कमेटी के गठन का ऐलान किया था। उसके लिए भी 5 सदस्य कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें 2 सदस्य सत्ता पक्ष जिसमें अभय सिंह यादव, सुधीर सिंह विपक्ष के दो सदस्य बीबी बत्रा, किरण चौधरी व पांचवे सदस्य के रूप में राम कुमार गौतम का नाम शामिल किया गया है। यह कमेटी भी अपनी रिपोर्ट जल्द ही सबमिट करेगी। यह जानकारी ज्ञान चंद गुप्ता ने दी।

क्या है कानून
भाजपा-जजपा सरकार द्वारा सदन में हरियाणा  संक्षिप्त नाम संशोधन विधेयक, 2021 भी पेश किया जाएगा. इस विधेयक द्वारा   हरियाणा  में पंजाब एवं पूर्वी पंजाब के संक्षिप्त नाम (शीर्षक) से लागू 163    अधिनियमों (कानूनों) में से पंजाब एवं पूर्वी पंजाब शब्द के स्थान पर  हरियाणा शब्द करने का प्रस्ताव है. यह विधेयक प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री कँवर पाल गुर्जर द्वारा सदन में पेश होगा.गत वर्ष  हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा राज्य  सरकार के साथ उक्त विषय  उठाया गया था.जिसके लिए प्रदेश के  विधि परामर्शदाता (एल.आर.) की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई जिसमें चार अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे जिन्होंने उक्त संशोधन  विधेयक लाने पर अपनी रिपोर्ट  दी जिसे बाद में मुख्य सचिव और  मुख्यमंत्री की भी मंजूरी मिल गई. हालांकि तब ऐसी खबरें आयी थीं  कि  163 कानूनों में ऐसा संसोधन  किया जायेगा ।

साढ़े  54 वर्षों  पूर्व भारतीय संसद द्वारा सितम्बर, 1966 में अधिनियमित (बनाये )    पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के 1 नवंबर, 1966 से लागू होने के बाद तत्कालीन  संयुक्त पंजाब सूबे से अलग होकर हरियाणा देश का 17 वां  राज्य बना जिस कारण विभिन्न विषयो पर तत्कालीन पंजाब  विधानमंडल द्वारा बनाये गए सभी अधिनियम (कानून ) तत्काल प्रभाव से  हरियाणा में भी लागू हो गए। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 89 के अनुसार हरियाणा के अलग राज्य बनने के दो वर्षों  के भीतर अर्थात 1 नवंबर 1968 से पहले हरियाणा सरकार द्वारा उपयुक्त  आदेश जारी कर पंजाब में तत्कालीन लागू कानूनों को अपने राज्य (हरियाणा ) में प्रासंगिक  संशोधनों आदि के साथ अपनाया जा सकता था. इसी विषय में तत्कालीन  प्रदेश की  सरकार की तत्कालीन बंसी लाल सरकार द्वारा   हरियाणा अडॉप्टेशन ऑफ़ लॉज़ (राज्य एवं समवर्ती सूची ) आदेश, 1968 जारी कर पंजाब में तब लागू 163 कानूनों को उपयुक्त संशोधनों के साथ हरियाणा में अपना लिया गया हालांकि तब उनके सभी के  लंबे शीर्षक (लम्बे नाम) और प्रस्तावना (प्रीएम्बल) में ही पंजाब शब्द को बदलकर हरियाणा किया गया था जबकि तब उनके संक्षिप्त नाम में ऐसा नहीं किया गया।

आज से 48 वर्ष पूर्व 1973 में तत्कालीन बंसीलाल सरकार के दौरान भी  ऐसी कवायद चली थी परंतु विस्तृत विचार विमर्श के बाद यह प्रस्ताव किया गया कि ऐसा करना इतना सहज नहीं होगा एवं इसके लिए उन सभी संबंधित  कानूनों को अलग से विधानसभा द्वारा अधिनियमित करवाना होगा एवं जो कानून संविधान की समवर्ती सूची में हैं, उनमें केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति भी आवश्यक होगी. बहरहाल तब नये सिरे से सारे कानून बनवाने की सारी प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई थी जिसे हालांकि अब किया जा रहा है दस वर्ष पूर्व गुजरात विधानसभा द्वारा  भी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल  दौरान  इसी तर्ज पर गुजरात संक्षिप्त नाम संशोधन कानून, 2011  बनाया  गया  था जिसके द्वारा गुजरात में 1 मई, 1960 (अर्थात गुजरात अलग राज्य बनने से पूर्व ) वहां पर  लागू तत्कालीन बॉम्बे राज्य के 67 कानूनों के संक्षिप्त नाम में बॉम्बे के स्थान पर गुजरात का नाम कर दिया गया परन्तु उक्त 2011 कानून में भी ऐसा  स्पष्ट उल्लेख है कि कानूनों के संक्षिप्त नामो में  बॉम्बे के स्थान पर गुजरात का नाम होने के बावजूद उन कानूनों की मूल संख्या और बनने वाले वर्ष में बॉम्बे का ही उल्लेख रहेगा. जैसे बॉम्बे प्रोहिबिशन (मद्य-निषेध) एक्ट, 1949 का वर्तमान नाम तो  गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट, 1949 हैं परन्तु आज भी उसे बॉम्बे राज्य के वर्ष 1949 का एक्ट संख्या 25 ही कहा जाता है।

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Content Writer

Isha

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