टीकरी बॉर्डर पर किसानों ने बनाया मीटिंग हॉल, हरियाणवी संस्कृति के अनुसार हुई तोता बांधने की रस्म

punjabkesari.in Tuesday, Mar 16, 2021 - 12:40 PM (IST)

बहादुरगढ़(प्रवीण धनखड़) : टीकरी बॉर्डर पर किसान पक्के मकानों के निर्माण में लगे हुए हैं। इसी क्रम में टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने एक मीटिंग हॉल का निर्माण किया है। खास बात यह है कि हरियाणवी परंपरा के अनुसार नए मकान में प्रवेश करने से पहले उसके गेट पर घर की बहन बेटियों द्वारा शगुन के तौर पर एक तोता बांधे जाने की रस्म निभाई जाती है। उसी तौर पर इस नए निर्माण पर भी रोहतक के टीटोली गांव की महिला किसान अमृता ने तोता बांधा और उसके बाद इस में प्रवेश किया।

किसान केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में लगातार 110 दिन से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। बहादुरगढ़ दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर किसान पक्का मोर्चा बनाने में जुटे हुए हैं। गर्मी बारिश और ठंड से बचने के लिए किसान अपने लिए बॉर्डर पर पक्के मकान बना रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को अभी नहीं मानेगी इसलिए यहां पर पक्का मोर्चा बनाने के लिए पक्के मकान बना रहे हैं। यहां किसान आराम और बैठक कर सकेंगे। इस हाल में पंखे भी लगाए गए हैं। जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं कर लेती तब तक घर वापसी नहीं होगी।

रोहतक जिले के टीटोली गांव के किसानों ने बताया कि वह अपने गांव से 27 नवंबर को यहां पहुंचे थे और तभी से यहां बैठे हुए हैं। उन्होंने यहां किसान भवन बनाया है। जिसमें किसान विश्राम कर सकते हैं। उनका कहना है कि आने वाला समय गर्मी का है गर्मी व मच्छरों से बचने के लिए यह निर्माण किया गया है। इसके निर्माण में सीमेंट का नहीं बल्कि मिट्टी का प्रयोग किया गया है। उनका कहना है कि वह बनाए गए मकानों का भी नहीं हटाएंगे। चाहे यहां पर कोई भी आ जाए। किसानों ने बताया कि पुलिस भी यहां पर पहुंची थी और किसानों से पूछताछ करके वापस लौट गई।
 
 बता दें कि संयुक्त मोर्चा ने पहले ही पक्के निर्माण बनाने और बोरवेल लगाने पर रोक लगाने की बात कही थी। टिकरी बॉर्डर पर कल किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हुई बैठक में भी आपसी सहमति हुई है कि किसान कोई पक्का निर्माण नहीं करेंगे। लेकिन अब किसानों का यह भी कहना है कि वह जो निर्माण कर चुके हैं उन्हें नहीं हटाएंगे। समाधान बातचीत से ही निकलना है लेकिन बातचीत पर लगा डेडलॉक कब खत्म होगा, यह कोई नहीं जानता। इसी वजह से या आंदोलन लंबा खींचता हुआ नजर आ रहा है।

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Content Writer

Isha

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