सदन, विधानसभा व सड़क पर लड़नी पड़े लड़ाई, हम किसानों के साथ खड़े रहेंगें : कुमारी शैलजा

punjabkesari.in Monday, Feb 01, 2021 - 10:27 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : किसान आंदोलन को लेकर जहां सभी विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी पर आक्रामक हैं। वहीं इस किरदार में सबसे मेन रोल कांग्रेस अदा कर रही है। आज पंजाब केसरी ने कांग्रेस पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा से इस ज्वलंत मुद्दे पर बातचीत की। जिसमें उन्होंने इस जटिल मामले का केवल और केवल एक ही हल बताया कि सरकार को तीनों कानून वापस लेने चाहिए और साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पहले दिन से कांग्रेस पार्टी का स्टैंड कलियर था। वह किसानों के साथ खड़ी थी, खड़ी है और खड़ी रहेगी। लड़ाई चाहे सदन में लड़नी पड़े, विधानसभा में लड़ने पड़े या जमीन पर लड़नी पड़े। कांग्रेस किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ती रहेगी। कुमारी शैलजा से बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : कृषि आंदोलन को लेकर पहले दिन से कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है। कांग्रेस आगे की क्या रणनीति है ?
उत्तर :
रणनीति वही है जो पहले दिन से थी। राहुल गांधी जी ने पहले दिन भी कहा कि यह कानून हमारे देश के, किसानों के और मजदूरों के हित में नहीं है। यह केवल भारतीय जनता पार्टी के धनाढ्य दोस्तों के हित में हैं। उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए हैं। यही स्टैंड कांग्रेस का पहले दिन से था और आज जो आंदोलन चल रहा है। यह केवल किसानों का नहीं, यह जन आंदोलन है। कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है। चाहे जमीन की लड़ाई लड़नी पड़े, चाहे सदन में लड़ाई लड़नी पड़े या विधानसभा में लड़ने पड़े। हम किसानों के साथ खड़े रहेंगे।

प्रश्न : कांग्रेस का आगामी समय में आंदोलन को लेकर किस प्रकार का रोडमैप है ?
उत्तर :
 संसद में भी हमारी लड़ाई रहेगी। विधानसभा सत्र में भी हम किसान के लिए आवाज बुलंद करेंगे।इसके साथ हमारा जमीन पर कार्यक्रम चलता रहा है। आने वाली 3 से 5 फरवरी तक हम महात्मा गांधी के नाम पर हर ब्लॉक में शांति मार्च निकालेंगे। जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी ने शांतिभंग करवाई। आपसी भाईचारे को बिगाड़ने की कोशिश की। भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर पर जाकर माहौल को बिगाड़ा। हम दोबारा से भाईचारे का संदेश लेकर लोगों में जाएंगे।

प्रश्न : लाल किले पर हुए घटनाक्रम पर आपकी क्या टिप्पणी है ?
उत्तर : 
यह लोकतंत्र के लिए बड़ी शर्मनाक बात है। गणतंत्र दिवस का दिन सभी के लिए हर्ष और गर्व का दिन होता है। किस प्रकार से माहौल खराब किया गया। सरकार कैसे मूकदर्शक बनी रही। किसानों ने तो बहुत पहले ट्रैक्टर रैली का ऐलान किया था तो क्यों नहीं उनसे सही बातचीत की गई । क्यों नहीं सही बंदोबस्त किए गए। क्यों नहीं रूट्स सही ढंग से बताए गए। क्यों नहीं उन तक सही जानकारी पहुंचाई गई। इस तरह के गलत तत्व इस आंदोलन में घुसे, क्या कर रही थी आप की खुफिया एजेंसियां। आपका सिस्टम क्या कर रहा था कि लाल किले में लोग पहुंच गए, ऊपर चढ़कर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कैसे हो गया। यह सरकार का टोटल फेलियर है। जो बेचारे किसान 2 महीने से शांतिपूर्वक आंदोलन चला रहे थे, आपने उनके आंदोलन को खराब करने की कोशिश की। कुछ लोग जो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के साथ फोटो खिंचवा लेते हैं। वह ऐसा कार्य करते हैं और आप आज तक उन्हें पकड़ नहीं पाते। यह सरकार का पूरी तरह से फेलियर है और यह घटना बहुत गलत घटी है।

प्रश्न :  26 जनवरी के बाद किसान एकाएक वापस घरों को लौटे और फिर बड़ी मात्रा में बॉर्डर पर पहुंच गए। क्या यह टिकट के आंसुओं का असर है या फिर किसान के अपने जज्बात हैं ?
उत्तर : 
यह स्थिति भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पैदा की। किसान जो शांतिपूर्वक वापिस अपने घरों को लौटे और उन्हें फिर दोबारा वहां पहुंचकर इकट्ठा होना पड़ा और दोबारा से शांति वाला आंदोलन वह लोग कर रहे हैं। उसके लिए सरकार ने मजबूर किया है।

प्रश्न : इस जटिल समस्या का समाधान आखिर कैसे हो, आपकी क्या निजी राय है ?
उत्तर : 
इसका समाधान बहुत आसान है। यह समस्या कुछ थी ही नहीं। यह जटिल होनी ही नहीं चाहिए थी। समस्या भी भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पैदा की और भाजपा की मोदी सरकार ने इसे जटिल बनाया। एक ही हल है कि जो मांग किसान कर रहे हैं, कांग्रेस पार्टी कर रही है, वह मान लो। तीनों कानूनों को वापस लो। अपने आप शांति आ जाएगी। ऐसे कानून आप दे रहे हैं जिसकी किसी ने मांग तक नहीं की और आपने यह कानून थोप दिए। हिंसा वाली घटना को प्रस्तुत करके किसान का गलत रूप देश के सामने प्रस्तुत करने की कोशिश की गई। आप अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी ही नहीं लेना चाहते। आपने अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए कानून बनाए और फिर किसान को बरगला रहे हैं कि यह उनके फायदे के कानून हैं। किसान पूरी शांति से सड़क पर आया और अपना आंदोलन किया और उस आंदोलन को भी आपने बिगाड़ने की कोशिश की।

प्रश्न : कालका विधायक प्रदीप चौधरी की बतौर विधायक सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हिमाचल की एक कोर्ट के आदेश के बाद खारिज की कर दी गई है। इस पर क्या कहेंगी ?
उत्तर : 
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बहुत तत्परता दिखाई गई है। हम इसका लीगल ओपिनियन ले रहे हैं। लेकिन जो भी कोई स्थिति होगी कांग्रेस पूरी मजबूती से उसका सामना करेगी।

प्रश्न : अभय चौटाला ने कृषि कानूनों को लेकर इस्तीफा दिया। इस पर आपका क्या विचार है ?
उत्तर : 
यह उनकी अपनी राजनीति है। उनका अपना फैसला है। वह अपनी पार्टी के, इनेलो के अकेले विधायक थे। अपनी मर्जी से कोई भी फैसला लेना उनका अधिकार है।


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Manisha rana

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