आईएएस अशोक खेमका के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित  FIR दर्ज, सैक्टर 5 थाने पंचकूला में हुई दर्ज

punjabkesari.in Tuesday, Apr 26, 2022 - 10:08 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): पंचकूला पुलिस के थाना पांच में हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के खिलाफ धारा 420 तथा करप्शन एक्ट 13 के तहत मुकदमा नंबर 0170 ,26 अप्रैल 2022 समय 6 बज कर 27 मिन्ट पर दर्ज की गई है। यह शिकायत विनीत चावला नामक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज हुई है।

F.i.r. के अंदर चर्चित आईएएस अशोक खेमका सोमनाथ रतन रिटायर्ड एस सी कंसल रिटायर्ड मैनेजर नरेश कुमार असिस्टेंट इत्यादि के खिलाफ पंचकूला के 5 सेक्टर थाने में यह कार्रवाई मंगलवार देर शाम हुई है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर प्रयासों के लिए कई बार सम्मानित हो चुके वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की इमानदारी पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। मोटी रकम वसूल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में दो मैनेजर रैंक पर अपात्र लोगों को नियुक्तियां देने का यह मामला है। वर्ष 2009-10 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान यह नियुक्तियां सभी नियमों को ताक पर रखकर की गई थी। उस समय खेमका हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी पद पर तैनात थे। विभाग की आंतरिक जांच में भी स्क्रीनिंग कमेटी ने इन भर्तियों को नियमों के खिलाफ बताया था। हैरानी की बात यह है कि आवश्यकता मात्र एक अधिकारी की थी और नियुक्तियां दो को दी गई। यह खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र ने किया है। एमडी संजीव वर्मा ने इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट मुख्य संजीव कौशल और कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा को भेजकर अशोक खेमका के खिलाफ चार्जशीट करने की सिफारिश भी की है। वहीं एमडी के एफआइआर करने संबंधी आदेश को लेकर पंचकूला पुलिस पिछले कुछ दिनों सेअसमंजस मेंथी। संजीव वर्मा ने उन दोनों अधिकारियों को भी निलंबित करने की सिफारिश कर दी है जिन्हें अशोक खेमका ने भर्ती किया था।

शिकायतकर्ता रविंद्र ने बताया कि 2009-10 में हरियाणा सरकार ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन को हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में कुछ भर्तियां करने के लिए भेजा था। जिसे विज्ञापित किया गया। लेकिन पात्र कैंडिडेट ना मिलना कारण बताते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने एक लेटर हरियाणा सरकार को लिखा। लेकिन हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी अशोक खेमका द्वारा यह भर्तियां करने की इजाजत मांगी गई। जोकि मेरी आरटीआई में पूरा रिकॉर्ड है। हरियाणा सरकार द्वारा इसकी इजाजत दी गई थी। लेकिन भर्तियां पूरी तरह से नियमों को ताक पर रख की गई। विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा भी इस चयनित प्रक्रिया और उम्मीदवारों की पात्रता को सही नहीं ठहराया गया। इनमें मैनेजर रैंक के दो लोग पीके गुप्ता और एसएस रंधावा अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब से हैं। जबकि हरियाणा का स्थाई निवासी होना अनिवार्य था। इस भर्ती में यहां तक अनियमितता बरती गई कि 1 की जगह 2 अधिकारियों की भर्ती हो गई। 7 साल का एग्रीकल्चर एक्सपीरियंस की भी पात्रता को अनदेखा किया गया। स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा एतराज करने के बाद वह भी शांत हो गई। इस प्रकार की 25-26 अलग-अलग पोस्टों पर भर्तियां की गई हैं। यह एक बड़े घोटाले का मामला है। जिसमें मोटा लेन-देन हुआ है। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का क्रिमिनल मामला दर्ज होना चाहिए।

रविंद्र ने बताया कि इन 25-26 भर्तियों में कुछ लोग फर्जी सर्टिफिकेट लेकर लगाए गए हैं। क्योंकि जो भर्तियां एचएसएससी नहीं कर पाया, इन्होंने कैसे कर दिया। स्क्रीनिंग कमेटी में विभाग के ही तीन-चार अधिकारी सम्मिलित है। आखिर वह चुप क्यों हुए। एक अधिकारी की जगह दो अधिकारियों की क्यों भर्ती हुई। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सिलेक्शन कमेटी को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। रविंद्र ने बताया कि आरटीआई से 7 साल की लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार के संज्ञान में इस मामले को लाया। लेकिन अंडर प्रेशर आज तक उचित कार्यवाही नहीं हुई। जिसकी शिकायत सेक्टर 5, पंचकूला थाना में फर्जी भर्ती घोटाले बारे मैंने दी थी। कमिश्नर पुलिस ऑफ पंचकूला ने 2016 में विभागीय जांच के लिए वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के पास पत्र भेजा था। लेकिन लंबे समय तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिरकार 11 अप्रैल को मैंने एमडी वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन डॉ संजीव वर्मा को एक लीगल नोटिस देते हुए कहा कि आप के खिलाफ भी भ्रष्टाचार से संबंधित कार्यवाही बनती है। रविंद्र ने बताया कि मेरे इस लीगल नोटिस के बाद सेक्टर 5 पंचकूला थाना को इस कार्यवाही के आदेश एमडी ने दिए हैं। रविंद्र ने मांग की है कि बिना राजनीतिक दबाव के एफआईआर दर्ज होने के बाद इस पर निष्पक्ष जांच होनी अति आवश्यक है। यह मुद्दा यैट या बट पर नहीं टाला जा सकता। 2009-2010 में कांग्रेस राज में हुए इस स्कैम के बाद  12 साल तक इन लोगों ने अवैध तरीके से नौकरियां की, इतने समय के बाद कार्यवाही होना एक सचमुच अचरज भरी बात है।

रविंद्र ने कहा-कई बार मिल चुकी है धमकियां और हो चुके हैं हमले, लेकिन देश का सच्चा नागरिक हूं

रविंद्र ने यह भी स्वीकार किया कि इस मामले से संबंधित उन पर कई बार हमले भी हो चुके हैं और धमकियां भी दी जा चुकी हैं। लेकिन परमात्मा हर सच्चे इंसान की सुरक्षा करता है। जिस प्रकार से एक पत्रकार और फौजी अपनी जान की परवाह किए बगैर लोकतंत्र की- देश की रक्षा करता है। इसी प्रकार से मैं भी अपना काम कर रहा हूं। एक सच्चे भारतीय और सच्चे नागरिक का कर्तव्य अदा कर रहा हूं। अगर मैं गलत होता तो इस इतने बड़े लेवल के अधिकारी मेरे खिलाफ बड़ा षड्यंत्र रख सकते थे।

भ्रष्टाचार की लड़ाई में कई बार सम्मानित हो चुके हैं खेमका

बता दें कि अशोक खेमका वह शख्स हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए सुप्रसिद्ध है। भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्म युद्ध के लिए 2011 में इन्हें एसआर जिंदल पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। निडर प्रयासों के लिए श्री संजीव चतुर्वेदी के साथ 10 लाख रुपए का नगद पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। 1991 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी पश्चिम बंगाल के कोलकाता से संबंध रखते हैं और भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। 30 साल की नौकरी के कैरियर के दौरान लगभग 5 दर्जन बार इनके तबादले हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल, चौ0 ओमप्रकाश चौटाला, चौ0 भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हाल में मनोहर लाल खट्टर के समय लगातार इनका तबादलों का सिलसिला जारी है। सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच संदिग्ध भूमिका और इनसे संबंधित भूमि घोटालों को लेकर इन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।2009-2010 में कांग्रेस राज में हुए इस स्कैम के बाद  12 साल तक इन लोगों ने अवैध तरीके से नौकरियां की, इतने समय के बाद कार्यवाही होना एक सचमुच अचरज भरी बात है।

1991 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अशोक खेमका द्वारा हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी पद पर रहने के दौरान की गई भर्तियों में घोटाले के शिकायतकर्ता रविंद्र ने आज पंजाब केसरी से एक्सक्लूसिवली बातचीत के दौरान कहा कि आमतौर पर मीडिया में यही प्रचलन रहा कि खेमका ईमानदारी के लिए ट्रांसफर किए जाते हैं। लेकिन बात बिल्कुल इससे उलट है। उनका ट्रांसफर उनकी ईमानदारी के कारण नहीं बल्कि उन्हें काम करना नहीं आता इसलिए होता है। किसी भी अधिकारी की कार्यकुशलता उसके बिजनेस के अनुसार सुनिश्चित की जा सकती है। खेमका कई महत्वपूर्ण विभागों में जिम्मेदार पदों पर रहे। लेकिन आउटपुट क्या रही, बिजनेस क्या किया, सरकार को क्या लाभ हुआ, यह देखना अवश्य है। राजनीतिक रूप से किसी मुद्दे को उछाल कर कैसे कैच करना है और फिर मीडिया की सुर्खियां कैसे बनाना है, केवल अशोक खेमका यही जानते हैं। सरकार के खिलाफ खेमका आए दिन बोलते हैं जबकि सरकारी नौकर का सरकार के खिलाफ बोलना नियमों के खिलाफ है। उनके बोलने का मतलब साफ यही है कि उनके पीछे से कोई बैकअप है। रविंद्र ने कहा कि मैंने बहुत सी शिकायतें अन्य लोगों के खिलाफ भी दी है। जिसके रिजल्ट भी आए हैं। मुझे  खेमका की कार्यशैली का पता है ना कोई पर्सनल प्यार है और ना ही कोई रंजिश। खेमका द्वारा दूसरे राज्यों के लोगों को भर्ती करने के बाद से जनता के टैक्स की कितनी मोटी करोड़ों रुपए की रकम इनके पास गई। इसका जिम्मेदार कौन है।

घर से सुबह यही सोच कर निकलता हूं कि शायद वापस ना लौटूँ :रविंद्र कुमार

रविंद्र ने कहा कि यह मामला अदालत में है। देश में अदालतें काम करती हैं वह कानूनन अथॉरिटी हैं। मैं इस मामले को लेकर विड्रॉ नहीं करूंगा। 10 साल के बाद यह मेहनत सफल हुई है। इसमें किसी भी अधिकारी ने राजनीतिक दबाव या अन्य किसी कारण से गड़बड़ करने की कोशिश की तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। जिन अधिकारियों ने इन्हें लीगल नोटिस डिसाइड नहीं किए, वह भी इस मामले के लिए जिम्मेदार हैं। आखिर 1 साल तक यह क्यों रखे गए। रविंद्र ने कहा कि इस भर्ती में नौकरी पाने वाले सभी लोगों ने एफिडेविट में यह लिख कर दिया है कि हम क्वालिफिकेशन पूरी करते हैं। उसके बेस पर नियुक्ति पत्र भी इशू कर दिए गए। यह फाइलें स्वयं बयान कर रही हैं और रही बात धमकियों की तो मैं नहीं डरता। मैं घर से सुबह यही सोच कर निकलता हूं कि शायद वापस ना लौटूँ।

यह मामला जांच का नहीं यह भर्ती घोटाला एक क्रिमिनल मामला है :रविंद्र कुमार

रविंद्र ने कहा कि यह एक बड़ा भर्ती घोटाला है। इसे सरकार के ही एक बड़े अधिकारी ने जस्टिस किया है। मेरे लीगल नोटिस देने से पहले जांच मेरी शिकायत पर हुई थी। तत्कालीन एमडी राजीव रतन आईएएस में इस पर कारण बताओ नोटिस भी 1 साल पहले इशू किए थे। अब यह मुद्दा जांच का नहीं बल्कि क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन का है। इनकी सेवाएं बर्खास्त की गई है। यह 25-26 लोगों की भर्तियां अवैध तरीके से अनियमितताओं के चलते की गई जो कि कोई भी उम्मीदवार क्वालिफिकेशन पर खरा नहीं उतरता। इन डाक्यूमेंट्स को एग्जामिन करने के बाद एक बात और सामने आई है कि खेमका ने एचएसएससी से आए एक कैंडिडेट राजेश कुमार की फाइल पर अपने हाथ से लिखा कि इनके पास पात्रता नहीं है। उन्हें भर्ती नहीं किया गया। लेकिन भर्ती किए गए लोगों के पास भी क्वालिफिकेशन पूरी नहीं थी। यह एक बड़ा जांच का विषय है कि एक को मना किया गया और इन सभी को भर्ती क्यों किया गया।

आखिर क्या है यह मामला ?

वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में दो मैनेजर रैंक समेत 25-26 अपात्र लोगों को नियुक्तियां देने का यह मामला है। वर्ष 2009-10 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान यह नियुक्तियां सभी नियमों को ताक पर रखकर की गई थी। उस समय खेमका हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी पद पर तैनात थे। विभाग की आंतरिक जांच में भी स्क्रीनिंग कमेटी ने इन भर्तियों को नियमों के खिलाफ बताया था। हैरानी की बात यह है कि आवश्यकता मात्र एक अधिकारी की थी और नियुक्तियां दो को दी गई। यह खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र ने किया है। एमडी संजीव वर्मा ने इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट मुख्य संजीव कौशल और कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा को भेजकर अशोक खेमका के खिलाफ चार्जशीट करने की सिफारिश भी की है। अशोक खेमका के विरुद्घ मंडलायुक्त करनाल एवं एमडी संजीव वर्मा की इस कार्रवाई से अफसरशाही में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं एमडी के एफआइआर करने संबंधी आदेश को लेकर पंचकूला पुलिस असमंजस में है। संजीव वर्मा ने उन दोनों अधिकारियों को भी निलंबित करने की सिफारिश कर दी है जिन्हें अशोक खेमका ने भर्ती किया था।

शिकायतकर्ता रविंद्र ने बताया कि 2009-10 में हरियाणा सरकार ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन को हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में कुछ भर्तियां करने के लिए भेजा था। जिसे विज्ञापित किया गया। लेकिन पात्र कैंडिडेट ना मिलना कारण बताते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने एक लेटर हरियाणा सरकार को लिखा। लेकिन हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी अशोक खेमका द्वारा यह भर्तियां करने की इजाजत मांगी गई। जोकि मेरी आरटीआई में पूरा रिकॉर्ड है। हरियाणा सरकार द्वारा इसकी इजाजत दी गई थी। लेकिन भर्तियां पूरी तरह से नियमों को ताक पर रख की गई। विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा भी इस चयनित प्रक्रिया और उम्मीदवारों की पात्रता को सही नहीं ठहराया गया। इनमें मैनेजर रैंक के दो लोग पीके गुप्ता और एसएस रंधावा अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब से हैं। जबकि हरियाणा का स्थाई निवासी होना अनिवार्य था। इस भर्ती में यहां तक अनियमितता बरती गई कि 1 की जगह 2 अधिकारियों की भर्ती हो गई। 7 साल का एग्रीकल्चर एक्सपीरियंस की भी पात्रता को अनदेखा किया गया। स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा एतराज करने के बाद वह भी शांत हो गई। इस प्रकार की 25-26 अलग-अलग पोस्टों पर भर्तियां की गई हैं। यह एक बड़े घोटाले का मामला है। जिसमें मोटा लेन-देन हुआ है। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का क्रिमिनल मामला दर्ज होना चाहिए।

रविंद्र ने बताया कि इन 25-26 भर्तियों में कुछ लोग फर्जी सर्टिफिकेट लेकर लगाए गए हैं। क्योंकि जो भर्तियां एचएसएससी नहीं कर पाया, इन्होंने कैसे कर दिया। स्क्रीनिंग कमेटी में विभाग के ही तीन-चार अधिकारी सम्मिलित है। आखिर वह चुप क्यों हुए। एक अधिकारी की जगह दो अधिकारियों की क्यों भर्ती हुई। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सिलेक्शन कमेटी को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। रविंद्र ने बताया कि आरटीआई से 7 साल की लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार के संज्ञान में इस मामले को लाया। लेकिन अंडर प्रेशर आज तक उचित कार्यवाही नहीं हुई। जिसकी शिकायत सेक्टर 5, पंचकूला थाना में फर्जी भर्ती घोटाले बारे मैंने दी थी। कमिश्नर पुलिस ऑफ पंचकूला ने 2016 में विभागीय जांच के लिए वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के पास पत्र भेजा था। लेकिन लंबे समय तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिरकार 11 अप्रैल को मैंने एमडी वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन डॉ संजीव वर्मा को एक लीगल नोटिस देते हुए कहा कि आप के खिलाफ भी भ्रष्टाचार से संबंधित कार्यवाही बनती है। रविंद्र ने बताया कि मेरे इस लीगल नोटिस के बाद सेक्टर 5 पंचकूला थाना को इस कार्यवाही के आदेश एमडी ने दिए हैं। रविंद्र ने मांग की है कि बिना राजनीतिक दबाव के एफआईआर दर्ज होने के बाद इस पर निष्पक्ष जांच होनी अति आवश्यक है। यह मुद्दा यैट या बट पर नहीं टाला जा सकता। 

 

 


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Content Writer

Vivek Rai

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