सरी बार महिला के हाथ में होगी नगर परिषद की कमान

punjabkesari.in Wednesday, Jun 23, 2021 - 06:32 PM (IST)

नारनौल (योगेंद्र सिंह) : नारनौल नगर परिषद की कमान दूसरी बार महिला के हाथों में होगी। ड्रा में चेयरमैन की कुर्सी सामान्य महिला के खाते में गई है। नगर परिषद के इस चुनाव में इस बार कांटे की टक्कर होने के आसार बनते नजर आ रहे हैं। सर्वाधिक वोटर पिछड़ा वर्ग से होने के चलते साफ है कि इसी वर्ग से सर्वाधिक प्रत्याशी भी मौदान में ताल ठोंक सकते हैं। ऐसा हुआ तो पिछड़ा वर्ग के वोटों का धु्रवीकरण होगा और इसके चलते हार-जीत का फैसला बहुत ही नजदीकी होने की संभावनाएं बन रही हैं। हालांकि अभी चुनाव में समय है लेकिन चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों ने अपनी जीत को लेकर गुणा-भाग लगाना शुरू कर दिया है। 

पहली बार नगर परिषद व नगर पालिका प्रधान (चेयरमैन) का फैसला सीधे जनता करेगी। अभी तक भाज्य एवं पैसों की खनक के चलते चेयरमैन बनते थे और इस बार ऐसा नहीं होगा। प्रदेश सरकार ने चेयरमैन बनाने के नाम पर पार्षदों की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए इस बार सीधे चुनाव कराने का एलान किया है। यानि अब पार्षदों के हाथ में चेयरमैन की चाबी नहीं होगी और ना ही वह अपने मन की कर पाएंगे। नगर परिषद नारनौल की बात करें तो यहां पर करीब एक लाख वोटर हैं। इनमें सर्वाधिक वोटर पिछड़ा वर्ग के हैं। वहीं अनुसूचित जाति के वोटर करीब सोलह हजार हैं।  

वर्तमान में जो हालात बनते नजर आ रहे हैं उससे लग रहा है कि पिछड़ा वर्ग से ही सर्वाधिक प्रत्याशी चुनाव लडऩे के लिए सामने आ सकते हैं। इस समय टिकट की मांग करने वाले अधिकतर प्रत्याशी अपने समाज के वोटरों की दलील देकर चुनावी टिकट मांगने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि यह इतना आसान भी नहीं है कारण जब इसी समाज से अधिक प्रत्याशी होंगे तो वोटों का धुव्रीकरण हो जाएगा और इसका फायदा सामने वाले प्रत्याशी को मिलेगा। यहां पर कांग्रेस-भाजपा का सीधा मुकाबला होने के आसार नजर आते हैं। कांग्रेस भी पंचायत चुनाव में पूरी ताकत से उतरने की रणनीति पर काम कर रही है। उसके कार्यकर्ताओं का हौंसला किसान आंदोलन ने बढ़ा रखा है। तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय भाजपा एवं उनके कार्यकर्ताओं का जबरदस्त विरोध है। कृषि कानून का विरोध करने वाले किसान पंचायत चुनाव में भाजपा का सबक सिखाने का आतुर हैं। इसीलिए उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में इस बार कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी।

जेपी, हुड्डा व शैलजा एक नाम पर सहमत होंगे 
वर्ष 1987 से कांग्रेस के लिए काम करने वाले सुधीर शर्मा चौधरी जयप्रकाश, भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं शैलजा तीनों के करीबी हैं। सुधीर शर्मा अपनी पत्नी कुसुम शर्मा के लिए टिकट मांग रहे हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में सुधीर शर्मा भी टिकट की दौड़ में थे लेकिन उस समय सहमति नहीं बनने से वह पिछड़ गए थे। इस बार कुसुम के लिए जेपी लांबिंग कर रहे हैं अब यह तो समय ही बताएगा कि यह तिकड़ी सहमत होकर कुसुम के नाम पर सहमत होती है या नहीं। हालांकि दूसरे कांगे्रसी नेता भी टिकट केलिए हाथ-पैर मारने में लगे हुए हैं।

भाजपा बना रही रणनीति कैसे किसान आंदोलन की नाराजगी करें दूर
पंचायत चुनाव यह फैसला करेंगे कि भाजपा-जजपा सरकार पर किसान आंदोलन भारी पड़ा या नहीं। दूसरी ओर किसान आंदोलन एवं कोरोना महामारी को लेकर कांग्रेस लगातार गठबंधन सरकार पर प्रहार कर रहे हैं। कांग्रेस यह बात भलीभांति जानती है कि लोगों की नाराजगी यदि आगे भी बनी रही तो निश्चित रूप से इसका असर पंचायत चुनाव में देखने को मिलेंगे। दूसरी ओर भाजपा किसान आंदोलन को लेकर रणनीति बना रही है कि कैसे वह ग्रामीण एवं किसानों की नाराजगी दूर कर उनके वोट हासिल करें।


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Content Writer

Isha

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