समय-समय पर भजनलाल- बंसीलाल और देवीलाल में सत्ता पलट का चला खेल

punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2023 - 11:26 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): 1 नवंबर 1966 को हरियाणा राज्य हिंदी आंदोलन उपरांत पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया। उस दौरान केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और हरियाणा राज्य की राजनीति में भी कुछ गिने-चुने चेहरे ही चमक रहे थे। पंडित भगवत दयाल शर्मा, पदम कृष्ण दास, राम शर्मा उस दौरान के दिग्गज कांग्रेसी नेता थे। अहीरवाल बेल्ट दक्षिण हरियाणा से सशक्त- ताकतवर और प्रभावशाली नेता के रूप में राम बिरेंद्र सिंह जगह बनाए हुए थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी से नजदीकी के कारण पंडित भगवत दयाल शर्मा को हरियाणा राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। लेकिन पहले दिन से ही खुद कांग्रेस पार्टी में ही उनके विरुद्ध बगावत के सुर सुने जाने लगे। ब्राह्मणवाद का जबरदस्त ठप्पा उन पर खुलेआम लगा। वहीं कांग्रेस से बाहर चौधरी देवीलाल एक ऐसे नेता उभर रहे थे जिन्हें पूंजी पतियों को छोड़ सभी वर्गों का अच्छा समर्थन और प्यार मिल रहा था। पार्टी स्तर पर तो शर्मा को कुर्सी से नीचे उतारने को लेकर कोशिशें चलती रही, वहीं विपक्ष भी इस बात को लेकर उन पर आक्रमणकारी रहा। नतीजतन वह केवल 1 नवंबर 1966 से 10 मार्च 1967 तथा 11-3-1967 से 23-3-1967 तक उनका कार्यकाल रहा।

अहीरवाल बेल्ट के बेहद ताकतवर-प्रभावशाली नेता राव बीरेंद्र सिंह को 24-3-1967 को प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। लेकिन विरोध उनके विरुद्ध भी काम नहीं था। इसलिए 20-11-1967 को उन्हें भी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। वही कांग्रेस ने उस समय के तेज-तर्रार युवा नेता बंसीलाल को प्रदेश की कमान सौंप  दी। 21-3-1968 को उनका कार्यकाल शुरू हुआ जो कि 14-3-1972 तक उन्होंने प्रदेश में खूब बड़े फैसले लिए और उन्हें विकास पुरुष की भी ख्याति प्राप्त हुई। यह पार्टी और प्रदेश के लिए कांग्रेस का सर्वोत्तम निर्णय माना गया। घर-घर बिजली, अच्छी सड़के- गलियां- नालियाँ और रोजगार देने में उनका अच्छा खासा नाम रहा। वह फिर से 14-3-1972 से 30-11-1975 तक मुख्यमंत्री के रूप में आसीन हुए। उनके इस कार्यकाल में हरियाणा अन्य राज्यों की तुलना में कई मामलों में अग्रिम स्थान पर माना गया। लेकिन उनके द्वारा प्रदेश में कई कठोर निर्णयों ने उन्हें नुकसान पहुंचाया। मजबूरन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को उन्हें बदलकर 1-12-1975 को बनारसी दास गुप्ता को कमान सौंपनी पड़ी। लेकिन यह किसी भी तरह से प्रभावशाली नेता नहीं बन पाए।

25-जून-1975 को देश में आपातकाल की घोषणा से तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर फखरुद्दीन अली अहमद के अधीन देश आ गया। कांग्रेस के इस आपातकाल के डंक ने कांग्रेस पार्टी की सत्ता को डस लिया। केंद्र से कांग्रेस का सफाया हो गया और हरियाणा की सरकार भी इस आंधी में उखड़ गई। प्रदेश के किसान मसीहा के रूप में प्रसिद्धि पा चुके चौधरी देवीलाल 21-6-1977 को मुख्यमंत्री के रूप में विराजमान हो गए। 28-6-1979 तक मुख्यमंत्री रहे लगातार जाट नेताओं के कुर्सी पर आसीन होने से प्रदेश में गैर जाट की आवाज बुलंद हो रही थी, जिसका फायदा चौधरी भजनलाल ने उठाया। जनता पार्टी से सत्ता हासिल कर 28-6-1979 को मुख्यमंत्री बन अपना कार्यकाल 23 मार्च 1982 को पूरा किया और फिर चुनाव जीत कर कांग्रेस पार्टी से मुख्यमंत्री बने जो कि उनकी पारी 23-मार्च-1982 से शुरू होकर 4-6-1986 तक रही। फिर कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल चौधरी बंसीलाल को 5-6-1986 से लेकर 20-6-1987 तक मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश को नेतृत्व दिया। लोकदल पार्टी का गठन कर चौधरी देवीलाल बेहद लोकप्रिय नेता बन चुके थे।

इस लहर में रिकॉर्ड तोड़ सीटें जीतकर चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री के रूप में 20-6-1987 को सत्ता हासिल की जो कि 2-12-1989 तक मुख्यमंत्री रहे। लहर में बनारसी दास गुप्ता जनता दल पार्टी से 23 मार्च 1990 से 12-7- 1990 तक मुख्यमंत्री रहे। सत्ता पलट में माहिर चौधरी भजनलाल ने बेहद चतुराई से गेम चेंजर के रूप में कुर्सी हासिल की। 23-6- 1991 से शुरू कर पूरा 5 साल अपना कार्यकाल किया जो कि 10-5- 1996 तक मुख्यमंत्री रहे। बेहद सटीक कूटनीति के माहिर चौधरी बंसीलाल 11-5-1996 को सत्ता में लौटे। मुख्यमंत्री बनकर उन्होंने 21-7-1999 तक प्रदेश का नेतृत्व किया।

इसके बाद दौर आया चौधरी देवीलाल के बड़े पुत्र ओमप्रकाश चौटाला का, जोकि जनता दल से 2-12-1989 को मुख्यमंत्री बने और 22-5-1990 तक रहे। फिर से चुनाव हुए 12-7-1990 को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली 5 दिन के बाद 17 तारीख को उन्हें किसी कारणवश कुर्सी छोड़नी पड़ी और जनता दल से ही चौधरी हुकुम सिंह 17-7-1990 से 22-3-1991 तक मुख्यमंत्री रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। फिर से ओमप्रकाश चौटाला कुर्सी पर लोटे और 22-3-1991 से 5-4-1991 तक मुख्यमंत्री रहे। लेकिन अति चर्चित मेहम कांड उनकी कुर्सी को ले डूबा। बंसीलाल द्वारा गठित हरियाणा विकास पार्टी को अच्छे खासे वोट दिए। लेकिन बंसीलाल बहुमत हासिल नहीं कर पाए। इसलिए हरियाणा विकास पार्टी तथा भाजपा के गठ जोड से शराबबंदी के मुद्दे पर बंसीलाल मुख्यमंत्री बने। लेकिन उनके पैरों में इस बार बेड़िया थी। इसलिए यह इस योजना में कुछ खास नहीं कर पाए। भाजपा के समर्थन वापस लेने के कारण यह अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाए और 11-5-1996 को विकास पुरुष चौधरी बंसीलाल 21-7-1999 तक ही मुख्यमंत्री रहे।

वहीं इंडियन नेशनल लोकदल के नाम से पार्टी का गठन कर कड़ी मेहनत और बड़ी सूझबूझ से चौधरी ओमप्रकाश चौटाला पार्टी को पूरी तरह से मजबूत कर चुके थे जो कि 24-7-1999 को मुख्यमंत्री बनकर 2-3-2000 तक रहे। विधानसभा चुनाव 2000 में सरकार बनाने में इनेलो फिर कामयाब हुई जो कि उनका कार्यकाल 5-3-2005 तक चला। लगातार कई जाट मुख्यमंत्री से ऊब चुकी लहर में भजनलाल को कांग्रेस पार्टी ने मैदान में उतारा।

 

 

 

 

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Content Editor

Ajay Kumar Sharma

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