सरकारी प्रावधानों के आगे असहाय हुआ ‘बुढ़ापा’

punjabkesari.in Wednesday, Feb 01, 2017 - 04:45 PM (IST)

सिरसा (राम माहेश्वरी):तस्वीर में दिखाई दे रहा यह दम्पति बुजुर्ग है, इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता। मगर सरकारी प्रावधान इन्हें बुजुर्ग मानने को कतई तैयार नहीं। ये बुजुर्ग पति-पत्नी खुद को ‘बुजुर्ग’ साबित करने के लिए प्रशासन के दर पर ठोकरें खाने पर मजबूर हैं। लाख कोशिशों के बावजूद सिवाए निराशा के कुछ हाथ नहीं लगा है। यह व्यथा है गांव माधोसिंघाना निवासी चानन सिंह व उनकी पत्नी कश्मीरा बाई की। दोनों अपनी जिंदगी के 60 बसंत पार कर चुके हैं। इसके बावजूद उनकी बुढ़ापा पैंशन नहीं बन पा रही है। कुछ समय पहले दोनों का वोटर कार्ड गुम हो गया था। मतदाता पहचान पत्र गुम होने के बाद से इनकी परेशानियां शुरू हो गईं। नया वोटर कार्ड बेशक इन्होंने बनवा लिया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। नया वोटर कार्ड वर्ष 2014 में बना। समाज कल्याण इसमें दोनों की उम्र 60 वर्ष साबित नहीं होती। समाज कल्याण विभाग का नियम है कि आवेदक सबूत के तौर पर अपना जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लाइसैंस, पासपोर्ट व वोटरकार्ड प्रस्तुत कर सकता है। इनमें से कोई भी सबूत अगर नहीं है तो आवेदक के संतान की उम्र 41 वर्ष होनी चाहिए परंतु इस समय उनके पुत्र की उम्र 30 वर्ष है और आयु से संबंधित दूसरा कोई सबूत भी नहीं। 

प्रशासन के दर पर ठोकरें खाता दम्पति 
चानन व कश्मीरा बाई का मलाल यह है कि उनकी बुढ़ापा पैंशन नहीं बन रही। दूसरी चिंता यह है कि गरीब होने के बावजूद उनका ए.पी.एल. कार्ड बना दिया गया। कभी समाज कल्याण विभाग का चक्कर काटते हैं तो कभी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का। बाबू लोग भी इस बात की हामी भरते हैं कि दोनों के साथ गलत हो रहा है लेकिन सरकारी प्रावधानों की मजबूरी ने उनके हाथ बांध रखे हैं। आश्वासन देने के सिवाए वे कुछ नहीं कर सकते। 
 


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