RTI का बड़ा खुलासा, सरकार के पास नहीं शहीदों का कोई रिकार्ड

punjabkesari.in Saturday, Jul 15, 2017 - 12:22 PM (IST)

रादौर (कुलदीप सैनी):आजादी की लड़ाई लड़ने वालों की बहादुरी की कहानियां युवा वर्ग तक पहुंचे, ताकि उनमें भी देशभक्ति का जज्बा कायम रहे। इसके लिए गृहमंत्रालय संसद में आर.टी.आई. लगाई गई। मगर कहीं से भी आर.टी.आई. का जवाब नहीं मिला। आर.टी.आई. एक्टिविस्ट व इंकलाब मंदिर के संस्थापक वरयाम सिंह ने बताया कि शहीदों का गुमथला राव में इंकलाब मंदिर बनाया हुआ है। इस कार्य में 17 साल लग गए। मंदिर में शहीदों की प्रतिमा स्थापित की हुई है। उनकी भगवान की तरह पूजा होती है। 
PunjabKesari
मंदिर में हैं 120 शहीदों का पूर्ण इतिहास
फिलहाल मंदिर में 120 शहीदों का पूर्ण इतिहास फोटो हैं। यहां पर आने वाले लोग और ज्यादा शहीदों के बारे में पूछताछ करते हैं। लोगों की इच्छा शांत करने के लिए उन्होंने पहले तो अपने स्तर पर शहीदों का रिकॉर्ड खंगाला। वे केवल 200 शहीदों का रिकॉर्ड एकत्र कर पाए। बाद में उन्होंने गृह मंत्रालय से शहीदों के रिकाॅर्ड के लिए आर.टी.आई. लगाई, जिसमें उन्होंने पूछा कि 1857 से 1947 तक देश की आजादी के लिए कितने शहीदों ने प्राणों की आहुति दी। देश में शहीदों के नाम पर कितने बोर्ड, अायोग अमर शहीदों के सम्मान के लिए बनाए गए। लोकसभा व राज्यसभा में अपने प्रार्णों की आहुति देने वाले शहीदों पर कब-कब चर्चा हुई।
PunjabKesari
अमर शहीदों के आवास निशानियों को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए। शहीदों पर टिप्पणी करने पर आज तक कितने लोगों पर कानूनी कार्रवाई की गई है। शहीदों को देश में शहीद का दर्जा देने बारे आजादी से अब तक हुए पत्राचार की प्रति दी जाए। शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरू शहीद सुखदेव को दिए गए शहीदी के दर्जे की प्रति दी जाए। राज्यसभा से रिकॉर्ड देने से असमर्थता जताई। 
PunjabKesari
लोकसभा ने शहीदों का रिकाॅर्ड तलाशने का भेजा लेटर 
लोकसभा ने साइट पर शहीदों का रिकाॅर्ड तलाशने का लेटर भेजा। गृह मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को सूचना देने से कहा तो उन्होंने साइट से शहीदों का रिकॉर्ड तलाशने का लेटर भेज दिया। ट्रांसपोर्ट विभाग ने जवाब दिया कि राष्ट्रीय मार्ग राजनीतिक खास व्यक्ति के नाम से नहीं बनाए जाते। मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने जवाब दिया कि शहीद भगत सिंह के गांव खटखटकलां पंजाब केवल एक म्यूजियम का नाम बताया है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने जवाब दिया कि अमर शहीदों से संबंधित कोई फाइल हमारे पास नहीं है। सूचित किया जाता है कि सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा प्रायोजित परियोजना डिक्शनरी ऑफ मारटियरस की किताबें पढ़ने का सुझाव दिया। ये बुक परिषद के बिक्री काउंटर पर उपलब्ध है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News

static