कॉविड के बाद पहली बार पंचकूला मनसा देवी मंदिर में भव्य मेले का आयोजन, लाखों श्रद्धालु पहुंचेंगे मंदिर में

punjabkesari.in Friday, Apr 01, 2022 - 04:53 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):  हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाए जाने वाले चैत्र नवरात्र 2 अप्रैल से शुरू होंगे। लगातार 2 साल तक कोरोना के चलते सभी धार्मिक स्थल बंद रहे। श्रद्धालु मंदिरों में नहीं जा सके। लेकिन अब पूरी तरह से इन प्रतिबंधों के हटने के बाद लगभग सभी मंदिर इन चैत्र नवरात्रों में पूरी तरह से सजे होंगे और श्रद्धालु अपनी माँ अंबिका, जगदंबा मां, आदि शक्ति, शिव शक्ति के दर्शन कर पाएंगे। इस क्रम में उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध पंचकूला में स्थित माता मनसा देवी सिद्ध पीठ का श्राइन बोर्ड भी पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है। कॉविड के बाद पहली बार एक बड़े मेले का आयोजन किया जा रहा है। 

विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता मेले की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे मंदिर
विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता एवं पंचकूला विधायक ज्ञान चंद गुप्ता मंदिर में मेले को लेकर हो रही तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने बताया कि इस बार लाखों श्रद्धालु मंदिर में मां मनसा देवी के दर्शन करने पहुंचेंगे। किसी को कोई तकलीफ- परेशानी ना हो, इसे लेकर मनसा देवी श्राइन बोर्ड के सभी अधिकारी और सदस्यों की ड्यूटियां सुनिश्चित की गई है। सफाई- सिक्योरिटी और खाने-पीने की सुव्यवस्थित ढंग से व्यवस्था की गई है और संबंधित सभी विभागों को 10 दिन तक सतर्क रहने के कड़े निर्देश दिए गए हैं। इस मेले में पहले से कहीं अधिक भीड़ रहने की उम्मीदें लगाई जा रही है। क्योंकि लंबे समय से लोग मां जगदंबा के दर्शन नहीं कर पाए, इसलिए तैयारियों को भी बढ़ाया गया है। 

दूसरे जिलों राज्यों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए हरियाणा रोडवेज की 120 बसें रहेंगी सेवाओं में : गुप्ता
गुप्ता ने बताया कि चैत्र नवरात्रों में आसपास के राज्यों से भी काफी लोग मां मनसा देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं। इसलिए मंदिर तक पहुंचने को लेकर हरियाणा रोडवेज भी पूरी तरह से सेवाओं में उपलब्ध है। लगभग 120 बसें मंदिर तक श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए सेवाएं देंगी जो कि सप्तमी और अष्टमी के दिन यह 120 से बढ़कर 150 बसें रहेंगी।

माता मनसा देवी मंदिर पंचकूला की यह है मान्यता
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से जब माता सती के शरीर को खंड-खंड किया था तो कई जगहों पर सती के शरीर के अंग गिरे, वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्ति भाव से आराधना करने पर मनोकामना पूरी होगी। पंचकूला शिवालिक गिरिमालाओं पर देवी के सिर का हिस्सा गिरने से मनसा देवी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यह धार्मिक स्थल आज लोगों के लिए बेहद आस्था का प्रतीक है। बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु यहां शक्ति के दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों में इस मंदिर के प्रति ऐसे भाव है कि जो भी व्यक्ति माता मनसा देवी मंदिर में रोजाना 40 दिन तक आता है और पूजा-अर्चना करता है, तो हर मनोकामना मां मनसा देवी पूर्ण करती है।

माता पार्वती के नौ रूपों की गाथा
वेदों- पुराणों और ग्रंथों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जब धरती पर महिषासुर का आतंक बेहद बढ़ गया था और उसे देवता भी हरा नहीं पा रहे थे। क्योंकि महिषासुर को वरदान था कि उस पर देव दानव विजय नहीं पा सकते। इसलिए सभी देवताओं ने मां पार्वती से रक्षा करने के लिए आह्वान किया। तब मां पार्वती ने अपने अंश से 9 रूप प्रकट किए। जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर सुशोभित किया और उन्होंने महिषासुर का 9 दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन वध किया। इसी मान्यता के साथ मां दुर्गा के 9 रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री की पूजा होती है।

 

 

 


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Content Writer

Isha

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