राजस्थान से आने वाले टिड्डी दल से हरियाणा को भी खतरा

punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2020 - 01:22 PM (IST)

नारनौल(संतोष): कृषि व किसान कल्याण विभाग की टीम ने सोमवार को खंड नारनौल के विभिन्न गांवों का दौरा कर टिड्डी के सम्भावित प्रकोप का निरीक्षण किया। इस संदर्भ में कृषि उप निदेशक डा. जसविन्द्र सिंह सैनी ने बताया कि रेगिस्तानी टिड्डी का प्रकोप पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों में आया हुआ है तथा गंगानगर से लगे हुए हरियाणा के सीमावर्ती गांवों में इस कीट का प्रकोप देखा गया है।

उन्होंने बताया कि टिड्डी की जनसंख्या मौसम में नमी, मिट्टी की नमी, बारिश, तापमान और उनका भोजन, जो कि हरे पौधे व पेड़ होते हैं, उन पर निर्भर होती है। उन्होंने किसानों को बताया कि टिड्डी के प्रकोप को किसी भी सूरत में हल्के में न लें। इससे हुए नुक्सान का अंदाजा सभी की सोच से परे है। उन्होंने बताया कि एक छोटा टिड्डी झुंड एक दिन में 10 हाथी या 2500 लोगों के जितना खा सकता है। कृषि उप निदेशक ने बताया कि इसके जीवन काल में अंडे, हॉपर और वयस्क 3 अवस्थाएं होती हैं।

ये झुंड में रहने वाले कीट की एक मादा लगभग 140 से 180 अंडे देती है, जो लगभग 2 हफ्ते में अपनी दूसरी अवस्था हॉपर जो बिना पंख वाली उछलने वाली अवस्था होती है। हॉपर से वयस्क बनना भारी तापमान पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि अगर औसत तापमान 37 डिग्री सैल्सियस है तो यह कीट 20 दिनों में वयस्क बन जाता है। अगर तापमान 22 डिग्री सैल्सियस से कम है जैसा कि अभी मौसम बना हुआ है यह वयस्क बनने में 70 दिन तक ले सकता है। एक वयस्क इष्टतम स्थिति में लगभग 4 हफ्ते जीवित रहता है तथा ठंडी और सूखी स्थिति में 8 महीने तक ले सकता है।

इसकी वयस्क अवस्था मानव जाति के लिए सबसे खतरनाक है। इन टिड्डियों का झुंड हवा की दिशा में उड़ता है जो कि एक दिन में लगभग 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं तथा पौधे के हर एक भाग को अपना भोजन बना सकता है।उन्होंने बताया कि टिड्डी का समूह दिखते ही मैलाथियान दवा का छिड़काव जरूर करें तथा इसकी जानकारी तुरंत अपने नजदीकी कृषि विकास अधिकारी को दें।


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Edited By

vinod kumar

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